शिवसेना के नाम और चिह्न की जंग लड़ रहे उद्धव ठाकरे को दिग्गज नेता शरद पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का साथ मिला है। भारत निर्वाचन आयोग के अंतरिम आदेश को राकंपा ने चौंकाने वाला बताया है। साथ ही यह भी कहा कि ठाकरे कमजोर नहीं हुए हैं। चुनाव आयोग ने शनिवार को उद्धव और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे कैंप को शिवसेना के नाम और चिह्न इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी थी।
महाविकास अघाड़ी में शिवसेना के साथ रही राकंपा ने कहा है कि आयोग के आदेश का मतलब है यह नहीं है कि ठाकरे के नेतृत्व वाला गुट कमजोर हो गया है या हतोत्साहित हो गई है। फिलहाल, दोनों ही गुट चुनाव आयोग के आदेश पर मंथन की तैयारी कर रहे हैं। खबरें थी कि ठाकरे रविवार दोपहर 12 बजे मीटिंग कर सकते हैं। वहीं, सीएम शिंदे शाम 7 बजे समर्थकों से मिल सकते हैं।
पत्रकारों से बातचीत में राकंपा प्रवक्ता महेश तपासे ने कहा कि चिह्न और नाम को फ्रीज करने का फैसला दर्दभरा और चौंकाने वाला है, लेकिन यह आयोग का अंतिम फैसला नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सेना कैंप उपचुनाव में लड़ भी नहीं रही है। इसके बाद पार्टी के नाम और चिह्न का इस्तेमाल प्रतिबंधित कर दिया है। चिह्न का फ्रीज करने का यह मतलब नहीं है कि शिवसेना कार्यकर्ता (ठाकरे गुट) कमजोर या हतोत्साहित हो गए हैं। एनसीपी और कांग्रेस के साथ शिवसेना (ठाकरे कैंप) भाजपा के साथ कड़ा मुकाबला करेगी।’
प्रवक्ता ने कहा, ‘यह चुनाव आमने-सामने का मुकाबला होगा, क्योंकि भाजपाने उद्धव ठाकरे कैंप के उम्मीदवार के सामने अपना उम्मीदवार उतारा है।’
क्या टाइमिंग बनेगी चुनौती?
खास बात है कि चुनाव आयोग की तरफ से अंतरिम आदेश ऐसे समय पर जारी हुआ है, जब पार्टियां अंधेरी पूर्व में उप चुनाव की तैयारियां कर रही हैं। सीट पर 3 नवंबर को चुनाव होने है। इससे पहले यह सीट शिवसेना के खाते में थी, लेकिन विधायक रमेश लाटके के निधन के बाद यहां उपचुनाव होने हैं। कहा जा रहा है कि आयोग के आदेश के बाद दोनों ही गुट शिवसेना के नाम और चिह्न का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।
मैदान में कौन?
शिवसेना ने सीट से दिवंगत लाटके की पत्नी को मैदान में उतारा है। राकंपा और कांग्रेस दोनों ही शिवसेना उम्मीदवार का समर्थन कर रहे हैं। इधर, भारतीय जनता पार्टी ने मुरजी पटेल पर दांव लगाया है।