रुड़की- कहते हैं ”मुद्दई लाख बुरा चाहे तो क्या होता है वही होता है जो मंजूर-ए-ख़ुदा होता है” जीहां वैसा ही इबादत गुजार बन्दों के पर्दा कर जाने के बाद उनकी दरगाह पर लोग अपनी परेशानियों से निजात की आशा लेकर पहुँचते हैं और दुआ प्रार्थना करते हैं और उनकी उम्मीदों की झोली भरती भी है ! इसी तरह कलियर शरीफ में लोगों की मुरादें पूरी होने के साथ ही यह ऐसी दरगाह जहाँ होती है जिन्न और भूत प्रेतों को सरेआम फाँसी और एक फकीर जिसके इशारे पर नाचते हैं दुनिया भर के भूत प्रेत और जिन्नात आज तक पता नही कितने लोगो को मिला है आसमानी बलाओं से छुटकारा जिनकी दरगाह में नाचते हैं भूत प्रेत और एक गूलर के खाने से बे औलाद को मिल जाती है औलाद ।
जीहां कलियर शरीफ स्थित साबिर पिया साहब की दरगाह में देश ही नहीं विदेशों से भी बड़ी संख्या में ज़ाएरीन पहुँचते हैं ! माना जाता है कि साबिर की दरगाह में जो भी मन्नत मुरादे लेकर पहुँचते हैं व् उन्हें खाली हाथ नहीं लौटाते लेकिन साबिर की दरगाह में भुत प्रेत और जिन्नात आकर दरगाह में पटकियाँ खाते हैं ! आलम ये है कि हर रोज़ सेंकडो की संख्या में जिन्न, भुत,प्रेत के असर वाले लोग यहाँ पहुँचते है जिन्हें साबिर पहले तो सजा देते हैं और माफ़ी के बाद ही भूतो को छुटकारा मिल पाता है बड़ा से बड़ा भुत साबिर की दरगाह में आकर मजबूर हो जाता है|
वीडियो में आप देख सकते है कि दरगाह में किस तरह से भूत प्रेत असर वाले पटकियां खा रहे है ! यहाँ यह भी माना जाता है कि दरगाह में लगे पेड़ पर अपनी परेशानी का पर्चा लिख के लगा दें तो साबिर पर्चे पर लिखी मुश्किलों का हल कर देते हैं ! साबिर साहब का पूरा नाम हज़रत अलाउददीन अली अहमद मखदूम साबिर है जिनके दरबार में पहुँचते ही बड़ी से बड़ी बिमारी और जिन्न,भूत प्रेत उनके दरबार में घुसने से पहले ही भाग जाते हैं,यह नजारा एक दिन का नही बल्कि यहाँ ऐसा हर रोज़ हज़ारों की संख्या में जायरीन कलियर पहुँचते हैं और अपनी परेशानियों से छुटकारा पाते हैं ।
इस जगह पर जो भूत प्रेत जिन्नात से बाधित होते हैं उन्हें लोग लेकर आते हैं लेकिन यहाँ कलियर शरीफ में भूत प्रेत या जिन्नात को एक प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है सबसे पहले इस तरह की परेसानी में फंसे आदमी को हजरत इमाम साहब की दरगाह में जाना पड़ता है जन्हा उसको एक लिखित शिकायत का पर्चा देना होता है इसके बाद शुरू होता है आसमानी बलाओं का इलाज यंहा से निकलने के बाद दूसरी दरगाह किलकलि साहिब की है वँहा सलाम के बाद मरीज को दो नहरो के बीच बनी दरगाह जिसको नमक वाला पीर के नाम से भी पुकारा जाता है वँहा जाना पड़ता है यंहा प्रसाद के रूप में नमक झाड़ू और कोडिया चढ़ाई जाती है जिनके बाद अगर किसी को कोई एलर्जी या चमड़ी का रोग हो तुरन्त आराम होता है ।
यंहा से निकलने के बाद चौथी दरगाह है साबरी बाग़ में अब्दाल साहब की वँहा सलाम के बाद शुरू होती है किसी भी ओपरी या पराई आफत की पिटाई और एक खास चीज दुनिया में सिर्फ क्लियर शरीफ ऐसी जगह है जन्हा जिन्नों को और भूतो को फाँसी दी जाती है ।और फाँसी के बाद इस बीमारी का अंत यंही हो जाता है ।सब कुछ दिमाग और कल्पनाओ से परे है पर सच है ।
रिपोर्ट, विडिओ :- सलमान मलिक