विभिन्न सामाजिक भवन के निर्माण के लिए 2.30 करोड़ रूपए की मंजूरी
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज संध्या राजनांदगांव सर्किट हाउस में विभिन्न समाज एवं सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि मण्डल से भेंट-मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर एक-एक कर सभी समाज एवं संगठनों के प्रतिनिधियों से सामाजिक गतिविधियों के संबंध में जानकारी लेने के साथ ही उनसे शासकीय योजनाओं एवं कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के संबंध में भी फीडबैक लिया।
मुख्यमंत्री ने आदिवासी समाज की मांग पर फरहद चौक में शहीद वीर नारायण सिंह की मूर्ति स्थापना की घोषणा के साथ ही चौक के सौंदर्यीकरण की स्वीकृति प्रदान की। धोबी समाज के प्रतिनिधियों ने रजक कल्याण बोर्ड बनाने के लिए मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों से कहा कि पहले खुद के नाम पर जमीन की रजिस्ट्री करें। जिससे सामाजिक भवन के लिए राशि स्वीकृत की जा सकें। आदिवासी कंवर समाज के सामाजिक भवन विस्तार की मांग पर मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज की जमीन होने राशि दी जाएगी।
मुख्यमंत्री श्री बघेल से आज राजनांदगांव में सामाजिक संगठनों से मुलाकात के दौरान मुस्लिम तेली समाज में जाति प्रमाण-पत्र बनाने में आ रही कठिनाई से अवगत कराया मुख्यमंत्री ने कहा कि नगर निगम या ग्राम सभा से प्रस्ताव पारित करें। इसी प्रकार बौद्ध समाज के प्रतिनिधियों ने भी जाति प्रमाण-पत्र बनाने में आ रही दिक्कतों से अवगत कराया। इस संबंध में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व ने प्रतिनिधिमंडल को जाति प्रमाण-पत्र बनाने के नियम और प्रक्रिया से अवगत कराया।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने विभिन्न समाजों की मांग पर सामाजिक भवन और अन्य कार्यों के लिए लगभग 2 करोड़ 35 लाख रूपए की मंजूरी प्रदान की। उन्होंने निषाद समाज को छात्रावास निर्माण के लिए 25 लाख रूपए, प्रजापति ब्रम्हकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय लालबाग राजनांदगांव को 25 लाख रूपए, सामाजिक भवन निर्माण के लिए राजपूत क्ष़ित्रय समाज को 30 लाख रूपए, महाराष्ट्रीयन तेली समाज को 20 लाख रूपए, कायस्थ समाज को 20 लाख रूपए, मुस्लिम समाज को 20 लाख रूपए, कच्छ गुर्जर समाज को 20 लाख रूपए, मारवाड़ी समाज को 20 लाख रूपए, ठेठवार समाज को 20 लाख रूपए, चन्द्राकर समाज ग्राम जंगलेश्वर को 20 लाख रूपए देने की घोषणा की। इसी प्रकार गुजराती समाज को 15 लाख रूपए, स्वीकृत करने की घोषणा की। इसके अलावा मसीही समाज को कब्रिस्तान में बाउण्ड्रीवाल निर्माण की स्वीकृति प्रदान की।