क्या हैं चुनौतियां और महत्वएडवांस साइबर सिक्योरिटी ट्रेनिंग टेक्निक, प्रोग्राम और प्रोडक्ट MSMEs को साइबर खतरों को समझने, उसके पूर्वानुमान और निगरानी में सहायता करते हैं। इसके अलावा, डेटा निगरानी, सिंथेसिस और विश्लेषण व्यवसायों को बेहतर रिजल्ट के लिए डेटा का उपयोग करने में सक्षम बनाता है।
डिजिटलाइजेशन ने दुनिया भर में व्यवसायों का तरीका बदला है और इसे नए अंदाज में पेश करना जारी रखा है। डिजिटलाइजेशन से MSMEs के काम करने के तरीके में भी काफी हद तक बदलाव आएगा। डिजिटलीकरण छोटे और सूक्ष्म व्यवसायों के लिए साइबर सिक्योरिटी गैप को पूरा करता है। एडवांस साइबर सिक्योरिटी ट्रेनिंग टेक्निक, प्रोग्राम और प्रोडक्ट MSMEs को साइबर खतरों को समझने, उसके पूर्वानुमान और निगरानी में सहायता करते हैं। इसके अलावा, डेटा निगरानी, सिंथेसिस और विश्लेषण व्यवसायों को बेहतर रिजल्ट के लिए डेटा का उपयोग करने में सक्षम बनाता है। यह उन कंपनियों के अंतर को भी भरता है, जहां तकनीकी रूप से मजबूत विशेषज्ञता की कमी है। टेक्नोलॉजी एडवांसमेंट यानी तकनीकी प्रगति आसान तरीके से एक व्यापक समझ प्रदान करती है।
विकास को बढ़ावा देने वाली पहल
MSMEs की ग्रोथ में मदद करने के लिए कंपनियों, सरकार और रेगुलेटर्स द्वारा एक सक्षम इकोसिस्टम बनाने के लिए महत्वपूर्ण पहल की जाती हैं। गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GEM), इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ECLGS), आत्मनिर्भर भारत आर्थिक पैकेज, क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी स्कीम (CLCSS) और डिजिटल MSME स्कीम सभी भारतीय MSME सेक्टर के लिए जरूरी कदम उठाने के लिए महत्वपूर्ण समर्थक साबित हुए हैं।
प्रक्रिया में क्रांति
आगे इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग, इलेक्ट्रॉनिक फाइनेंशियल ट्रांसफर, यूपीआई, आधार ई-केवाईसी, भारत बिल भुगतान प्रणाली (BBPS), क्यूआर स्कैन एंड पे, डिजिटल प्री-पेड इंस्ट्रूमेंट्स और अन्य परियोजनाओं ने भारत में MSMEs के बीच वित्तीय प्रक्रिया में क्रांति ला दी है और उनके संचालन अब डिजिटल-मोबाइल-कहीं भी-कभी भी हैं।
ग्राहकों के व्यवहार समझने में मदद
इंटरनेट सेवाओं की आसानी से पहुंच, लोन की सुविधा के लिए टेक्नोलॉजी, बेहतर प्रभावी फाइनेंसिंग सिस्टम में सुधार और वित्तीय मध्यस्थता को मजबूत करने में सभी ने पर्याप्त प्रगति की है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) ग्राहकों के व्यवहार और व्यावसायिक अनुमानों को समझने में गहरी समझ प्रदान करते हैं। वहीं अल्टरनेटिव डेटा स्टैंडर्ड और वैकल्पिक वित्त के बीच की खाई को पाटते हैं और गतिशील पहलुओं के आधार पर बेहतर समझ प्रदान करते हैं। कर्जदारों की कर्ज लेने की प्रवृत्ति, लौटाने की क्षमता और साख का निर्धारण करने के लिए लेंडर अत्याधुनिक तकनीक, डेटा एनालिटिक्स, डेमोग्राफी और सामाजिक और वित्तीय व्यवहार का उपयोग करते हैं। जोखिम मूल्यांकन के दौरान, मॉडल में वैकल्पिक डेटा जैसे इन्वेंट्री, जीएसटी डाटा, रीपेंमेंट का ट्रेंड और इनवॉइस का उपयोग करते हुए टाइम सेंसिटिविटी और सीजनेलिटी एलिमेंट शामिल हैं।
NBFC के लिए खुले नए रास्ते
डेटा और एनालिटिक्स के बढ़ते उपयोग ने NBFC के लिए टेक्नोलॉजी इंटीग्रेशन के माध्यम से अपनी क्रेडिट ऑटोमेशन प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए नए रास्ते खोले हैं। NBFC सभी भौगोलिक क्षेत्रों में MSMEs के ब्रॉडर सेक्शन को लोन देने में महत्वपूर्ण रहे हैं, क्योंकि वे कॉर्पोरेट प्रक्रियाओं में सुधार, तेज सर्विसेज देने और ग्राहकों के अनुभव यात्रा को बढ़ाने के लिए टेक्नोलॉजी को अपनाने में महत्वपूर्ण हैं। हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की एक स्टडी से पता चलता है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म से सैंक्शन होने वाले लोन का 60 फीसदी हिस्सा NBFC का है। चूंकि MSMEs सेक्टर महत्वपूर्ण जोखिम उठाते हैं, इसलिए NBFC को नियमित रूप से रीपेमेंट पैटर्न की निगरानी करनी चाहिए और जोखिम का मूल्यांकन करना चाहिए।
टेक्नोलॉजी से NBFC को बड़ा फायदा
NBFC जैसे जरूरी सेवाएं देने वाले के लिए सभी कंपनी गतिविधियों में टेक्नोलॉजी को इंटीग्रेट यानी एकीकृत करना सबसे महत्वपूर्ण फेज है। टेक्नोलॉजी और ऑटोमेशन पर बढ़ती निर्भरता के साथ संवेदनशील डेटा की सुरक्षा की भी ड्यूटी होती है। परिणामस्वरूप, आज डिजिटली मजबूत NBFC सेक्टर द्वारा व्यापक डेटा सुरक्षा उपायों में भारी निवेश किया जाता है। अपने व्यापक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल और कास्ट इफेक्टिव डिजिटल समाधानों के कारण, NBFC लोन रिस्क को कम करने और ग्राहकों को बेहतर अनुभव देने में सक्षम हैं। इसने NBFC के लिए लंबे समय तक मजबूती के साथ टिके रहने और प्रॉफिटेबल फर्मों की स्थापना के लिए रास्ता खोलने में सहायता की है।
क्या हैं इसकी चुनौतियां
टेक्नोलॉजी में लगातार प्रगति के बावजूद, कई SMEs अभी भी तेजी से डिजिटलाइजेशन को समझने का प्रयास कर रहे हैं। छोटे व्यवसाय इस प्रतिस्पर्धी के माहौल से निपटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, क्योंकि उनमें से कई बेहतर आर्थिक अवसरों के लिए टेक्नोलॉजी का लाभ नहीं उठा सकते हैं। MSME डिजिटल अपनाने में पिछड़ गए हैं और परिणामस्वरूप, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तक पहुंचने के लिए बिचौलियों पर निर्भर हो गए हैं। MSME के सामने आने वाली कुछ चुनौतियों में MSME लोन के लिए कोलैटरल की आवश्यकता, वित्तीय विशेषज्ञों की कमी, लिक्विडिटी की कमी, मौजूदा फाइनेंशियल रेगुलेशन तक सीमित पहुंच और दस्तावेजों को डिजिटल रूप से भरने में असमर्थता शामिल हैं।
बिजनेस सफल होने के लिए क्या है जरूरी
MSME भारतीय अर्थव्यवस्था के लिहाज से एक महत्वपूर्ण सेक्टर है, क्योंकि टेक-सक्षम समाधानों में MSME को फायदा पहुंचाने के लिए अपार संभावनाएं हैं। दिलचस्प बात यह है कि भारत का तकनीकी स्टार्टअप इकोसिस्टम सरकार की फेवरेबल पॉलिसी यानी अनुकूल नीतियों, लगातार बढ़ते उपभोक्ता आधार और शिक्षित युवाओं में टेक्नोलॉजी कौशल में बढ़ोतरी से प्रेरित है। टेक्नोलॉजी बेस्ड समाधान MSME को ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों तक पहुंच बनाने में गति प्रदान करेंगे। जहां MSME टेक्नोलॉजी और इनोवेशन को बढ़ावा देता है, वहीं गवर्नेंस और कंडक्ट के मुद्दों पर पूरा ध्यान देना महत्वपूर्ण है। किसी भी व्यवसाय की सफलता के लिए ग्राहक सुरक्षा में सुधार, बेहतर साइबर सिक्योरिटी और लचीलापन, फाइनेंशियल मैनेजमेंट और ठोस डेटा सेफ्टी जरूरी है।