फतेहपुर। लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने का लिये भारतीय जनता पार्टी, सपा-बसपा गठबन्धन, कांग्रेस पार्टी सहित अन्य सभी राजनैतिक दल जहाँ जी तोड़ मेहनत करने में लगे हुए है। वोटरों तक अपनी पार्टी की विचारधारा से लेकर उपलब्धियां एव योजनाओं के दम पर वोट मांग रहे है तो वही धार्मिक क्रियाकलापों रीति रिवाजों से वोटरों को लुभा रहे है। प्रत्याशी अपने जाति बहुल्य क्षेत्रो में जाकर जहाँ पार्टी के पक्ष में लामबंद करने में लगे हुए है।
29 लाख आबादी वाले जनपद में 18,20,435 मतदाता हैं। जिनमे से पुरुष मतदाता 927450 व 832925 महिला मतदाता हैं। जबकि 49 फतेहपुर लोकसभा सीट से 23382 युवा मतदाता अपने माताधिकार का प्रयोग कर अपने पसन्द के उम्मीदवार को वोट देंगे। सभी दल टिकट देने से पहले सीट का संसदीय इतिहास जातिगत आंकडो के साथ पार्टी के बेस वोट देखकर ही प्रत्याशी का चयन करते है। दोआबा की धरती में बसे फतेहपुर लोकसभा सीट से इस बार समाजवादी पार्टी व बहुजन समाज पार्टी का गठबन्धन है।
जनपद की सीट बसपा के खाते में चले जाने के बाद दोनों दलों से संयुक्त प्रत्याशी के तौर पर बिन्दकी विधानसभा से दो बार के विधायक रहे सुखदेव प्रसाद वर्मा मैदान में हैं। जबकि भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर से निवर्तमान सांसद एव केंद्रीय राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति पर दांव लगाते हुए मैदान में उतारा है। कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद रहे राकेश सचान चुनाव मैदान में है।
लोकसभा सीट से जीत हासिल करने के लिये सभी दलों के अपने अलग-अलग दावे है। भारतीय जनता पार्टी जहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे, सवर्णों, बैकवर्ड कार्ड के दम पर चुनावी मैदान में है। जबकि फायर ब्रांड नेताओ द्वारा धार्मिक माहौल बनाकर हिंदुत्व के एजेंडे की धार देकर वोटरों को एकजुट किया जा रहा है।
वहीं समाजवादी पार्टी व बहुजन समाज पार्टी का गठबन्धन दलित, यादव, पिछडो के साथ-साथ मुस्लिम वोटरों के दम पर अपनी चुनावी नैय्या पार लगाने की चाहत रखता है। जबकि कांग्रेस पार्टी मोदी सरकार की नाकामियो, राफेल डील, उद्योगपतियो द्वारा धन लेकर विदेश भागने, मंहगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों के अलावा किसानों के लिये 72 हजार रुपये देने की योजनाओं, मनरेगा की मजदूरी 100 दिन के स्थान पर 150 दिन किये जाने जैसे तमाम लोक लुभावन योजनाओं के साथ लोकसभा चुनाव जीतने के मंसूबे को अंजाम देना चाहती है।
साध्वी निरंजन ज्योति जहाँ निषाद वर्ग से आती है गंगा एव यमुना के बीच बसे दोआबा की धरती पर निषादो की एक बड़ी संख्या निवास करती है। वहीं गठबन्धन प्रत्याशी सुखदेव प्रसाद वर्मा व राकेश सचान कुर्मी वर्ग के होने के कारण जनपद के अलग अलग क्षेत्रो में रहने वाले लगभग दो लाख के आस पास कुर्मी मतदाताओ पर खासा प्रभाव रखते है।
लोकसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस एव बसपा द्वारा कुर्मी उम्मीदवार उतारे जाने से दोनों ही प्रत्याशी अपने अपने समाज के वोट बैंक पर बड़े बड़े दावे कर रहे है। दो प्रत्याशी होने के कारण निश्चित रूप से कुर्मियों के मतो का विभाजन दोनों प्रत्याशियों के पक्ष में जायगा। जबकि जनपद में लगभग तीन लाख के आस पास मुस्लिम वोटर निवास करता है। आम तौर पर मुस्लिम वोटरों को भारतीय जनता पार्टी के विरुद्ध जाने वाला बताया जाता है।
भारतीय जनता पार्टी जहाँ सबका साथ सबका विकास के नाम पर सभी योजनाओं में मुस्लिमो को लाभ देने व तीन तलाक बिल लाकर मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की बात करते हुए उन्हें अपने पक्ष में भी जाने की बात कर रही है। वही कांग्रेस पार्टी भी मुस्लिम समीकरणों के साथ जीत हासिल के दावे कर रही है। जबकि समाजवादी पार्टी व बहुजन समाज पार्टी जैसे दल मुस्लिम वोट थोक के हिसाब से मिलने की बात कही जा रही है।
2019 का लोकसभा चुनाव पिछले चुनाव से काफी अलग दिखाई दे रहा है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार होने के कारण लोग सरकार की योजनाओं से प्रभावित है तो वही सरकार की नीतियों से असहमति रखने वाले भी है। योजनाओं एव चुनावी वादे के दम पर भजपा की सरकार बनी थी तो लोग अब भारतीय जनता पार्टी पर चुनावी वादे पूरा न करने का आरोप लगा रहे है।
बड़ी संख्या में लोग प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी से प्रभावित है तो राहुल गांधी को भी मौका देने का कहने वाले लोगो की भी संख्या है। मौजूदा सांसद साध्वी निरंजन ज्योती पर जनपद के लिये योजनाये लाकर विकास कराने का दावा करने वाले है तो उन पर विकास न किये जाने का आरोप लगाकर असहमति जताने वाले भी बड़ी संख्या में है।
जनपद की लोकसभा सीट पर पार्टी के वोट बैंक समर्थकों के अलावा जातिगत आंकडो की बदौलत सीट जीतने का गुणा भाग का दौर जारी है। इस चुनाव में जहाँ अन्य सभी जातियों द्वारा अपने अपने प्रत्याशियों के पक्ष में खुलकर आ रहे है। वही मुस्लिम समाज अभी तक पूरी तरह शांत है।
नेताओ की बदजुबानी का दौर भी जारी है जबकि भारतीय जनता पार्टी के फायर ब्रांड नेताओ द्वारा मुस्लिमो को धमकाये जाने के साथ ही उन्हे चुनावी निशाने पर भी रखा जा रहा है। तो ऐसे नेता भी है जो मुस्लिम मतो को न बिखरने के लिये कहा रहे है। जनपद की लोकसभा सीट से मुस्लिम समाज वेट एंड वाच की मुद्रा में दिखाई पड़ रहा है।
जानकारों की बात पर यदि विशवास करे तो मुस्लिम समाज कुर्मी वोटरों की तरफ भी नजरे जमाये हुए है। कुर्मी समाज जिस प्रत्याशी के पक्ष में जायगा तो भाजपा को हराने में समर्थ प्रत्याशी के पक्ष में मुस्लिम समाज भी एकतरफा लामबंद हो सकता है।
कांग्रेस पार्टी व गठबन्धन प्रत्याशियों की गुणा गणित में अन्य जातियों के साथ स्वजातीय मतो के अलावा मुस्लिम वोटर अहम निर्णायक भूमिका में दिखाई दे रहा है। लोकसभा चुनाव में किस दल का प्रत्याशी जीत दर्ज दिल्ली जायेगा यह तो आने वाला समय ही बतायेगा लेकिन चुनावी रण में जातियों का घमासान होने के साथ ही मुस्लिम समाज किंग मेकर की भूमिका में स्पष्ट दिखाई दे रहा है।
@ शीबू खान