पाकिस्तान की सियासत में खूनी खेल कोई नया नहीं है. पाकिस्तान बनने के बाद से ही यहां सत्ता के लिए साजिश शुरू हो गई थी। पाकिस्तान में तानाशाही सरकारें भी रह चुकी हैं।
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की हत्या करने की कोशिश की गई। हमलावर ने यह बात कबूल की है। हालांकि उसने कहा कि कोई भी उसके पीछे नहीं है। इसके अलावा हमलावर ने यह भी कबूल किया कि वह काफी पहले से ही इमरान खान को मारना चाहता था। इमरान खान ने इस हमले के पीछे तीन लोगों को जिम्मेदार बताया है जिसमें मौजूदा प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का नाम भी शामिल है।
पाकिस्तानी मीडिया का कहना है कि इमरान खान अब खतरे से बाहर हैं। हालांकि इस हमले ने पाकिस्तानी सियासत के ‘खूनी इतिहास’ की याद फिर से ताजा कर दी है। 1947 में पाकिस्तान बनने के बाद से ही सियासत में खूनी खेल चलता रहा है। यहां सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने वाले हमेशा किसी और के निशाने पर रहे। गोली मारने से लेकर फांसी देने तक की साजिशें होती रहीं। यहां तक कि आत्मघाती हमले भी किए गए।
पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की हत्या
पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की भी 16 अक्टूबर 1951 में हत्या कर दी गई थी। रावलपिंडी के कंपनी बाग में उन्हें गोली मार दी गई थी। वह मुस्लिम लीग की जनसभा के दौरान मंच पर बैठे थे। खान की मौत का रहस्य अब भी रहस्य ही है। लियाकत अली खान मोहम्मद अली जिन्ना के काफी करीबी माने जाते थे। हालांकि लियाकत अली खान ऐसे नेताओं में थे जो कि पाकिस्तान में कट्टरपंथ के पांव नहीं जमने देना चाहते थे।
प्रधानमंत्री के चढ़ा दिया गया फांसी
जुल्फिकार अली भुट्टो पाकिस्तान में काफी लोकप्रिय नेता था। हालांकि जदनरल जिया-उल-हक ने तानाशाही शासन के दौरान उन्हें फांसी पर चढ़वा दिया था। कानून के जानकार इसे न्यायिक हत्या बताते हैं। जिया 1978 ले 1988 से पाकिस्तान का राष्ट्रपति और सेना प्रमुख था। उसने जुल्फिकार से सत्ता छीन ली थी। जुल्फिकार पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्हें जनता ने चुना था।
जिया-उल-हक की भी हादसे में मौत
भुट्टो की फांसी के 9 साल बाद जिया उल हक की भी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। बताया जाता है कि 1988 में एक विमान हादसे में उसकी मौत हो गई थी। वहीं यह भी कहा जाता था कि यह एक हत्या थी। पूरी योजना के तहत विमान हादसा करवाया गया था। मौत के समय वह चीफ मार्शल लॉ ऐडमिनिस्ट्रेटर और आर्मी चीफ था। इस हत्या के आरोप बनेजीर भुट्टो के भाई मुर्तजा भुट्टो पर लगते रहे। हालांकि इसका कोई सबूत नहीं मिल पाया।
बेनजीर भुट्टो की हत्या
पाकिस्तान बनने के बाद से ही जो खूनी खेल शुरू हुआ था वह भला थमने वाला कहां था। लियाकत गार्डन में जहां लियाकत अली खान की हत्या हुई थी वहीं पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो को भी निशाना बनाया गया। 27 दिसंबर 2007 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई। लह जुल्फिकार अली भुट्टो की बेटी थीं।
भुट्टो दो बार प्रधानमंत्री बनीं। उनकी हत्या की कोशिश पहले भी की जा चुकी थी लेकिन वह बच गई थीं। 2007 में ही करसाज में बम धमाका हुआ था जिसमें 180 लोग मारे गए थे। वह तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने की तैयारी कर रही थीं लेकिन उनकी हत्या कर दी गई। इसके पीछे तालिबान को जिम्मेदार माना जाता है। उनकी हत्या के बाद पाकिस्तान में सियासी उथल पुथल हुई और मौका देखकर जनरल परवेज मुशर्रफ ने सत्ता पर कब्जा कर लिया। मुशर्रफ पर भी आरोप था कि उन्होंने फोन करके भुट्टो को धमकी दी थी।
इसी साल अप्रैल में इमरान खान ने कहा था कि उनकी जीन को खतरा है। उन्होंने कहा था कि वह देश के लिए लड़ते रहेंगे। उन्होंने संसद में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान कहा था कि विपक्ष विदेशी हाथों की कठपुतली बना हुआ है। पाकिस्तान में सेना सरकार पर भारी रहती है। इस वजह से सरकार स्थिर नहीं रह पाती।