भारत की जीडीपी वृद्धि दर वर्ष 2021 में 8.5 प्रतिशत रही थी। एसएंडपी ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र के लिए अपनी आर्थिक रिपोर्ट में कहा कि कुछ देशों में कोरोना के बाद मांग में जो सुधार हो रहा है, उसमें और तेजी की उम्मीद है।
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए आज एक नई खबर सामने आई है। एक वैश्विक रेटिंग्स में भारतीय जीडीपी का अनुमान घटा दिया गया है। इसे बहुत अच्छी स्थिति नहीं कही जा सकती क्योंकि पिछले साल की तुलना में मौजूदा आकलन कम है। वित्त वर्ष 2022-2023 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष में छह प्रतिशत रहने का अनुमान है। एसएंडपी ग्लोबल रेटिग्स ने सोमवार को भारत की आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को घटाकर सात प्रतिशत कर दिया। हालांकि उसने यह भी कहा कि घरेलू मांग की वजह से अर्थव्यवस्था पर वैश्विक सुस्ती का प्रभाव कम होगा। मुद्रास्फीति के बारे में रेटिग एजेंसी ने कहा कि यह चालू वित्त वर्ष में औसतन 6.8 प्रतिशत रहेगी और आरबीआइ की मानक ब्याज दर मार्च 2023 में बढ़कर 6.25 प्रतिशत होने की संभावना है। इससे पहले एजेंसी ने सितंबर महीने में भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 2022-23 में 7.3 प्रतिशत और 2023-24 में 6.5 प्रतिशत रहने की संभावना जताई थी। एसएंडपी ग्लोबल रेटिग्स के एशिया प्रशांत क्षेत्र के मुख्य अर्थशास्त्री लुइस कुइज्स ने कहा, “वैश्विक नरमी का भारत जैसी घरेलू मांग आधारित अर्थव्यवस्थाओं पर कम प्रभाव पड़ेगा।
कोरोना काल के बाद तेजी की उम्मीद
भारत की जीडीपी वृद्धि दर वर्ष 2021 में 8.5 प्रतिशत रही थी। एसएंडपी ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र के लिए अपनी आर्थिक रिपोर्ट में कहा कि कुछ देशों में कोरोना के बाद मांग में जो सुधार हो रहा है, उसमें और तेजी की उम्मीद है। इससे भारत में अगले साल होने वाली आर्थिक वृद्धि को समर्थन मिलेगा। विनिमय दर के बारे में एसएंडपी ने कहा कि एशिया के उभरते बाजार में मुद्रा भंडार कम हुआ है। मार्च के अंत तक रुपये में 79.50 प्रति डालर रहने का अनुमान है जो अभी 81.77 है।
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए आज एक नई खबर सामने आई है। एक वैश्विक रेटिंग्स में भारतीय जीडीपी का अनुमान घटा दिया गया है। इसे बहुत अच्छी स्थिति नहीं कही जा सकती क्योंकि पिछले साल की तुलना में मौजूदा आकलन कम है। वित्त वर्ष 2022-2023 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष में छह प्रतिशत रहने का अनुमान है। एसएंडपी ग्लोबल रेटिग्स ने सोमवार को भारत की आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को घटाकर सात प्रतिशत कर दिया। हालांकि उसने यह भी कहा कि घरेलू मांग की वजह से अर्थव्यवस्था पर वैश्विक सुस्ती का प्रभाव कम होगा। मुद्रास्फीति के बारे में रेटिग एजेंसी ने कहा कि यह चालू वित्त वर्ष में औसतन 6.8 प्रतिशत रहेगी और आरबीआइ की मानक ब्याज दर मार्च 2023 में बढ़कर 6.25 प्रतिशत होने की संभावना है। इससे पहले एजेंसी ने सितंबर महीने में भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 2022-23 में 7.3 प्रतिशत और 2023-24 में 6.5 प्रतिशत रहने की संभावना जताई थी। एसएंडपी ग्लोबल रेटिग्स के एशिया प्रशांत क्षेत्र के मुख्य अर्थशास्त्री लुइस कुइज्स ने कहा, “वैश्विक नरमी का भारत जैसी घरेलू मांग आधारित अर्थव्यवस्थाओं पर कम प्रभाव पड़ेगा।
कोरोना काल के बाद तेजी की उम्मीद
भारत की जीडीपी वृद्धि दर वर्ष 2021 में 8.5 प्रतिशत रही थी। एसएंडपी ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र के लिए अपनी आर्थिक रिपोर्ट में कहा कि कुछ देशों में कोरोना के बाद मांग में जो सुधार हो रहा है, उसमें और तेजी की उम्मीद है। इससे भारत में अगले साल होने वाली आर्थिक वृद्धि को समर्थन मिलेगा। विनिमय दर के बारे में एसएंडपी ने कहा कि एशिया के उभरते बाजार में मुद्रा भंडार कम हुआ है। मार्च के अंत तक रुपये में 79.50 प्रति डालर रहने का अनुमान है जो अभी 81.77 है।