ढाका: बांग्लादेश के पहले हिन्दू प्रधान न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार सिन्हा के ऑस्ट्रेलिया जाने के बाद उन पर भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगा है। यह आरोप तब लगे हैं जह ऐसी खबरें आ रहीं हैं कि बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के महाभियोग लगाने पर सरकार का अधिकार खत्म करने के उनके फैसले को लेकर उनसे नाखुश है।
एक असामान्य कदम के तहत, देश के सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने इस महीने की शुरुआत में भ्रष्टाचार और अनैतिकता के आरोपों को लेकर सिन्हा की पीठ में नहीं बैठने का फैसला किया। इन आरोपों के बारे में उन्हें राष्ट्रपति अब्दुल हामिद ने बताया।
इससे पहले बांग्लादेश के पहले हिंदू मुख्य न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार सिन्हा को सरकार के साथ टकराव का खामियाजा भुगतना पड़ा और उन्हें जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के जजों पर महाभियोग के संसद के अधिकार को खत्म करने के उनके फैसले से सरकार नाराज थी।
66 वर्षीय सिन्हा शुक्रवार रात ऑस्ट्रेलिया रवाना हो गए। इससे पहले उन्होंने कहा कि जुलाई में दिए गए फैसले को लेकर विवाद से वह परेशान हैं। हालांकि उन्होंने उनके बीमार होने के सरकार के दावे को खारिज किया। उन्होंने कहा, ‘मैं न्यायपालिका का अभिभावक हूं। न्यायपालिका के हित में अस्थायी रूप से जा रहा हूं ताकि इसकी छवि खराब न हो। मैं वापस आऊंगा।’
सिन्हा ने कहा कि उनका मानना है कि सरकार को फैसले के गलत मायने बताए गए, जिससे प्रधानमंत्री शेख हसीना नाराज हैं। हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि वह जल्द ही सच्चाई को महसूस करेंगी। सिन्हा का कार्यकाल जनवरी 2018 में पूरा होगा। सरकार ने बीमारी को लेकर तीन अक्टूबर से एक महीने की उनकी छुट्टी को घोषणा की थी।
बांग्लादेश में उच्च न्यायपालिका के साथ सरकार का टकराव इस साल जुलाई में तब शुरू हुआ जब सुप्रीम कोर्ट ने 16वें संविधान संशोधन को निरस्त करने का फैसला सुनाया। इस फैसले से सुप्रीम कोर्ट के जजों पर महाभियोग का संसद का अधिकार खत्म हो गया। फैसले के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का उदाहरण देने पर मंत्रियों और नेताओं ने सिन्हा पर तीखे हमले किए।
गौरतलब है कि सुप्रीम के फैसले के बाद पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पद से हटना पड़ा। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हसीना ने सिन्हा पर संसद और राष्ट्रपति को अपमानित करने का आरोप लगाया।