नई दिल्ली- आम आदमी पार्टी की सरकार पर परोक्ष रूप से हमला बोलते हुए केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली ने किसी राज्य सरकार द्वारा ”चुनिंदा और अत्यधिक” विज्ञापन जारी करने पर सवाल खड़े किए और आश्चर्य जताया कि क्या यह ”राजनीतिक रिश्वत” के समान है !
उन्होंने कहा, ”अगर आज कोई सरकार अत्यधिक और चुनिंदा विज्ञापन देने का अधिकार हासिल करती है, यह ऐसा चलन है जो पहली बार देखा जा रहा है, इसके तहत मित्रों को पुरस्कृत किया जाता है और विरोधियों को दंडित किया जाता है !’
उन्होंने कहा, ”इस प्रकार चुनिंदा और अत्यधिक विज्ञापन की शक्ति का उपयोग किया जा रहा है.. मैंने एक सवाल किया है.. क्या ऐसे विज्ञापन राजनीतिक रिश्वत या राजनीतिक प्रोत्साहन होंगे?”
वित्त मंत्रालय के साथ ही सूचना प्रसारण मंत्रालय का भी प्रभार संभाल रहे जेटली ने किसी पार्टी का नाम नहीं लिया लेकिन उनकी टिप्पणी ऐसे समय आयी है जब भाजपा अरविन्द केजरीवाल नीत दिल्ली सरकार को उसके विज्ञापन बजट को लेकर निशाना बनाती रही है.
आरएसएस से संबद्ध इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि वह महसूस कर रहे थे कि ”सेंसरशिप या जेब पर भार डालने का दौर समाप्त हो गया है”, लेकिन देश में नयी पद्धति का पहला लक्षण देखा जा रहा है !
उन्होंने कहा कि वह महसूस करते हैं कि अगर ”चुनिंदा और अत्यधिक विज्ञापन” का प्रयोग सफल होता है तो ”सभी राज्य ऐसा करेंगे !”
जेटली ने कहा, ”और जो लोग उस विचारधारा के विरोधी हैं, जिसका मैं समर्थन करता हूं, उनकी चुप्पी ही काफी कुछ कह देती है !” इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर बहस की जरूरत है !
संविधान सभा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मीडिया की दो हस्तियां रामनाथ गोयनका और डी बी गुप्ता उसमें थीं और उन्होंने मीडिया की व्यावसायिक स्वतंत्रता के संरक्षण की आवश्यकता से संबंधित पहलुओं पर जोर दिया था !
उन्होंने कहा कि मीडिया की आजादी पर किसी नियंत्रण के विचार को समाज ने खारिज कर दिया है और इस दौर में, टेक्नोलोजी के कारण, यह संभव भी नहीं है !
जेटली ने कहा, ”अगर आपातकाल 1975 के बदले 2016 में लाया जाता तो टेक्नोलोजी स्वयं ही इसे परास्त कर देती !” उन्होंने कहा कि समाचार शब्द की परिभाषा बदल रही है!
उन्होंने कहा कि एक समय था जब एक समाचार पत्र पढ़ने से आपको पूरी तस्वीर मिल जाती थी ! लेकिन 24 घंटे चलने चाले न्यूज चैनलों के आने से समाचार की परिभाषा कैमरा के पकड़ने के हिसाब से बदल गयी !
जेटली ने कहा, ”कैमरा कुछ खास चीजों को पकड़ने को तरजीह देता है ! अगर अच्छा मौसम हो, अच्छी बारिश हो या अच्छी फसल हो तो यह खबर नहीं बनेगी! लेकिन अगर सूखा हो और धरती फट गयी हो तो कैमरा उसे पकड़ सकता है और यह खबर बन जाती है !’
उन्होंने कहा कि यहां तक कि विदेशी चैनल भी अपने बुलेटिन में खबरों का पैकेज देते हैं लेकिन भारतीय चैनल एक ही खबर दिन भर दिखाते हैं, भले ही वास्तविक सच्चाई के संदर्भ में इसका ज्यादा महत्व हो या नहीं !
जेटली ने सशक्तिकरण उपकरण के रूप में डिजिटल मीडिया की सराहना की लेकिन साथ यह भी कहा कि यह भी महत्वपूर्ण है कि इसका उपयोग जिम्मेदारी के साथ किया जाए अन्यथा इस उपहार का उलटा असर भी हो सकता है ! इस कार्यक्रम में जेटली ने कई पत्रकारों को सम्मानित भी किया !
वरिष्ठ पत्रकार श्याम खोसला को ”लाइफटाइम” उपलब्धियों के लिए नारद सम्मान दिया गया ! कई अन्य पत्रकारों को भी अन्य श्रेणियों में सम्मानित किया गया ! इसमें इंडियन एक्सप्रेस के फोटो जर्नलिस्ट रवि कनौजिया भी शामिल थे जिनकी हाल में एक दुर्घटना में मौत हो गयी !