शुक्रवार को अफगानिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री गुलबुद्दीन हिकमतयार की जान लेने की कोशिश की गई। उनकी काबुल स्थित हिकमतयार की बिल्डिंग पर कुछ आत्मघाती हमलावरों ने धावा बोला, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और 2 अन्य घायल हो गए। सुरक्षा गार्डों ने 2 हमलावरों को उस वक्त मार गिराया, जब उन्होंने एक मस्जिद में घुसने की कोशिश की, जहां हिकमतयार और उनके समर्थक शुक्रवार की नमाज के लिए इकट्ठा हुए थे। हिकमतयार के कार्यालय ने बयान जारी कर कहा कि पूर्वपीएम इस अटैक में बाल-बाल बच गए। हिकमतयार हिज्ब-ए-इस्लामी पार्टी के नेता हैं। अभी तक किसी भी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है।
बुर्का पहनकर घुसे हमलावर
मिली जानकारी के मुताबिक हमलावर बुर्का पहनकर ऑफिस एरिया में घुसे, लेकिन वेटारगेट तक नहीं पहुंच सके। उस वक्त शुक्रवार की नमाज चल रही थी। हमले के बाद हिकमतयार ने एक वीडियो संदेश में कहा कि हमलावर महिलाओं के बुर्का में छिपकर घुसे थे और धमाका कर उन्हें उड़ाने के मकसद से आए थे। हिकमतयार ने कहा, ‘मैं अपने देशवासियों को बताना चाहता हूं कि यहां एक असफल प्रयास उन लोगों की ओर से किया गया, जिन्होंने कई बार ऐसा किया है, लेकिन विफल रहे हैं।’
काबुल का कसाई
आपको बता दें कि गुलबुद्दीन हिकमतयार ने 1970 के दशक के मध्य में हिज्ब-ए-इस्लामी की स्थापना की थी। उन्होंने पाकिस्तान की मदद से सोवियत संघ के खिलाफ मुजाहिदीनों का नेतृत्व किया था। सोवियत सेना के खिलाफ उनकी कामयाबी को देखते हुए पाकिस्तान और अमेरिका ने उन्हें पूरा समर्थन दिया। 90 के दशक में जब
अफगानिस्तान में गृह युद्ध शुरू हुआ, तो इस दौरान हिकमतयार ने काबुल पर कब्जे के लिए इतने रॉकेट दागे कि उन्हें ‘काबुल का कसाई’ कहा जाने लगा। इन रॉकेट हमलों में बड़े पैमाने पर आम लोग भी मारे गए थे।