जम्मू : बिजली कर्मियों की विभाग के निजीकरण के विरोध में हड़ताल तीसरे दिन भी जारी है। बिजली न होने के कारण रविवार को भी लोगों को ठंड से ठिठुरना पड़ा है। अस्सी फीसदी शहर में अंधेरा छाया रहा। वहीं यह हड़ताल पीडीडी कार्डिनेशन कमेटी के आह्वान पर की जा रही है। रविवार शाम को प्रशासन के अनुरोध के बाद कई इलाकों के ग्रिडों को सेना ने अपने कब्जे में ले लिया है। पूरे संभाग में बिजली आपूर्ति सुचारु करने की कोशिश की जा रही है।
शनिवार को सुबह से ही बिजली गुल हुई थी, अभी तक बहाल नहीं हो पाई है। वहीं, कार्यालयों के बाहर प्रदर्शनकारियों ने भी प्रदर्शन किया और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। रविवार को दूसरे दिन सुबह से ही लोग बिजली आपूर्ति बहाल करने के लिए उच्च अधिकारियों से संपर्क करते रहे मगर अधिकारियों ने अपने फोन ही आफ कर दिए। इस कारण लोगों की परेशानी काफी बढ़ गई।
लोगों को सारा समय धूप में बिताना पड़ा। लोग बार-बार बिजली ऑन-आफ करते रहे। देर शाम तक जब कोई फैसला नहीं आया तो लोगों की परेशानी काफी बढ़ गई। मोमबत्ती और इमरजेंसी लाइटों को जलाकर कमरों को रोशन करना पड़ा। वहीं, दिन के समय दुकानों में लाइट न होने पर किराये पर जनरेटर हायर किए गए।
बिजली न होने से मोबाइल फोन तक चार्ज नहीं हो पाए। इससे संदेशों का आदान-प्रदान नहीं हो पाया है। शाम ढलते ही गलियों में अंधेरा छा गया। लोगों को आने-जाने में भी परेशनी आई है। दोपहर 12 बजे के आसपास इंवर्टर भी बंद हो गए। देर शाम को लोगों ने खुली जगहों में आग जलाकर भी समय पास किया। दिन के समय एटीएम भी बंद हो गए। इस कारण लोगों को पैसे निकालने में काफी परेशानी पेश आई। लोग पैसा निकालने के लिए यहां-वहां भागते रहे।
इस बीच नेकां उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा है कि नागरिक प्रशासन के विफल होने की इससे बड़ी कोई और स्वीकारोक्ति नहीं हो सकती है कि बिजली बहाली के लिए सेना बुलानी पड़ी। इसका मतलब है कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने सुशासन के पूरी तरह विफल होने को स्वीकार कर लिया है। पीपुल्स कांफ्रेंस के महासचिव इमरान रजा अंसारी ने भी ट्वीट कर सरकार को आड़े हाथों लिया है। कहा कि यह सम्मानीय मनोज सिन्हा का नया कश्मीर है। पहले कभी नहीं सुना।