रायपुर- शहर समेत राज्य में शिक्षा व्यवस्था को लेकर लगातार ऊंगलियां उठते रहीं हैं। फिर चाहे मामला शिक्षा मंत्री की पत्नी का हो या फिर किसी आम नागरिक के पुत्र या पुत्री का। सभी ने खुले तौर पर लेन-देन कर सर्टिफिकेट बेचने व खरीदने का काम किया जा रहा है।
पिछले दिनों एक छात्र संगठन ने एक निजी संस्थान पर ऊंगलियां उठाते हुए कई चौकाने वाली जानकारियां सामने लाई है। इसमें साफ तौर पर यह कहा जा रहा है कि फेल विद्यार्थी को बारहवीं में प्रवेश देकर उत्तीर्ण का प्रमाण पत्र दे दिया जायेगा। इसके लिए उक्त स्कूल प्रबंधन ने छात्र के परिजन से 50 हजार रुपये की मांग की। जिसमें भुगतान होने के बाद बकायदा छात्र को एडमिशन दे दिया गया। छात्र संगठन का यहा तक दावा है कि इस तरह के कार्य शहर के कई निजी शैक्षणिक संस्थानों में चल रहे है जिसकी जांच तक नहीं होती। फिलहाल इस मामले को जिला शिक्षा अधिकारी के संज्ञान में लाया गया। जिसमें समिति गठित कर छानबिन किये जाने की जानकारी प्रदान की गई है।
गौरतलब है कि भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन के प्रदेश महासचिव शशिकांत बरोरे ने आरोप लगाया है कि सीबीएसई की कक्षा 9वीं या 11वीं में अनुत्तीर्ण एक छात्र को शहर के एक निजी स्कूल में बकायदा दाखिला दिया गया है। जिसमें स्कूल प्रबंधन ने छात्र से 50 हजार रुपये की रकम प्राप्त की है। इसके बदले अनुत्तीर्ण छात्र को 12वीं में दाखिला के साथ उत्तीर्ण होने के प्रमाण पत्र प्रदान करने का आश्वासन दिया गया है। यह प्रमाण पत्र छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल के माध्यम से प्रदान किया जाना है। उनका कहना था कि इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी आशुतोष चावरे से शिकायत की गई है जिसमें श्री चावरे ने शिकायत को संज्ञान में लेकर एक जांच कमेटी बनाई है।
बताया जा रहा है कि सीबीएसई के एक छात्र अ ब स ने पिछले वर्ष 2015 में उक्त स्कूल में एडमिशन प्राप्त किया। बाद में साल के अंत में स्कूल प्रबंधन द्वारा 12वीं उत्तीर्ण होने का प्रमाण पत्र दिया गया है। जबकि सीबीएसई फेल विद्यार्थी से काउंटर में हस्ताक्षर लेने के बाद प्रमाण पत्र देती है इसलिये उक्त संस्थान में किसी तरह से गड़बड़ी संभव नहीं है। लेकिन सीजी बोर्ड संचालित स्कूलों में यह प्रावधान नहीं है।
इसीलिये अनुत्तीर्ण छात्रों ने सीजी माध्यम संचालित स्कूलों में कोशिशें की और लेन-देन पर फर्जी तरीके से प्रमाण पत्र प्राप्त करने में सफल रहे हैं। जिसमें रोक लगाने की मांग लगातार उठते रही है। इसके अलावा हमारे संवाददाता के पास यह भी जानकारियां है जो प्रमाणित है कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के रजिस्टर में छात्र का उल्लेख नहीं है लेकिन 5वीं, 8वीं उत्तीर्ण होने के साथ प्रावीण्य सूची का छात्र होने का प्रमाण पत्र दिया गया जो इस समय सरकारी नौकरियों में सेवारत हैं।
यही नहीं जिस संस्थान के बारे में आरोप लगाये जा रहे है जिसमें इस वर्ष भी 11वीं कक्षा के सीबीएसई फेल छात्र को 50 हजार रुपये लेकर प्रवेश दिया गया है और यह आश्वासन दिया गया है कि 12वीं उत्तीर्ण होने और सीजी बोर्ड की सर्टिफिकेट दिया जायेगा। इसी तरह से एक छात्रा को भी प्रवेश देने की जानकारियां मिल रही हैं। बहरहाल स्कूल प्रबंधन की गोरख धंधे में रोक लगाने की मांग की जा रही है।
इधर छात्र संगठन के पदाधिकारी का कहना है कि इस विषय में मीडिया कर्मियों ने स्कूल प्रबंधन की एक महिला डायरेक्टर से बातचीत की जिन्होंने गल्ती से ऐसा होने की बात स्वीकार की है। बाद में फोन काटकर बातचीत बंद कर दी गई। बहरहाल शिक्षा व्यवस्था का एक बड़ा दाग ग्रहण की तरह लगने जा रहा है। #रायपुर