बदायूं : दावे जो भी कर लिए जाएं। सरकार बेशक बदल जाए लेकिन, सिस्टम ने मानो तय कर लिया है कि वह नहीं सुधरेगा…। मानवता को शर्मसार करने वाला मामला उत्तर प्रदेश के बदायूं में मूसाझाग थाना क्षेत्र के गांव मझारा निवासी शादिक से जुड़ा है।
सोमवार दोपहर 30 वर्षीय पत्नी मुनीशा की हालत बिगड़ने पर शादिक उसको जिला अस्पताल लाया। इमरजेंसी में पहुंचकर इलाज करने की गुहार लगाई लेकिन, जब तक इलाज ठीक से शुरू हो पाता, मुनीशा की सांसें थम गईं।
पत्नी के निधन से मानों उसका सबकुछ लुट गया। गम में दिल वैसे ही बैठा जा रहा था मगर, बारी शव घर ले जाने की आई तब भी जिम्मेदारों ने मुंह मोड़ लिया। शादिक ने इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर से शव गांव तक पहुंचवाने की गुहार लगाई। जवाब मिला-सीएमएस से जाकर फरियाद करें।
वह सीएमएस डॉ. आरएस यादव के पास पहुंचा। बिलखते हुए अपनी व्यथा बताई और गरीबी की दुहाई देकर गिड़गिड़ाता रहा, पर सीएमएस का भी दिल नहीं पसीजा। उल्टे दुत्कार कर भगा दिया।
बाहर खड़ी प्राइवेट एंबुलेंस चालकों ने शव घर पहुंचाने के लिए उससे दो हजार रुपये की मांग की, जबकि जेब में मात्र डेढ़ सौ रुपये थे। काफी देर तक गुहार लगाकर थक गया तो लाचार खुद ही शव कंधे पर डालकर डगमगाते कदमों से चल दिया घर की ओर…।
हालांकि, रास्ते में कुछ उसके जैसे गरीब मगर “दिल के अमीर” ठेले और रिक्शेवालों की नजर पड़ी तो वे मदद को आगे आए। चंदा जोड़कर शव गांव तक ले जाने के लिए वाहन किराये पर कराया।