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Friday, November 22, 2024

कान्हा टाइगर रिजर्व में हाथियों की मौज

Kanha National Park mandla Madhya Pradesh copyमंडला- कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में बारिश के दौरान हाथी पुनरुत्थान कैम्प का आयोजन किया जाता है। इस बार यह कैंप कान्हा रेंज के देशीनाला एनीकट के पास आयोजित किया गया है। इस कैम्प में कान्हा,खटिया,किसली सहित सभी रेंजो के सभी हाथी शामिल हुए है।

हर साल बारिश के मौसम में 7 दिनों के लिए इस कैंप का आयोजन किया जाता है। इस विशेष कैम्प के दौरान दौरान की खास देख रेख की जाती है। कैंप में हाथी न सिर्फ पूरी तरह आराम करते है बल्कि उनकी विशेष देखरेख की जाती है। खाने के लिए उनका पसंददीदा भोजन परोसा जाता है।

कैंप के दौरान ही हाथी अपनी जोड़ी भी बनाते है। महावत व चाराकटर भी इस दौरान हाथियों के साथ होते है यह हाथी कैम्प ठीक वैसा होता है जैसा की बच्चो के लिए पढाई की व्यस्तता के बाद किसी समर कैम्प का आयोजन। पिछले अनेक वर्षों से कान्हा टायगर रिजर्व में विभागीय हाथियों का प्रबंधन किया जाता रहा है।

इनमें से कुछ हाथियों को देश के विभिन्न हाथी मेलों से क्रय किया गया था तथा कुछ हाथियों की पैदाइश राष्ट्रीय उद्यान में ही हुई है। शुरू से ही इन हाथियों का कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में प्रमुख उपयोग वनों एवं वन्यप्राणियों की सुरक्षा हेतु गश्ती कार्य में किया जाता रहा है, लेकिन बाद में इनका उपयोग पर्यटन प्रबंधन में भी किया जाने लगा।

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के हाथियों के स्वास्थ्य परीक्षण एवं उनके सामान्य रख-रखाव के लिए प्रति वर्ष की तरह इस वर्ष भी दिनांक 24-07-2016 से 30-07-2016 तक रिजुविनेशन केम्प का आयोजन कान्हा परिक्षेत्र के अंतर्गत देशीनाला एनीकट के समीप आयोजन किया जा रहा है।

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के इन्ही हाथियों के जिम्मे ही वर्ष भर पार्क की पैट्रोलिंग की जिम्मेदारी होती है। आधी रात से उठकर हाथी उनके महावत व चाराकटर अपने काम में जुट जाते है। बारिश के दिनों में यह पार्क की निगरानी करने ऐसी जगह भी पहुचते है जहां वाहन नहीं पहुच सकते। वर्ष भर कड़ी मेहनत करने के बाद हाथियों को इन्तजार रहता है हाथी पुनरुत्थान कैम्प का।

कैम्प के ये सात दिन हाथियों की तीमारदारी राजाओं की तरह की जाती है। इस दौरान हाथियों के पैरो पर न ही जंजीर बाँधी जाती और न ही उनसे कोई कम लिया जाता। कैम्प में हाथियों को रोज नहलाया जाता है, विशेष किस्म के आयुर्वेदिक तेलों से मालिश की जाती है, उनके खाने के लिए उनके पसंदीदा भोजन जैसे अनानास, पपीता, केला, नारियल, मक्का, गुड, रोटी आदि परोसे जाते है। हाथियों के दन्त, नाख़ून भी तराशे जाते है।

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के संचालक जे.एस.चौहान इस कैम्प को हाथी, महावत व चाराकटर के लिए काफी उपयोगी मानते है उनका कहना है कि वर्ष भर यह कड़ी महनत करते है कैम्प के दौरान उनकी सुख सुविधाओ का ख्याल रखने के साथ साथ मेडिकल चेकअप भी किया जाता है।

हाथी रिजुविनेशन केम्प के दौरान 15 विभागीय हाथियों के स्वास्थ्य की विशेष देख-रेख की जाती है। इस दौरान सभी महावत एवं चाराकटर विभागीय हाथियों को पूरा आराम देते हुए उनकी ख़ास देख रेख करते है। हाथियों को अतिरिक्त खुराक/ विटामिन्स/ मिनरल/ फल-फूल आदि परोसे जा रहे है। इस दौरान हाथियों की सेवा में लगे समस्त महावतों एवं चाराकटरों का स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जाता है।

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के सभी हाथी के साथ साथ उनके महावत व चाराकटर के लिए यह कैम्प ख़ास होता है। इस दोरान उनसे किसी तरह का कोई काम नहीं लिया जाता वर्ष भर अलग अलग रेंजो में पार्क की निगरानी करने वाले हाथियों को कैम्प के दौरान अपने सभी साथियों से मिलने का अवसर प्राप्त होता है। महावत भी अपने और हाथियोंके बीच मधुर सम्बन्ध बनाने के लिए इस कैम्प को उपयोगी मानते है। कैम्प में सभी हाथी, महावत व चाराकटर साथ साथ घुलमिलकर कुछ इस तरह साथ रहते है जैसे परिवार के सदस्य एक साथ छुट्टिया मना रहे हो।

कैंप के दौरान प्रतिदिन प्रातः चाराकटर द्वारा हाथियों को जंगल से लाकर नहलाकर रिजुविनेशन केम्प में लाया जाता है एवं केम्प में हाथियों के पैर में नीम तेल तथा सिर में अरण्डी तेल की मालिश की जाती है। इसके पश्चात केला, मक्का, आम, अनानास, नारियल आदि खिलाकर जंगल में छोड़ा जाता है। दोपहर में हाथियों को जंगल से पुनः वापस लाकर एवं नहलाकर केम्प मे लाया जाता है।

इसके पश्चात् केम्प मे रोटी, गुड, नारियल, पपीता खिलाकर उन्हें पुनः जंगल मे छोड़ा जाता है। रिजुविनेशन केम्प के दौरान हाथियों के रक्त के नमूने जांच हेतु लिए जाते हैं। हाथियों के नाखूनों की ड्रेसिंग, दवा द्वारा पेट के कृमियों की सफाई तथा हाथी दांत की आवश्यकतानुसार कटाई की जाती है।

कैम्प के दौरान हाथियों को पूरी तरह आराम देने के साथ साथ तरह तरह के आयुर्वेदिक तेलों से उनकी मालिश की जाती है, जिससे वह फिर अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए तरोताजा हो जाये। यह हाथियों के लिए अपनी जोड़ी बनाने का भी मौका होता है, जब वह अन्य साथी के साथ मिलकर अपने लिए जोड़ा तलासते है।

इस कैम्प की कितनी अहमियत है इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की खुद पार्क के संचालक इस कैम्प पर नजर बनाये रखते है बल्कि कैम्प में मौजूद रहकर महावत व चाराकटर का मनोबल भी बढ़ाते है। ऐसे केम्प के आयोजन से एक ओर जहां हाथियों में नई ऊर्जा का संचार होता है एवं मानसिक आराम मिलता है, वहीं इन सामाजिक प्राणियों को एक साथ समय बिताने का अनोखा अवसर प्राप्त होता है।

रिपोर्ट:- @सैयद जावेद अली






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