व्यवहारिक ज्ञान, आचार विचार और संस्कार से ही, व्यक्तित्व का विकास सम्भव- राज्यपाल ‘‘कलिंगा विश्वविद्यालय‘‘ के चतुर्थ दीक्षांत समारोह में हुई शामिल
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके कलिंगा विश्वविद्यालय के चतुर्थ दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं। राज्यपाल ने उपाधि एवं पदक प्राप्त करने वाले समस्त विद्यार्थियों को, उनकी उपलब्धि के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए, राज्यपाल ने कहा कि उद्देश्यों और लक्ष्यों के बिना, जीवन में सफलता नहीं मिलती है। इसलिए उन्होंने जीवन में सफलता के लिए सभी विद्यार्थियों को लक्ष्य तय कर, अच्छे उद्देश्यों के साथ आगे बढ़नें को कहा।
राज्यपाल सुश्री उइके आज नवा रायपुर स्थित कलिंगा विश्वविद्यालय के चतुर्थ दीक्षांत समारोह में सम्मिलित होकर, वर्ष 2020, 2021 एवं 2022 के विद्यार्थियों को उपाधि एवं पदक वितरित किए। इस अवसर पर 189 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक, 218 को पी.एच.डी उपाधि, 1745 विद्यार्थियों को स्नातकोत्तर उपाधि एवं 4562 विद्यार्थियों को स्नातक की उपाधि सहित कुल 6,525 छात्रों को उपाधि प्रदान की गई।
राज्यपाल ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बेहतर कार्यान्वयन से अगली पीढ़ी के शैक्षणिक जीवन में सकारात्मक बदलाव आएगा। नई शिक्षा नीति के संबंध में उन्होंने कहा कि यह नीति समानता, गुणवत्ता, और जवाबदेही के मूलभूत सिद्धांतों पर बनाई गई है। इसका उद्देश्य स्कूल और कॉलेज शिक्षा दोनों को ही अधिक समग्र, लचीला, बहु-विषयक और 21 वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुकूल क्षमताओं को सामने लाना है। नई शिक्षा नीति के माध्यम से भारत को एक जीवंत ज्ञान समाज और वैश्विक ज्ञान महाशक्ति में बदलना है। स्थानीय भाषा में शिक्षा देना भी नई शिक्षा नीति की एक महत्वपूर्ण विशेषता है। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा मेडिकल एवं अभियांत्रिकी की पढ़ाई हिंदी में कराए जाने को स्वागत योग्य बताया। उन्होंने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों, शिक्षकों, प्रशासनिक अधिकारियों का दायित्व है कि इस शिक्षा नीति को धरातल पर उतारें तभी इसका लाभ हमारे छात्रों को मिल सकेगा। उन्होंने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए, उच्च शिक्षा में सुधार के लिए सभी विश्वविद्यालयों को बेहतर तरीके से कार्य करते हुए, अपनी नैक ग्रेडिंग के सुधार के लिए कार्य करना चाहिए।
राज्यपाल ने विद्यार्थियों से कहा कि दीक्षांत समारोह का दिन जीवन का एक महत्वपूर्ण चरण होता है। दीक्षांत समारोह को जीवन और सुनहरे भविष्य की एक शानदार सीढ़ी बताते हुए कहा कि जब आप संस्था से बाहर निकलेंगे तो जीवन आपको सीखने का भरपूर अवसर देगा। उन्होंने समस्त विद्यार्थियों एवं उनके अभिभावकों एवं शिक्षकों के लिए गौरव का क्षण है। उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा कि हम सभी ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना के माध्यम से वैश्विक संस्कृति का हिस्सा बन चुके हैं। ऐसे वैश्विक परिवेश में युवाओं को अनेक आकर्षक अवसर तो प्राप्त हो रहे हैं किन्तु साथ ही वैश्विक चुनौतियाँ भी मिल रही हैं। इन चुनौतियों का सामना और उसका समाधान करके ही, विद्यार्थी अपने उज्जवल भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी ज्ञान प्राप्त करें, विनम्र रहें, उदार बनें तथा निंरतर सीखते रहें। निश्चित रूप से जीवन में सफलता मिलेगी।राज्यपाल ने शिक्षकों से आग्रह करते हुए कहा कि बदलती परिस्थितियों के मुताबिक, स्वयं को अपडेट करें और विद्यार्थियों को इसी के अनुरूप शिक्षा दें ताकि वे राष्ट्र और समाज के विकास में अपनी भागीदारी निभा सकें। राज्यपाल ने ज्ञान के विस्तार में अनुसंधान की भूमिका को अहम बताया। उन्होंने अनुसंधान की सुविधाओं को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बेहतर बनाने एवं विद्यार्थियों में अनुसंधान में रूचि के विकास की आवश्यकता बताई। अनुसंधान विकास के नए रास्ते खोलती है। इसलिए युवा प्रतिभाओं को नयी खोज के लिए प्रेरित करना होगा।
राज्यपाल ने शिक्षा के सर्वांगीण विकास पर कहा कि हमारे गौरवशाली मूल्यों को आकार देने में शिक्षा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ज्ञान और सूचना तकनीक में समन्वय से हम शैक्षिक विकास की राह को गति प्रदान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए शिक्षण संस्थानों को, युवाओं की मूल्यपरक शिक्षा पर जोर देना होगा, जिससे उन्हें अध्यात्म तथा सांस्कृतिक विरासत की मूल्यों से परिचित कराया जा सके। विद्यार्थियों को भारतवर्ष की गौरवशाली संस्कृति-परंपरा एवं ज्ञान से समृध्द करना होगा ताकि युवाओं में मातृभूमि के प्रति प्रेम, बुजुर्गों एवं महिलाओं के प्रति सम्मान, जीवन में ईमानदारी, आत्मसंयम, सहनशीलता और अपने नैतिक दायित्वों को पूरा करने की भावना विकसित हो। साथ ही उन्हांेने कहा कि जीवन में व्यावहारिक ज्ञान, अच्छे आचार-विचार एवं संस्कार से ही व्यक्तित्व का विकास संभव है।
राज्यपाल ने विद्यार्थियों से कहा कि भारत विश्व का एक प्रमुख विकासशील राष्ट्र है। विकास के रास्ते में हमारे सामने ढेरों चुनौतियाँ है। उन चुनौतियों का समाधान हमें मिलजुल कर करना है। उन्होंने कहा कि बेहतर समाज के निर्माण के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और चिकित्सा के प्रति लोगों को जागरूक करना होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को हमेशा यह स्मरण रखना चाहिए कि उन्होंने अभी तक जो कुछ उपलब्धि अर्जित की है, उसमे समाज का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष योगदान रहा है। इसलिए समाज के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें और समाज व राष्ट्र के कल्याण में अपनी ऊर्जा समर्पित करें। विद्यार्थी, स्वयं को सामाजिक सरोकार से जोड़े, तभी उच्च शिक्षा का वास्तविक लाभ समाज और देश को मिलेगा।
राज्यपाल सुश्री उइके ने राज्य में सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्र एवं गरीब बच्चों के लिए अंग्रेजी विद्यालय खोलने एवं भविष्य में आत्मानंद महाविद्यालय खोलने के सरकार के निर्णय के लिए उन्हें धन्यवाद देते हुए ,बधाई एवं शुभकामनाएं दीं।
इस अवसर पर राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री श्री उमेश पटेल ने कहा कि मानव मूल्यों के विकास के लिए बेहतर शिक्षा को आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रदान करने वाली संस्थाएं हमें एक ऐसा वातावरण देती हैं जिसमें हम विभिन्न समाज और संस्कृति के लोंगों से मिलते हैं। यह सांस्कृतिक आदान प्रदान का बेहतर अवसर उपलब्ध कराती है। इससे विद्यार्थियों में सांस्कृतिक मूल्यों का विकास होता है। उन्होंने सभी विद्यार्थियों को बधाई देते हुए भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं। साथ ही उन्होंने सरकार द्वारा, राज्य में बेहतर शिक्षा के लिए लिए जा रहे निर्णयों के संबंध में भी बताया।
इस अवसर पर राज्य निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष डॉ. उमेश मिश्रा, कलिंगा विश्वविद्यालय के अध्यक्ष श्री राजीव कुमार, कुलाधिपति श्री संदीप अरोरा, कुलपति श्री आर. श्रीधर, उपकुलाधिपति श्री सज्जन सिंह, कुलसचिव श्री संदीप गांधी तथा कलिंगा विश्वविद्यालय के अध्यापकगण एवं विश्वविद्यालय के विद्यार्थी एवं उनके अभिभावकगण उपस्थित थे।