हमारे नेतागण योग का प्रचार करें, इससे अधिक शुभ-कार्य क्या हो सकता है? इसीलिए नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार हमारी हार्दिक बधाई की पात्र है। योगाभ्यास तो सारे विश्व में अपने आप लोकप्रिय हो रहा है लेकिन नरेंद्र मोदी के प्रयत्न को दाद देनी होगी कि आज सारे विश्व में योग-दिवस की धूम मच गई है। क्या ईसाई देश, क्या मुस्लिम देश, क्या यहूदी देश और क्या नास्तिक लोग-सभी ने योग-दिवस मनाया है।
लेकिन असली सवाल यह है कि इतने बड़े पैमाने पर जो किया जा रहा है, क्या वह योग है? वह योग नहीं,योगा है। यह योगा ही दुनिया के देशों में लोकप्रिय हुआ है। उनके लिए योगा का अर्थ है, व्यायाम, कसरत,एक्सरसाइज़! ज़रा बेहतर कसरत! जरा ऊंचे किस्म की कसरत! ऐसी कसरत, जिसमें न अखाड़े की जरुरत है और न ही जिमनेशियम की। बस एक दरी चाहिए। वह चीनी हो या हिंदुस्तानी, कोई खास फर्क नहीं पड़ता। न भी हो तो चलेगा। कसरत करनेवालों को ‘ओम’ और सूर्य-नमस्कार करने से भी कोई फर्क नहीं पड़ता। टाई पहनने से, जो ईसा के क्राॅस पर लटकने की प्रतीक है, क्या सारे लोग ईसाई हो जाते हैं? ओम या नमस्कार बोलने से या कुर्ता-पायजामा पहनने से कोई हिंदू नहीं हो जाता। इसी योगा पर अब संयुक्तराष्ट्र संघ ने मोहर लगा दी है।
जो वास्तविक योग है, उसे हमारे प्यारे नेता लोग जानते ही नहीं। नेताओं की बात जाने दें। वे तो नोट और वोट के पंडित होते हैं। अपने आपको महान योगी, महर्षि और श्री-श्री 108 आदि कहलवानेवाले योगाचार्यो को भी पता नहीं कि योग की परिभाषा क्या है? योग को व्यायाम के स्तर पर उतार देना योग का अवमूल्यन है। आसन और प्राणायाम योग के अनिवार्य अंग हैं लेकिन उनके पहले यम-नियम आते हैं और बाद में प्रत्याहार,धारणा, ध्यान और समाधि का विधान है। योग मूलतः चित्तवृत्ति का नियंत्रण है (योगश्चचित्तवृतिनिरोधः)! इन नेताओं से पूछें तो वे बता नहीं सकते कि पांच यम कौनसे हैं और पांच नियम कौनसे हैं। उनसे पूछा जाए कि ‘प्रत्याहार’ क्या होता है तो वे बगलें झांकने लगेंगे जैसे आयुष मंत्री श्रीपाद नायक टीवी पर बगले झांकने लगे, जब कांग्रेसी नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी ने उनसे कहा कि वह श्लोक पढि़ए, जो आसन करते समय बोला जाता है।
ब्रेक के बाद वे किसी का लिखा श्लोक पढ़ने लगे तो वह भी अशुद्ध पढ़ा। इसी तरह नरेंद्र मोदी को जितने भी आसन करते मैंने दोपहर टीवी चैनलों पर देखा, मुझे ऐसा लगा कि एक भी आसन वे सही ढंग से नहीं कर पा रहे थे। अन्य तोंदू नेताओं का मैं जिक्र क्यों करुं? आसन-प्राणायाम तो पहली सीढ़ी है, योग की! उसे तो आप नेता लोग जरा ठीक से करें। कोई बात नहीं। आप जितना कर रहे हैं, दिखावा, वह भी देश का फायदा ही करेगा। लेकिन आपको हमने सरकार में बिठाया है। आप ज़रा दवाइयों और निजी अस्पतालों में जो लूट-पाट मची हुई है, उसे रोकने के लिए कुछ कर रहे हैं या नहीं? करोड़ों लोगों को योग सिखाने का काम नेता लोग नहीं कर सकते। बाबा रामदेव जैसे लोग कर रहे हैं। आप सरकार हैं। आप वह कीजिए, जो सिर्फ आप ही कर सकते हैं।
लेखक : – डॉ.वेदप्रताप वैदिक