कंगाल पाकिस्तान के पास सब्जियां खरीदने के पैसे नहीं, बंदरगाह पर सड़ रहा टनों प्याज
पाकिस्तान (Pakistan) की सरकार इस समय अजीब सी दुविधा में है। एक तरफ तो देश में सब्जियों और बाकी चीजों के दाम बढ़ते जा रहे हैं, तो दूसरी ओर कंटनर्स कराची बंदरगाह पर अटके हैं। व्यापारियों का कहना है कि सरकार के इस रवैये से सब्जियां सड़ जाएंगी और फिर हालात मुश्किल हो सकते हैं।
पाकिस्तान खाद्यान्न आपूर्ति संकट गंभीर होता जा रहा है
लेकिन कराची बंदरगाह पर सब्जियों से लदे कंटेनर्स ऐसे ही पड़े हैं
डॉलर देश में है नहीं और इसकी वजह से स्थिति बेकाबू हो सकती है
कराची: पाकिस्तान की सरकार इस समय मुश्किल में है। वह यह तय नहीं कर पा रही है कि देश में जारी खाद्यान्न आपूर्ति संकट का समाधान करे या फिर विदेशी मुद्रा भंडार बचाए। कराची बंदरगाह पर इस समय सैंकड़ों ऐसे कंटेनर्स यूं ही पड़े हैं जिन पर सब्जियां लदी हुई हैं। पाकिस्तान के अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की तरफ से बताया गया है कि प्याज के 250 कंटेनर्स जिनकी कीमत 107 लाख डॉलर है, 816,480 डॉलर की कीमत वाली अदरक का कंटेनर और 2.5 लाख डॉलर वाले लहसुन के कंटेनर बंदरगाह पर ऐसे ही पड़े हैं। व्यापारी परेशान हैं और उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि क्या किया जाए। अखबार की मानें तो 0.6 मिलियन टन सोयाबीन भी ऐसे ही अटका है क्योंकि सरकार की तरफ से साख पत्र जारी नहीं किया जा रहा है।
पहुंच से बाहर प्याज
सीमित साख पत्र की वजह से इन कंटेनर्स को ऐसे ही पड़े रहने दिया जा रहा है। प्याज के कंटेनर्स कराची बंदरगाह के कई टर्मिनल्स पर पड़े हुए हैं। देश के बैंक विदेशी मुद्रा के अभाव में साख पत्र जारी नहीं कर पा रहे हैं। इसकी वजह से कंटेनर्स को ऐसे ही पड़े रहने दिया जा रहा है। पाकिस्तान फ्रूट एंड वेजीटेबल एक्सपोटर्स इंपोटर्स एंड मर्चेंट्स एसोसिएशन (PFVA) के सदस्य वाहीन अहमद की मानें तो साख पत्रों को जारी करने में हो रही देरी की वजह से कंटेनर्स की कीमत पर अलग असर पड़ रहा है, टर्मिनल और शिपिंग चार्जेस बढ़ जाएंगे। प्याज के कंटेनर्स पहले से ही महंगे हैं और इसकी वजह से एक आम आदमी पर बुरा असर पड़ने वाला है। आम आदमी की पहुंच से ही प्याज बाहर हो जाएगा।
270 रुपए किलो प्याज
उन्होंने कहा कि आज प्याज 175 रुपए किलो थोक बाजार में और खुदरा बाजार में 250 से 270 रुपए किलो तक बिक रहा है। क्लीयरेंस में देरी से प्याज की कीमतें और बढ़ जाएंगी। सब्जियां भी आम आदमी की पहुंच से दूर हो जाएंगी। फेडरेशन ऑफ पाकिस्तान चैंबर्स आफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FPCCI) के कार्यवाहक प्रेसीडेंट सुलेमान चावला ने भी इस पर चिंता जताई है।
उन्होंने कहा है कि पोल्ट्री और डेयरी प्रॉडक्ट्स पहले ही आम आदमी खरीद नहीं पा रहा है।कुछ ही दिनों पहले कीमतों में थोड़ी स्थिरता आई थी लेकिन अब इन हालातों ने चिंताएं बढ़ा दी हैं। उनकी मानें तो आयात काफी महंगा है और टर्मिनल चार्जेस भी दोगुने हो जाएंगे।
डॉलर न होने का खामियाजा
डॉलर देश में है नहीं और इसकी वजह से स्थिति बेकाबू हो सकती है। आयातकों को इसकी वजह से भारी नुकसान उठाना पड़ेगा जिसकी भरपाई भी मुश्किल हो जाएगी। उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस मसले को तेजी से सुलझाया जाए ताकि देश में गहराते खाद्यान्न संकट को टाला जा सके। चावला ने यह भी कहा कि अमेरिका से आयात होने वाले सोयाबीन को लेकर कभी कोई लाइसेंसिंग और अनुवंशिक संशोधन कोई मुद्दा नहीं रहा है। पिछले कई सालों से देश के वही सप्लायर्स सोयाबीन का आयात कर रहे हैं।