खंडवा – रूस व यूक्रेन (Russia Ukraine War) के बीच घमासान जंग जारी है ऐसे में यूक्रेन में फंसे भारतीयों के लिए संकट फिलहाल खत्म नहीं हुआ है यूक्रेन में फंसे स्टूडेंट की मुश्किलें अभी कम नहीं हुई है यूक्रेन से लौट आई मध्य प्रदेश(Madhya Pradesh) के खंडवा (khanndwa) की दर्शिका श्रीवास्तव ने बताया की यूक्रेन में किस हालात में इंडियन स्टूडेंट, दर्शिका का मानना हैं की अगर समय रहते इंडियन एम्बेसी सही इन्फर्मेशन देती और एयर टिकट के दाम इतने नहीं बढ़ते तो यूक्रेन से सभी इंडियन स्टूडेंट वापस अपने वतन लौट आते।
एमपी के खंडवा की दर्शिका श्रीवास्तव यूक्रेन से लौट आई है। गुरुवार की देर रात यूक्रेन से जब वह घर आई तो परिवार के लोगो की ख़ुशी का ठिकाना ना था दर्शिका श्रीवास्तव(Darshik Srivastva) घर पहुँचते ही अपनी लाडली का ग्रैंड वेलकम किया गया परिवार के लोगों ने उसके साथ केक काटा,
दर्शिका श्रीवास्तव यूक्रेन में फंसे इंडियन स्टूडेंट को लेकर चिंतित है दर्शिका बताती है की यूक्रेन में फंसे बाकी साथी भारत आने के लिए प्रयासरत है लेकिन हालात बाद से बत्तर होते जा रहे है (Russia Ukraine War) के कारण यूक्रेन में फंसे लोगो को अपनी सुरक्षा के साथ – साथ वापस लौटने का संघर्ष करना पड़ रहा है, दर्शिका के अनुसार भारतीय दूतावास (indian embassy) से समय पर पर मदद नहीं मिल पाने के कारण वापसी करना दर्दनाक हो रहा है, एयर टिकट के दाम बढने से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अगर समय रहते सुचना मिल जाती तो परेशानी न होती.
समय पर इंडियन एम्बेसी ने नहीं की मदद – दर्शिका श्रीवास्तव यूक्रेन में फंसे इंडियन स्टूडेंट को लेकर चिंतित है घर पहुँचने पर टीवी पर हालात देख रही है दर्शिका बताती है की यूक्रेन में फंसे बाकी साथी भारत आने के लिए प्रयासरत है। लेकिन हालात बाद से बत्तर होते जा रहे है। (Russia Ukraine War) युद्ध होने के कारण यूक्रेन में फंसे लोगो को अपनी सुरक्षा के साथ – साथ वापस लौटने का संघर्ष करना पड़ रहा है।
दर्शिका के अनुसार भारतीय दूतावास (indian embassy) से समय पर पर मदद नहीं मिल पाने के कारण वापसी करना दर्दनाक हो रहा है, एयर टिकट के दाम बढने से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अगर समय रहते सुचना मिल जाती तो परेशानी न होती। दर्शिका ने बताया की 13 फरवरी को इंडियन एम्बेसी ने पहली एडवाइजरी जारी की थी जिसमें कहा गया था कि जिसे जाना है वह जा सकता हैं। उस एडवाइजरी में ऐसा कुछ नहीं था की इस तरह के हालात हो जाएंगे। बाद में सभी फ्लाइट्स बंद हो गई। ऐसे में कोई अरेजमेंट नहीं था फ्लाइट्स। दर्शिका कहती दो सप्ताह से इसतरह की बातचीत चल रही थी तो एडवाइजरी इतनी लेट क्यों आई। जब तक एम्बेसी ने एडवाइजरी जारी की तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अगर पहले से एम्बेसी कवर कर लेती तो आज वहां इतने बच्चे फंसे नहीं होते।
करना पड़ा लंबा सफर – दर्शिका अपने खर्चे से 21 फरवरी को राजधानी कीव पहुंची थी। यहां एक दिन इंतजार के बाद उसे दुबई के लिए फ्लाइट मिली। दुबई में 12 घंटों इंतजार की सूचना दी गई थी लेकिन 23 फरवरी दोपहर तीन बजे फ्लाइट की कंफर्मेशन हो पाई। दिल्ली पहुंचने के बाद दर्शिका वहां से इंदौर फ्लाइट के जरिए पहुंची। इसके बाद माता-पिता उसे लेने के लिए इंदौर पहुंचे थे। इतना लंबा सफर ब्लेक शी में रसियन नेवी की तैनाती की वजह से करना पड़ा।
दोस्तों के वहीं फंसे से दुःखी है दर्शिका – दर्शिका बताती है की यूक्रेन रसिया में युद्ध शुरू होने के बाद फ्लाइट कैंसिल होने से उनके कई दोस्त वहां फंस गए हैं। दर्शिका का कहना है की मुझे बहुत अच्छा लग रहा है की मैं घर लौट आई हूं। लेकिन हमारे कई दोस्त वहां फंसे हुए हैं जिसको लेकर दुःखी भी हूँ । फ्लाइट कैंसिल हो जाने के बाद उनके पास वापसी के लिए कोई ऑप्शन नहीं बचा है। दर्शिका ने बताया कि वहां की स्थिति को हमलोग समझ नहीं पाए। पहले भी कई बार इस तरह की चर्चाएं हुई थीं। लोगों ने बताया था कि ये सब होता रहा है। अचानक से वहां स्थिति बिगड़ गई और लोग फंस गए हैं।
सरकार से की अपील – दर्शिका ने सरकार से अपील की है कि यूक्रेन के हालात बहुत ख़राब हो गए है। ऐसे में फ्लाइट के रेट नहीं बढ़ाते हुए पहले अपने लोगों को वहां से किसी भी तरह से वापस आपने वतन लाया जाए। वहा फंसे सभी बच्चों के माता पिता बहुत परेशान है। ऐसे में अभी कमाने का ना सोच कर फ्लाइट के रेट कम कर या सरकारी मदद से फंसे हुए लोगों को वापस लाना चाहिए।