16.1 C
Indore
Saturday, December 21, 2024

गुजरात विकास मॉडल मुखौटा या सच्चाई

उत्तर गुजरात के साबरकांठा जिले में 28 सितम्बर को नवजात बच्ची से बर्बर तरीके से बलात्कारकरने वाले शख्स के बहाने यूपी, बिहार, राजस्थान और यहां तक कि मध्य प्रदेशके प्रवासी मजदूरों को निशाना बनाया गया – सरकार के अनेकों दाबे के बावजूद प्रवासी मजदूर गुजरात छोड़ने पर मजबूर दिखे और अंत में इस घटना को राजनितिक रूप भी दे दिया गया और यह तो होना ही था. क्या यह घटना गुजरात के विकास मॉडल की पोल खोलता है?

बेहतर जिंदगी का सपना टूटा
हमला शुरू होने के बाद रातोंरात बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर गुजरात से अपने गृह राज्य जैसे-तैसे वापस चले आये. राज्य हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में दावा किया गया है कि अरमानों कीगठरी सिर और कांधे पर लादे करीब दो लाख मजदूर गुजरात छोड़कर जा चुके हैं.
दरअसलउत्तर भारतियों के खिलाफ भड़के आक्रोश,नफरत और दहसत के इस माहौल को इस बात से समझा जा सकता है की राज्य का सामाजिक,आर्थिक ढांचा वहां के मूल निवासियों की जाएज़ मांगों को पूरा करने में असर्मथ रहा है, स्थानीय निवासियों में बेरोजगारी,शिक्षा का आभाव,लचर स्वास्थय सेवाएं, तकरीबन आधी आबादी के बच्चों में व्याप्त कुपोषण इस बात की गवाही देता है की विकास के मॉडल का जो दावा किया गया था वह खोखला और निराधार था और इन समस्याओं से जूझ रहे स्थानीयनिवासियों के अंदर गुस्सा पल रहा था जिसे राजनेतिक नेतृत्व के जरिये पूरा किया जाना था किन्तु इसे भावनात्मक तरीके से भुनाने की कोशिस की गयी नतीजा हमारे सामने है.

फायनेंसियल क्रोनिकल के 13 अक्टूबर को छपे एक लेख के अनुसार गुजरात के अब तक 5000 से जयादा प्रवासी मजदूर गुजरात छोड़ कर जा चुके हें. जब इस सम्बन्ध में गुजरात से वापस आरहे प्रवासी मजदूर से हमने जानना चाहा की आप की क्यों वापस आरहे हैं तो उनके जवाब चौकाने वाले थे – आप भी सुनें –दिनेश से हमारे साथी अमरजीत ने गाजीपुर के दुल्लाह पुर स्टेशन पर बात की – यह तभी स्टेशन पर उतरे ही थे–“हम लोग गुजरात इसलिए जाते हैं की वहां काम आसानी से मिल जाता है –वहां साड़ी का काम ज्यादा है हम उसी में काम कर रहे थे – काम धंधा भी ठीक ही चल रहा था की अचानक से हमारा मालिक रात को बताया की यहाँ विवाद होगया है तुम लोग आज ही घर चले जाओ.

वहां हम सब छोटी जाती के लोग अधिक हिंसा के शिकार हुए, छोटी जाती के लोगों को अधिक मारा पीटा गया है. कईयों को बंधक बनाकर बहोत बुरी तरह पीटा गया है, संबिधान का हवाला दिया गया और पुछा संबिधान सभी को समानता का अधिकार देता है तो इसके जवाब में दिनेश कहते हैं की यह सब दिखावा है,पुलिस वाले के सामने ही स्थानीय लोग हम लोग को मार पीट रहे थे वो खड़े होकर तमाशा देख रहे थे,कई को चाकू और लाठी से मार रहे थे, हमारे एक साथी को ही बुरी तरह घायल कर दिया मार-मार कर,पता नहीं की वो अब जिन्दा है या मर गया, उसका फ़ोन नहीं लग रहा है घर जाकर देखते हैं क्या हुआ उसका. यह सरकार से सिर्फ इतना कहना चाहते हैं की ऐसा कोई प्रावधान हो की किसी भी जाती के लोगों को कहीं भी जाकर काम करने दिया जाए और उसे काम मिल जाए, जाती के आधार पर उसे काम से वंचित नहीं रखा जाए”.

लेकिन गुजरात चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के चेयरमैनशैलेश पटवारीका कहना है की गुजरात की प्रसाशन और सभी अधिकारी वह सब कुछ कर रहें हैं जिससे की प्रवासी मजदूरों को बचाया जा सके और अब हालत काबू में हैं. वही गुजरात पुलिस के डायरेक्टर जनरल श्री प्रमोद कुमार का कहना है छिट- पुट घटनाएं हुई है – कोई भी बडी घटना नहीं हुई और अब हालत पर पूरी तरह काबू पा लिया गया है – प्रसाशन हर तरफ नज़र बनाये हुए है और सभी प्राकर के अप्रत्यासित घटना को अंजाम देने वालों को बक्सा नहीं जारहा – 400 से जयादा लोगों को गिरफ्तार किया गया वहीँ 50 से अधिक एफ आई आर दर्ज की गयी है.

एक अनुमान के मुताबिक गुजरात की कुल आबादी 6 करोड़ है जहाँ तकरीबन 1 करोड़ प्रवासी हैं, यह मुख्यतःबिहार और यु पी के हैं, दुष्कर्म की घटना के बाद मुख्य रूप से उत्तर गुजरात के 6 जिलों से प्रवासी मजदूरों का उल्टा पलायन शहरों से गाँव की तरफ शरू हुआ है. इस सम्बन्ध में मोबाइल वाणी के साथी ने 50 से ज्यादा गुजरात से वापस आये मजदूरों से बात की और उनकी व्यथा मोबाइल वाणी पर रिकॉर्ड किया. उम्मीद की जारही है इनकी इस कहानी से प्रसाशन जागेगा और इनके लिए न्याय सुनिश्चित होगा. हमने इस सम्बन्ध में गुजरात से वापस आये कुछ और लोगों से बात की आइये सुनते हैं क्या कहना है इन लोगों का और इसके लिए किसे जिम्मेदार मानते हैं?

बिहार के जमुई जिले से अजित सिंह जो गुजरात के भुज में प्लस पॉइंट टेक्सटाइल्स कंपनी में तकनीशियन के रूप में कार्य करते थे, आजित बिहार से ही आई टी आई की प्रसिक्षण प्राप्त करने के बाद अपने राज्य में ही काम की तलाश कर रहे थे लेकिन काम न मिलने के कारण इन्हें गुजरात जाना पड़ा. बताते हैं की इनके साथ 3 और गुजरात के स्थानीय लोग काम करते थे जो इसका समय समय पर मजाक बनाते थे , गुजराती भाषा न आने पर इनके साथ भद्दा मज़ाक किया जाता था–चिढ़ाया जाता था जिसकी शिकायत अपने सुपरवाइजर को भी किया लेकिन वह भी इसे अनदेखा किया कर देते थे,कहते हैं की गुजरात सरकार को सुरक्षा और शांति का माहौल बनाना चाहिए ताकि प्रवासी मजदूर सुरक्षित महसूस करे.

बिहार के ही मधुबनी जिले से गुजरात से लौटे भिखारी कामत जो गुजरात में मजदूरी कर रहे थे – दुष्कर्म की घटना के बाद दंगा भड़कने के बाद वापस आगए हैं इनके अनुसार – यह गुजरात में काम करके परिवार और बच्चों को पालते थे कहते हैं की ट्रेन पकड़ने के समय टिकट काउंटर पर टिकट लेते समय भी स्थानीय लोग और पुलिस प्रवासी मजदूरों को मार पीट रहे थे, ट्रेन से खिंच-खिंच कर लोगों को पीट रहे थे, ट्रेन के अन्दर घुस कर प्रवासी मजदूरों को पीटा जा रहा था, किसी प्रकार जान बचाकर घर लौटे हैं, प्रवासी मजदूरों के साथ हुई इस हिंसक घटना के लिए गुजरात सरकार को जिम्मेदार मानते हैं.

इस प्राकर मोबाइल वाणी द्वारा श्रम का सम्मान अभियान चलाया गया और इस अभियान में 70 से जयादा लोगों ने दर्द भरी कहानी रिकॉर्ड की है – याद रखें की वह खुद प्रवासी मजदूर रहे हैं या उनके परिवार के सदस्य कभी प्रवासी मजदूर रहे हैं और काम करते समय इनका अनुभव बहोत अच्छा नहीं रहा है.

सरकार की मौजूदा आर्थिक नीति और विकास
मौजूदा आर्थिक नीति पर नज़र डालते हैं और जानने का प्रयास करते हैं की आखिरइतने बड़े स्तर पर उत्तर प्रदेश,बिहार और साथ ही साथ राजस्थान,मध्य प्रदेश,उत्तराखंड,पंजाब,पश्चिम बंगाल से क्यों इतने बड़े स्तर पर पलायन होता है? पलायन के बाद भी इन प्रवासी मजदूरों की जिंदगी बेहतर क्यों नहीं होती? क्यों इन्हें कुशल कारीगर की श्रेणी में नहीं रखा जाता या इन्हें व्यवस्थित उद्द्योग में काम नहीं मिलता?

अर्थशास्त्रियों का मानना है की पलायन से शहरों की नागरिक सुविधाएं चरमरा जाती है नतीजा प्रवासी और स्थानीय लोगों के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक विरोधाभास उत्तपन्न होता है और कई बार यह एक विकराल रूप धारण करता है और विस्फोट के तौर पर हिंसात्मक माहौल बन जाता है. एक अनुमान के मुताबिक 13,90,00,000लोग गाँव से शहरों की ओर पलायन करते हैं जो रोजगार और अर्थव्यवस्था के उथल पुथल में बड़ी भूमिका निभाते हैं. अर्थशास्त्री यह भी मानते हैं की चुकी यह कुशल कारीगर नहीं होते इसलिए इनकी परीशानी शहरों में और भी बढ़ जाती है. आइये एक नज़र डालते हैं सरकार के प्रयासों पर जिससे पता चलेगा की अब तक तकनीक शिक्षा और प्रशिक्षण को बेहतर करने के लिए क्या किया गया?

केंद्र सरकार तकनीक और उद्दमिता के विकास और प्रशिक्षण के लिए सन 2016–17 में1,804 करोड़ के वजट का प्रावधान था जिसे 2017–18 में बढ़ाकर 3,016 करोड़ कर दिया गया. इसी प्रकार आजीविका, तकनीक शिक्षा प्रशिक्षण और रोजगार के लिए कुल बजट 2017 में 17,273 रखा गया जो की इतने बड़े अकुशल श्रमिक के प्रसिक्षण और आजीविका के साधन मुहैया करने उद्देश्य से बहोत कम है.

मनमोहन सिंह की सरकार में आर्थिक सलाहकार और योजना आयोग के चेयरमैन मोंटेक सिंह अहलुवालिया ने कई सेमिनारों में कह चुके हैं और फायनेंसियल क्रोनिकल के इस लेख के अनुसार पलायन को रोकने के लिए सरकार की ओर से मनरेगा, राष्ट्रीय स्वास्थय मिशन, सर्व शिक्षा अभियान, खाद्य सुरक्षा कानून के जरिए इन ग्रामीण वासियों को बड़ी सुरक्षा देने का प्रयास किया गया था जिसे बाद में या यूँ कहें की मौजूदा सरकार ने अनदेखी कीऔर बड़ी संख्या में पलायन शुरू हुआ. बेरोजगारी का आलम यह है की मार्च 2018 रेलवे बोर्ड ने सम्पूर्ण भारत के लिए 10,000 लोगों की भर्ती का विज्ञापन जारी किया. इस भर्ती के लिए लाइन मेन,पोर्टर और इलेक्ट्रीशियन को नौकरी मिलनी थी जिसके लिए 230,000 लोगों ने नामांकन दाखिल दाखिल किया . इसी प्रकार 2015 में उत्तर प्रदेश सरकार ने 368 पद जो की सचिवालय के लिए क्लर्क के जॉब के लिए था . 23 लाख से जयादा आवेदन प्राप्त किए जिसमें 255 पी एच डी और 152000 स्नातक पास छात्रों ने आवेदन किया. अगर हम राष्ट्रीय बेरोजगारी की दर को देखें तो यह 3.4% है और यह दर्शाता है की किस प्रकार व्यवस्थित उद्योग और कारखानों में नौकरी की कमी आई है. हाल ही में जारी अजीम प्रेमजी विश्व विद्यालयद्वारा रिपोर्ट के अनुसार –7% की विकास दर केवल 1 प्रतिशत रोजगार को बढ़ा पाया जबकि 1970-80 के दशक में 3–4% की राष्ट्रीय विकास दर ने रोजगार को 2% बढ़ाया था. इस रिपोर्ट के अनुसार 2015 में बरोजगारी 5% थी जोकि पिछले 20 सालों में सबसे ज्यादा है जब की कई बार मौजूदा नीति को सफल नीति के
तौर पर प्रस्तुत किया जा चूका है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरे भारत वर्ष में 46,70,00,000 कुल श्रम शक्ति है जिसका 46.6% प्रतिशत खुद का काम करते हैं, 32.8% अनियमित श्रमिक है और केवल 17% लोगों के पास नियमित रोजगार है और बाकी श्रमिक ठेके पर काम में रखे जाते हैं. उत्पादन आधारित कंपियों और उद्द्योगों में मुख्य रूप से ठेके पर काम पर रखे जाते हैं. नियमित श्रमिकों में केवल10% श्रमिकों के पास रोजगार का सबूत है रिपोर्ट से यह भी साबित होता है की बेरोजगारी खास कर युवा और उच्च शिक्षा प्राप्त छात्रों में बेरोजगारी 16% है जो सरकार को चौकाने के लिए काफी है.

गुजरात सरकार की नीति
अब इन ठोस आंकड़ों से मूंह मोड़ कर कर राज्य वासियों को झूठा एहसास दिलाया गया कि वे दूसरे राज्यों के लोगों से बेहतर हैं और उन्हें रोजगार के बेहतर साधन और स्थान प्रदानकिए जायेंगे और ख़ास कर गुजरात वासी को खुद का रोजार करने और इसके अवसर प्रदान करने का आश्वासन भी दिया गया. 14 माह की बच्ची के साथ दुष्कर्म के बाद ऐसा प्रतीत होता है की आसपास के गांवों में मामले का प्रचार करके लोगों को भड़काया गया.उसी रात उन फैक्ट्रियों पर हमले हुए, जिनमें ज्यादातर प्रवासी मजदूर काम कररहे थे. इस हिंसा की चपेट में जो लोग आएउनका कसूर सिर्फ इतना था कि वेभी प्रवासी थे. इसका मतलब यह है कि उन्हें अलग वजहों से निशाना बनाया गया , मामले को राजनितिक रंग दिया गया और अपनी जवाबदेही अन्य के सर मढ़ दिया – सम्पूर्ण घटना के लिए अल्पेश ठाकुर को जिम्मेदार ठहराया गया .राज्य सरकार ने इस मामले का राजनीतिकरण किया और जवाबदेहीकांग्रेस एमएलए अल्पेश ठाकुर पर डाल दी.

हालांकि, यह बात भी याद रखनी चाहिए कि अल्पेश ने हार्दिक पटेल के आरक्षण आंदोलन कीमांग के खिलाफ ओबीसी समुदाय को एकजुट करके अपनी राजनीतिक पहचान बनाई है. वहआज की परिस्थितियों की उपज हैं, जिस तरह से 2002 में आज के प्रधान मंत्री ने जाति-समुदायआधारित नाराजगी और मांगों के बीच हिंदुत्व लोगों को एकजुट करने के लिए अपनाया आज यह राजनीतिक हथियार नहीं रह गया और लोग अपनी मांग मुखर होकर रखने लगे हैं किन्तु बार बार धर्म जाती के बीच लोगों को बाँट कर राजनितिक सत्ता हथियाने का प्रयास किया जाता रहा है.

अगस्त 2015 से राज्य में सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण कीमांग को लेकर पटेल आंदोलन कर रहे हैं. यह अजीब विरोधाभास है इसी समुदाय ने 1985 में ओबीसी आरक्षण 10 से 28 प्रतिशत करने के कांग्रेस सरकार के फैसलेके खिलाफ आंदोलन करके राज्य को पंगु बनाया था. आज वे खुद को ओबीसी वर्गमें शामिल करने की मांग कर रहे हैं ताकि उन्हें आरक्षण का लाभ मिले. इससमस्या की जड़ पीढ़ी दर पीढ़ी शहरी और खेती की जमीन का बंटवारा और नईइकोनॉमी से रोजगार के पर्याप्त मौके नहीं मिलना है.

प्रवासी और स्थानीय लोगों में टकराव
गुजरातमें प्रवासियों का लंबा इतिहास रहा है क्योंकि मजदूरी को गुजराती समाज मेंअच्छा नहीं माना जाता. यहां की संस्कृति उद्यमशीलता रही है. इसलिएइंडस्ट्री को कुशल-अकुशल श्रमिकों की जरूरत प्रवासियों से पूरी करनी पड़ी.लिहाजा, साल दर साल प्रवासी कामगारों की संख्या बढ़ती गई. इनमें से कइयोंने गुजरात को अपना घर मान लिया और यहीं बस गए. सूरत जैसे औद्योगिक क्षेत्रों मेंयह चलन खास कर देखने को मिलता है.
दूसरीतरफ, प्रदेश सरकार ने कथित गुजरात मॉडल की खामियों को दूर नहीं किया.स्थानीय लोग किन मसलों से जूझ रहे हैं,इसका पता लगाने की कोशिश तक नहींहुई. ना ही युवाओं को वैकल्पिक रोजगार के बारे में सलाह दी गई. इससेस्थानीय लोगों में नाराजगी बढ़ती गई, जो 2015 से सामाजिक आंदोलन के रूप मेंहमारे सामने आया. स्थानीय लोगों की समस्याओं का स्थायी हलतलाशने के बजायराज्य सरकार का ध्यान उद्योगों की दिक्कत दूर करने में लगा रहा.

इसे पूरे मामले में प्रवासीलास्ट मिनट वोट बैंक के तौर पर उभरे. 15 साल के डोमिसाइल नीति से इंडस्ट्रीको मजदूरों को बनाये रखने में दिक्कत हो रही थी. इस नीति को लेकर तबविवाद खड़ा हुआ जब सरकार ने गुजरात के पैरामेडिकल और मेडिकल कोर्स मेंदाखिले के लिए डोमिसाइल सर्टिफिकेट को अनिवार्य कर दिया.इसके बाद मौजूदा मुख्या मंत्री ने प्रस्ताव रखा कि 15 साल के बजाय गुजरात में दो साल तकरहने वाले को डोमिसाइल यानी स्थानीय निवासी माना जाएगा. संतुलन साधने औरगुजरातियों की नाराजगी से बचने के लिए इसके साथ यह प्रस्ताव भी लाया गया किराज्य के उद्योगों को 80 % रोजगार स्थानीय लोगों को देना होगा.

प्रवासियोंके खिलाफ हिंसा भड़कने से कुछ दिन पहले मुख्य मंत्री रूपाणी ने अहमदाबाद में एककार्यक्रम में कहा था,‘सर्विस सेक्टर सहित जो भी कंपनियां गुजरात मेंबिजनेस शुरू करेंगी, उन्हें 80 % रोजगार गुजरातियों को देना होगा.मतलब साफ है कि सरकार प्रवासियों और स्थानीय लोगों, दोनों को खुश रखने कीकोशिश कर रही थी.

एक तरफ उसने डोमिसाइल की मान्यता की अवधि 15 साल सेघटाकर दो साल करने की बात कही तो दूसरी तरफ इंडस्ट्री में उसने 80 %नौकरी गुजरातियों के लिए आरक्षित करने का ऐलान किया. यह देखना बाकी है किइन मामलों में राज्य सरकार आखिर में क्या करती है. वहीं, अल्पेश नेबलात्कार मामले का इस्तेमाल गुस्साए ओबीसी की समस्याओं को सामने लाने केलिए किया, लेकिन उन्हें दोष देकर सतारूढ़ पार्टी सियासी फायदा लेने की कोशिश में है.

सत्तारूढ़ दल का झूठा दावा?
2013 के लोक सभा चुनाव में माननीय प्रधानमंत्री ने चुनावी रैलियोंमें दावा किया था कि गुजरात आदर्श राज्य है और पूरे उत्तर भारत से लोगनौकरी के लिए वहां जाते हैं. उन्होंने कई रैलियों में कहा था,‘जैसे हीट्रेन गुजरात में प्रवेश करती है, परिवार वाले खुद को सुरक्षित महसूस करनेलगते हैं अब क्या यह सिर्फ दास्ताँ बन कर रह जाएगी या उत्तर भारतियों के खिलाफ हुई हिंसा के प्रति सत्तारूढ़ दल और सरकार अपना मुंह मोड़ लेगी? अभी मध्य प्रदेश और राजस्थान में चुनाव है फिर 2019 में लोक सभा चुनाव है – गुजरात से वापस जाने वाले प्रवासी मजदूर अपनी व्यथा औरों से सुनायेंगे फिर यह भी न भूलें की प्रधान मंत्री बनारस जाकर कैसे कहेंगे की माँ गंगा ने बुलाया है और बनारस वासियों का आशीर्वाद उन्हें प्राप्त होजायेगा. इन सब चक्र से इतना तो साफ़ हुआ की गुजरात विकास का मॉडल केवल हवा बनाने के लिए था ठीक उसी प्रकार जैसे गैस से भरा गुब्बारा 2 दिन बाद गैस निकल जाने के बाद अपने असली रूप में जमीन पर पड़ा मिलता है.

लेखक : सुल्तान अहमद
आप अपने सुझाव और प्रतिक्रिया से लेखक को अवगत करें -sultan.lehar@gmail.com

Related Articles

स्मार्ट मीटर योजना: ऊर्जा बचत के दूत बन रहे हैं UP MLA

लखनऊ। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी RDSS (रीवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम) ने एक बार फिर अपने उद्देश्य को सार्थक किया है। आम जनता के मन...

EVM से फर्जी वोट डाले जाते है! BSP देश में अब कोई भी उपचुनाव नहीं लड़ेगी- मायावती

बसपा प्रमुख मायावती ने कहा पहले देश में बैलेट पेपर के जरिए चुनाव जीतने के लिए सत्ता का दुरुपयोग करके फर्जी वोट डाले जाते...

Sambhal Jama Masjid Survey- संभल शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान पथराव,हंगामा उपद्रवियों को हिरासत में लिया

Jama Masjid Survey Live: एसपी ने कहा कि उपद्रवियों ने मस्जिक के बाहर उपनिरिक्षकों की गाड़ियों में आग लगाई थी. साथ ही पथराव किया...

इंदौर में बसों हुई हाईजैक, हथियारबंद बदमाश शहर में घुमाते रहे बस, जानिए पूरा मामला

इंदौर: मध्यप्रदेश के सबसे साफ शहर इंदौर में बसों को हाईजैक करने का मामला सामने आया है। बदमाशों के पास हथियार भी थे जिनके...

पूर्व MLA के बेटे भाजपा नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस, BJP पर लगाया यह आरोप

भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर में भाजपा को झटका लगा है। अशोकनगर जिले के मुंगावली के भाजपा नेता यादवेंद्र यादव...

वीडियो: गुजरात की तबलीगी जमात के चार लोगों की नर्मदा में डूबने से मौत, 3 के शव बरामद, रेस्क्यू जारी

जानकारी के अनुसार गुजरात के पालनपुर से आए तबलीगी जमात के 11 लोगों में से 4 लोगों की डूबने से मौत हुई है।...

अदाणी मामले पर प्रदर्शन कर रहा विपक्ष,संसद परिसर में धरने पर बैठे राहुल-सोनिया

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण भी पहले की तरह धुलने की कगार पर है। एक तरफ सत्ता पक्ष राहुल गांधी...

शिंदे सरकार को झटका: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘दखलअंदाजी’ बताकर खारिज किया फैसला

मुंबई :सहकारी बैंक में भर्ती पर शिंदे सरकार को कड़ी फटकार लगी है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे...

सीएम शिंदे को लिखा पत्र, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को लेकर कहा – अंधविश्वास फैलाने वाले व्यक्ति का राज्य में कोई स्थान नहीं

बागेश्वर धाम के कथावाचक पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का महाराष्ट्र में दो दिवसीय कथा वाचन कार्यक्रम आयोजित होना है, लेकिन इसके पहले ही उनके...

Stay Connected

5,577FansLike
13,774,980FollowersFollow
136,000SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest Articles

स्मार्ट मीटर योजना: ऊर्जा बचत के दूत बन रहे हैं UP MLA

लखनऊ। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी RDSS (रीवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम) ने एक बार फिर अपने उद्देश्य को सार्थक किया है। आम जनता के मन...

EVM से फर्जी वोट डाले जाते है! BSP देश में अब कोई भी उपचुनाव नहीं लड़ेगी- मायावती

बसपा प्रमुख मायावती ने कहा पहले देश में बैलेट पेपर के जरिए चुनाव जीतने के लिए सत्ता का दुरुपयोग करके फर्जी वोट डाले जाते...

Sambhal Jama Masjid Survey- संभल शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान पथराव,हंगामा उपद्रवियों को हिरासत में लिया

Jama Masjid Survey Live: एसपी ने कहा कि उपद्रवियों ने मस्जिक के बाहर उपनिरिक्षकों की गाड़ियों में आग लगाई थी. साथ ही पथराव किया...

इंदौर में बसों हुई हाईजैक, हथियारबंद बदमाश शहर में घुमाते रहे बस, जानिए पूरा मामला

इंदौर: मध्यप्रदेश के सबसे साफ शहर इंदौर में बसों को हाईजैक करने का मामला सामने आया है। बदमाशों के पास हथियार भी थे जिनके...

पूर्व MLA के बेटे भाजपा नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस, BJP पर लगाया यह आरोप

भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर में भाजपा को झटका लगा है। अशोकनगर जिले के मुंगावली के भाजपा नेता यादवेंद्र यादव...