नई दिल्ली- रामनाथ गोयनका जर्नलिज्म अवॉर्ड्स में वरिष्ठ पत्रकार अक्षय मुकुल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अवॉर्ड लेने से इंकार कर दिया। आखिर अक्षय मुकुल कौन हैं और उन्होंने पीएम मोदी से अवॉर्ड क्यों नहीं लिया?
मुकुल ने बताई ये वजह
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी की विचारधारा का वो बहिष्कार करते हैं। इसी के विरोध स्वरूप उन्होंने पुरस्कार लेने से मना किया। उन्होंने कहा कि मैं मोदी और अपनी विचारधारा को एक फ्रेम में नहीं रख सकता। कारवां मैगजीन को दिए इंटरव्यू अक्षय मुकुल ने बताया कि पीएम मोदी की और उनकी विचारधारा अलग है। पीएम मोदी जिस समय मुझे अवॉर्ड दे रहे थे तो कैमरे में देखकर मुस्कुरा रहे थे।
मुकल ने कहा कि वो रामनाथ गोएनका अवार्ड लेने में सक्षम नहीं थे। उन्होंने द कैरवां के पत्रकार को बताया कि विजेताओं में से एक होना मेरे लिए सम्मान की बात है लेकिन मैं और मोदी के विचार एक ही फ्रेम में नहीं रह सकते। यहां तक कि वो मुझे अवार्ड देने के लिए कैमरे की ओर देखकर मुस्कुरा रहे थे। मुकुल ने दिल्ली स्थित पटियाला हाईकोर्ट में हुई उस घटना का जिक्र किया जिसमें कुछ पत्रकारों और छात्रों पर भारतीय जनता पार्टी के ओपी शर्मा के नेतृत्व में हमला किया गया था।
20 साल तक की है रिपोर्टिंग
उन्होंने कहा कि अवॉर्ड के लिए चुना जाना मेरे लिए सम्मान की बात है। हालांकि रामनाथ जी हमेशा अपने आदर्शों के लिए प्रतिबद्ध थे। बता दें कि अक्षय मुकुल को उनकी किताब गीता प्रेस एंड मेकिंग ऑफ हिंदू इंडिया के लिए यह अवॉर्ड दिया गया।
अक्षय मुकुल की जगह हार्पर कॉलिंस के चीफ एडिटर और पब्लिशर कृशन चोपड़ा ने अवॉर्ड लिया। ये किताब हिंदुत्व की विचारधारा का मार्ग तलाशती है।
अक्षय मुकुल ने करीब 20 साल तक बतौर रिपोर्टर काम किया है। मुकुल को नॉन फिक्शन बुक की कैटेगरी में यह अवॉर्ड दिया गया है। अगस्त 2015 में रिलीज होने के बाद से ही उनकी ये किताब चर्चा में रही है। टाटा लिटरेचर लाइव, बुक ऑफ द ईयर अवॉर्ड समेत कई अवॉर्ड मिल चुके हैं। [एजेंसी]