अहमदाबाद: मुआवजे की राशि लेने के लिए किसी जरूरतमंद को क्या-क्या नहीं करना पड़ता। इसकी बानगी गुजरात के बनासकांठा में देखने को मिली है। जहां अफसरों ने ऐसा फरमान जारी किया है कि मुआवजा लेने वाले पशुपालक जानवरों के कंकाल लाने में जुट गए हैं।
चाहिए मुआवजा तो लाओ पशुओं के कंकाल –
एक महीने पहले बनासकांठा में आई भीषण बाढ़ की वजह से जान-माल का बड़ा नुकसान हुआ था। खासतौर पर बाढ़ की वजह से बड़ी संख्या में पशुओं की मौत हुई थी। राज्य सरकार ने बाढ़ में मारे गए पशुओं के लिए पशुपालकों को 50 हजार रुपए मुआवजा देने की घोषणा की थी, लेकिन अफसर पशुपालकों को मुआवजा देने के लिए पशुओं के कंकाल सबूत के तौर पर मांग रहे हैं।
इस मामले में क्षत्रिय ठाकोर सेना और ओएसएस एकता मंच के अध्यक्ष अल्पेश ठाकोर ने अफसरों पर आरोप लगाया है कि वो बाढ़ में मारे गए पशुओं के मुआवजे के लिए पशुपालकों से पशुओं के कंकाल मांग रहे हैं। ऐसे में पशुओं की मौत से परेशान पशुपालक मरे जानवरों की हड्डियां इकठ्ठा करने के लिए मजबूर हो गए हैं।
क्षत्रिय ठाकोर सेना के कार्यकर्ताओं ने बाढ़ प्रभावित बनासकांठा और पाटण सहित 87 गांवों में जाकर सर्वे किया है। जिसमें पता चला है कि 50 फीसद लोगों को ही सरकारी सहायता मिली है। बाकी 50 फीसद लोग सरकारी मदद के लिए दर-दर भटक रहे हैं।
ठाकोर ने आरोप लगाया कि बनासकांठा में वर्ष 2015 में आई बाढ़ की तरह इस वर्ष भी प्रभावित लोगों की सहायता में भ्रष्टाचार किया जा रहा है। मुआवजे की राशि लोगों तक पहुंचने के बजाय सरकारी अधिकारियों के जेब में पहुंच रही है।