नई दिल्ली- रियो ओलिंपिक में भारत की आखिरी उम्मीद पहलवान योगेश्वर दत्त से थी, जिनका मुकाबला 65 किग्रा भारवर्ग के क्वालिफाइंग राउंड में मंगोलिया के पहलवान मंदाखनारन गैंजोरिग से हुआ और गैंजोरिंग ने उन्हें 0-3 से हरा दिया। हालांकि इस हार के बाद दत्त के मेडल जीतने की उम्मीद खत्म नहीं होने की चर्चा थी। माना जा रहा था कि उन्हें रेपचेज राउंड में मौका मिल सकता है। इसके लिए उन्हें लक की जरूरत थी, लेकिन मंगोलिया के गैंजोरिग 1/4 फाइनल्स में रूस के पहलवान सॉसलैन रॉमोनोव से हार गए। उनकी हार के साथ ही योगेश्वर की संभावित उम्मीद भी खत्म हो गई।
योगेश्वर लाख कोशिशों के बावजूद कोई अंक हासिल नहीं कर सके और पहले राउंड से ही रियो ओलंपिक से बाहर हो गए। मुकाबले से गैंजोरिग को तीन क्लासिफिकेशन पॉइंट भी मिले, जबकि योगेश्वर को कोई अंक नहीं मिला। योगेश्वर की हार के साथ रियो में भारतीय कुश्ती दल का अभियान साक्षी मलिक के एकमात्र कांस्य पदक के साथ समाप्त हो गया।
योगेश्वर के पास था एक मौका
कुश्ती में रेपचेज वो फॉर्मूला है जिसकी वजह से भारत अब तक ओलंपिक खेलों में तीन बार पदक जीत चुका है। 2008 में हुए बीजिंग ओलंपिक के दौरान यह शब्द पहली बार भारतीय खेल प्रेमियों के जुबान पर चढ़ा। तब सुशील कुमार को इसी नियम के तहत शुरुआती दौर में हारने के बावजूद मौका मिला था और वो ब्रॉन्ज जीतने में कामयाब रहे थे।
इसके चार साल बाद 2012 खुद योगेश्वर को इसी रेपचेज नियम ने ब्रॉन्ज दिलाया था। राउंड ऑफ 16 में योगेश्वर रूस के बेसिख कुडुखोव से हार गए थे। कुडुखोव फाइनल में पहुंचे और सिल्वर जीता तो योगेश्वर को इसी रेपचेज के नियम के तहत ब्रॉन्ज के लिए खेलने का मौका मिल गया और उन्होंने यह मौका नहीं गंवाया।
इस साल रियो में साक्षी मलिक भी इसी रेपचेज की वजह से मेडल जीतने में कामयाब हुईं। क्वार्टरफाइनल में वलेरिया कोब्लोवा से हारने के बावजूद ब्रॉन्ज के लिए खेलने का मौका मिला क्योंकि कोब्लोवा फाइनल में पहुंच गई थी।
आखिर क्या है रेपचेज?
कुश्ती में रेपचेज वो नियम है जिसके तहत अगर कोई खिलाड़ी शुरुआती दौर में हार जाता है और उससे जीतने वाला खिलाड़ी फाइनल तक पहुंचता है तो हारने वाले को अपनी ताकत आजमाइश का दूसरा मिलता है। यह शब्द फ्रेंच से लिया गया है जिसका अर्थ rescue अर्थात बचाव होता है। कुश्ती में यह उस खिलाड़ी के लिए बचाव का एक और मौका होता है जो शुरुआती मुकाबले में हार जाता है।
रियो में भारत को मिले हैं मात्र 2 मेडल
ब्राजील की मेजबानी में चल रहे रियो ओलिंपिक खेलों में भारत को अब तक दो ही मेडल मिले हैं। पहला मेडल पहलवान साक्षी मलिक ने दिलाया, जो दूसरा मेडल सिल्वर के रूप में पीवी सिंधु ने जीता। ओलिंपिक में अब तक के अपने सबसे बड़े दल के साथ उतरे भारत को कई खिलाड़ियों से मेडल की उम्मीद थी, लेकिन अभिनव बिंद्रा, साइना नेहवाल, सानिया मिर्जा और लिएंडर पेस जैसे दिग्गज कुछ नहीं कर पाए। [एजेंसी]