Bypolls Results Update: एक ओर जहां आदमपुर भारतीय जनता पार्टी के खाते में आई। वहीं, मुनुगोडे पर टीआरएस ने कब्जा जमाया। धामनगर सीट भाजपा विधायक विष्णु चरण सेठी के निधन के चलते खाली हो गई थी।
उपचुनाव 2022 में 6 राज्यों की 7 सीटों पर नतीजे आ चुके हैं। हालांकि, ये रिजल्ट कांग्रेस और पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए चिंतित करने वाले हो सकते हैं। उपचुनाव में 4 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी, 1 पर तेलंगाना राष्ट्र समिति, 1 शिवसेना, 1 राष्ट्रीय जनता दल के खाते में आई है। विजेताओं की सूची में कांग्रेस का नाम कहीं भी नहीं है। पार्टी ने तीन सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे।कहां-कहां हारी कांग्रेस
कांग्रेस ने हरियाणा के आदमपुर, ओडिशा में धामनगर और तेलंगाना की मुनुगोडे सीट गंवा दी। खास बात आदमपुर और मुनुगोडे को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता है। दोनों ही सीटों पर कांग्रेस का कब्जा था, लेकिन पार्टी विधायकों के दल बदलकर भाजपा में जाने से समीकरण बदल गए और नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस ने एक साथ दो गढ़ गंवा दिए।
एक ओर जहां आदमपुर भाजपा के खाते में आई। वहीं, मुनुगोडे पर टीआरएस ने कब्जा जमाया। धामनगर सीट भाजपा विधायक विष्णु चरण सेठी के निधन के चलते खाली हो गई थी। यहां भाजपा के टिकट पर उनके बेटे सूर्यवंशी सूर्ज ने जीत का परचम लहराया।
खड़गे का डेब्यू
17 अक्टूबर को कांग्रेस के शीर्ष पद के लिए चुनाव हुए थे। 19 अक्टूबर को नतीजे जारी हुए और केरल के तिरुवनंतपुरम सांसद शशि थरूर को हराकर खड़गे चीफ बन गए। 26 अक्टूबर को उन्होंने पद संभाला। इधर, 25 अक्टूबर को ही भारत निर्वाचन आयोग ने 6 राज्यों की 7 साटों पर उपचुनाव का ऐलान कर दिया था।
क्यों झटका है मुनुगोडे का नतीजा?
हाल ही में वायनाड सांसद राहुल गांधी तेलंगाना से ‘भारत जोड़ो’ यात्रा के साथ निकले। इसके बाद भी राज्य की मुनुगोडे सीट पर पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा। कभी 37 हजार वोट से जीत दर्ज करने वाली कांग्रेस की इस बार यहां जमानत जब्त हो गई। पार्टी के टिकट पर उतरी उम्मीदवार पलवई गोवर्धन रेड्डी उतने वोट भी हासिल नहीं कर सकीं, जितने उन्होंने साल 2014 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर टीआरएस उम्मीदवार कुसुकुंतल प्रभाकर रेड्डी के खिलाफ हासिल किए थे।
यहां कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए और उम्मीदवार बने कोमितीरेड्डी राजगोपाल रेड्डी और टीआरएस प्रत्याशी के बीच कांटे की टक्कर थी, जिसमें मुख्यमंत्री केसीआर की पार्टी ने बाजी मार ली। खास बात है कि इससे पहले हुजूराबाद सीट पर कांग्रेस के खाते में 4 हजार से कम वोट आए थे।
आदमपुर में थी साख की लड़ाई
तीन साल पहले आदमपुर सीट पर कांग्रेस ने 29 हजार से ज्यादा मतों पर जीत दर्ज की थी। इस बार पार्टी के टिकट पर मैदान में उतरे जय प्रकाश दूसरे स्थान पर रहे। जबकि, भाजपा के टिकट पर उतरे भव्य बिश्नोई विजयी हुए। इस सीट पर उनके पिता कुलदीप बिश्नोई विधायक थे, लेकिन बाद में उन्होंने भाजपा का दामन थामा और सीट पर उपचुनाव हुए। आदमपुर सीट पर 5 दशक से ज्यादा समय से पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के परिवार का कब्जा है।
खबरें थी कि प्रदेश कांग्रेस से तनातनी के चलते उन्होंने पार्टी छोड़ने का फैसला कर लिया था। तब पार्टी ने हरियाणा कांग्रेस की कमान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा कैंप को सौंप दी थी। बाद में यह भी कहा गया कि बिश्नोई ने राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग की, जिससे कांग्रेस नेता अजय माकन की उम्मीदवारी पर असर हुआ।
अब बिश्नोई के दल बदलने के चलते यह लड़ाई साख की भी मानी गई। जानकारों के अनुसार, इस हार के साथ ही कांग्रेस को एक और बड़ा नुकसान यह हुआ कि बिश्नोई परिवार ने कांग्रेस के साथ मौजूद भजन लाल के समर्थक अपने हिस्से में कर लिए हैं।
धामगर में चौथे स्थान पर खिसकी कांग्रेस
ओडिशा की धामनगर सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस को पायदान का नुकसान हुआ है और पार्टी चौथे स्थान पर आ गई। साल 2009 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर मैदान पर उतरे नेत्रनंद मलिक 29 हजार 833 मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे। उस दौरान बीजू जनता दल के राजेंद्र कुमार दास ने जीत हासिल की थी।
साल 2014 में भी कांग्रेस हृदानंद सेठी 12 हजार से ज्यादा मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे और बीजद ने जीत का सिलसिला जारी रखा था। साल 2014 में विद्याधर जेना 7 हजार 274 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे, लेकिन उस दौरान धामनगर सीट भाजपा के विष्णु चरण सेठी के खाते में आई।