कोरबा- सूखा पीड़ित किसानों के जख्म में सरकार की बीमा योजना नमक छिड़कने का काम कर रही। मुआवजा के इंतजार में बैठे किसानों के साथ भद्दा मजाक किया जा रहा। खैरभवना के एक किसान के ढाई एकड़ खेत मेंं लगी धान फसल पूरी तरह तबाह हो गई थी, पर उसे महज 18 रुपए बतौर मुआवजा दिया गया है। एक किसान को तो मुआवजा के नाम पर उसके बैंक खाते में 40 पैसा जमा कराया गया है।
आलम यह है कि 80 फीसदी किसानों को तीन अंकों में ही बीमा फसल राशि मिली यानि 1000 का आंकड़ा भी पार नहीं हो सका है। खरीफ वर्ष 2015-16 मेंं बारिश नहीं होने की वजह से जिले के 26 हजार 162 किसानों के 19 हजार 285 हेक्टेयर खेत सूख गए थे।
सरकार ने फौरी तौर पर राजस्व विभाग से सर्वे करा मुआवजा प्रदान करने का आश्वासन दिया था। सूखे की वजह से आर्थिक बदहाली झेल रहे किसानों को बीमा की राशि मिलने पर दशा बदलने की उम्मीद थी, इस पर भी अब पानी पिुर गया है। खेती करने के लिए जिन 11 हजार 76 किसानों ऋ ण लिए थे उनके लिए 6 करोड़ 81 हजार 294 रुपए बीमा भुगतान राशि स्वीकृत हुई है। कटघोरा के खैरभावना निवासी दहराज सिंह अपने ढाई एकड़ की खेत में धान की फसल लगाया था। सूखे की वजह से करीब 70 हजार रुपए का उसे नुकसान उठाना पड़ा। खेती के लिए उसने सहकारी समिति कनबेरी से ऋण भी लिया था।
खेत दो अलग-अलग जगह होने की वजह से एक ऋ ण पुस्तिका में 18 रुपए व दूसरे में महज 26 रुपए मुआवजा दिया गया है। खैरभवना के ही भैयालाल को बीमा भुगतान के तौर पर 301 रुपए का भुगतान हुआ है। उसका कहना है कि करीब 3 एकड़ मेंं लगी धान की पुसल लगभग पूरी तरह से बर्बाद हो गई। उसके हाथ केवल पैरा ही लगा था।
यह जानकर हैरत होगी कि रंगबेल में रहने वाले किसान दिलराज सिंह के पास 5.144 हेक्टेयर जमीन है पर प्रीमियम राशि कम होने की वजह से उसे 40 पैसे ही मुआवजा दिया गया। जिन किसानों ने जितना ऋ ण लिया उसके आधार पर बीमा राशि तैयार कर दी गई। इसकी वजह से जिन किसानों को ज्यादा नुकसान हुआ उन्हें कम व जिन किसानों को कम नुकसान हुआ उन्हें ज्यादा मुआवजा प्रदान कर दिया गया।
जिले के कितने किसानों का खरीफ वर्ष 2015-16 में कृषि बीमा योजना का लाभ मिला है इसकी जानकारी कृषि विभाग के पास नहीं है। मामले में जिला कृषि अधिकारी एलएस ध्ा्रुव का कहना है कि खरीफ वर्ष में कितने किसानों ने बीमा कराया है इसकी जानकारी हमें बैंकों ने नहीं दी है, जबकि जानकारी के लिए उन्हें पत्र लिखा जा चुका है।
बीमा राशि से हमें काफी उम्मीद थी। जिन किसानों का वास्तव में फसल नुकसान हुआ है, उनका नाम राजस्व अधिकारियों ने नहीं जोड़ा है। फसल नुकसान होने के बाद भी हमें नि:शुल्क बीज वितरण काल लाभ नहीं मिला है।
सूखे से प्रभावित किसानों को जो बीमा राशि का भुगतान हुआ है उससे राहत कम हैरत अधिक हुई है। बीमा राशि से जो आस बंधी थी वह धरी की धरी रह गई है।
बीमा कंपनी से प्राप्त क्षतिपूर्ति राशि बैंक द्वारा समितियों को प्रेषित किया गया है। 90 फीसदी किसानों के खाते में बीमा राशि का भुगतान किया जा चुका है। किस आधार पर मुआवजा तैयार किया गया है यह देखने के बाद ही इस मामले में कुछ कहा जा सकता है। – वीरेंद्र बहादुर पंचभाई, एसडीएम कटघोरा