अक्टूबर से दिसंबर के महीनों में भारत की सोने की खपत में एक साल पहले की तुलना में लगभग एक चौथाई की गिरावट आ सकती है। वहीं, बढ़ती महंगाई के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में गोल्ड की डिमांड कम हो सकती है।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) के मुताबिक अक्टूबर से दिसंबर के महीनों में भारत की सोने की खपत में एक साल पहले की तुलना में लगभग एक चौथाई की गिरावट आ सकती है। वहीं, बढ़ती महंगाई के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में गोल्ड की डिमांड कम हो सकती है। सोने के आयात की गिरती मांग भी भारत के व्यापार घाटे को कम करने और रुपये को समर्थन देने में मदद कर सकती है।
भारत दुनिया में सबसे अधिक सोने की खपत वाले देशों में दूसरे स्थान पर है। पहले नंबर पर चीन है। उपभोक्ता में कम खरीदारी से कीमतों पर असर पड़ सकता है, जो दो साल से अधिक समय में अपने सबसे निचले स्तर के करीब कारोबार कर रहे हैं। बता दें इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन की वेबसाइट के मुताबिक, 31 अक्टूबर को सर्राफा बाजार में सोना सस्ता होकर 50,480 रुपए पर आ गया, जो इस महीने की शुरुआत में सोना 52 हजार पर पहुंच गया था।
WGC के भारतीय परिचालन के क्षेत्रीय मुख्य कार्यकारी अधिकारी सोमसुंदरम पीआर ने रायटर को बताया, “उच्च मुद्रास्फीति से ग्रामीण मांग पर अंकुश लगने की संभावना है, जो पिछले साल के COVID-19 के नेतृत्व वाले लॉकडाउन के कारण हुए व्यवधान से उबरने लगी थी।”
भारत में सोने की मांग
सोमसुंदरम ने कहा कि सितंबर में भारत की वार्षिक मुद्रास्फीति दर 7% से ऊपर रही। भारत की सोने की दो-तिहाई मांग आमतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों से आती है, जहां जेवर धन का एक पारंपरिक भंडार है। दिसंबर तिमाही में भारत की सोने की मांग एक साल पहले के 343.9 टन से गिरकर करीब 250 टन रह सकती है। उन्होंने कहा कि गिरावट 2022 में भारत की कुल सोने की खपत को लगभग 750 टन तक ला सकती है, जो पिछले साल के 797.3 टन से 6% कम है।