Bajwa VS Imran: पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने रिटायरमेंट से पहले अपनी आखिरी स्पीच दी है। इस मौके पर जनरल बाजवा ने बिना नाम लिए इमरान खान को नसीहत दे डाली है। जनरल बाजवा ने कहा कि राजनीति से जुड़े लोगों को सेना को इंपोर्टेड या सिलेक्टेड नहीं बुलाना चाहिए।
पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने अपनी आखिरी स्पीच दी है
उन्होंने इस मौके पर पाकिस्तान की राजनीति में सैन्य दखल को स्वीकार किया है
बाजवा ने कहा कि 70 साल से सेना का राजनीति में दखल रहा है
इस्लामाबाद: पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने रिटायरमेंट से पहले अपनी आखिरी पब्लिक स्पीच दी है। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तानी सेना की आलोचना करने पर बिना नाम लिए इमरान खान पर निशाना साधा। बाजवा ने कहा कि राजनीति से जुड़े लोगों को सेना को इंपोर्टेड या सिलेक्टेड नहीं बुलाना चाहिए और देश के लिए आगे बढ़ना चाहिए। सेना प्रमुख ने यह बयान शहीद दिवस के मौके पर दिया। पाकिस्तान में हर साल 6 सितंबर को शहीद दिवस मनाया जाता है। लेकिन इस साल पाकिस्तान में बाढ़ के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था। इस दौरान अपनी स्पीच में उन्होंने भारतीय सेना पर आरोप मढ़ने का मौका नहीं छोड़ा।
बाजवा ने कहा, ‘भारतीय सेना की उनके लोग आलोचना नहीं करते। पाकिस्तान की सेना दिन-रात देश की सेवा में लगी रहती है और उसे आलोचना का शिकार होना पड़ता है। इसकी बड़ी वजह ये हो सकती है कि पिछले 70 साल से सेना का राजनीति में दखल रहा है जो असंवैधानिक है। इसीलिए फरवरी में सेना ने काफी विचार विमर्श के बाद फैसला लिया है कि वह किसी भी राजनीतिक मामले में दखल नहीं देगी। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि हम इसका सख्ती से पालन करेंगे।’
आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा देश
जनरल बाजवा ने कहा कि सेना के फैसला का स्वागत करने की बजाय कई लोगों ने अनुचित और अशोभनीय भाषा के साथ फौज की कड़ी आलोचना करना शुरू कर दिया। सेना की आलोचना करना राजनीतिक दलों का हक है, लेकिन जो भाषा इस्तेमाल की गई उसे लेकर सतर्क रहना चाहिए। उन्होंने आगे कहा, ‘समय आ गया है कि राजनीति से जुड़े लोग अहंकार छोड़ कर आगे बढ़ें। देश गंभीर आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है और कोई भी पार्टी इसे बाहर नहीं निकाल सकती।’
राजनीति के कारण टूटा पाकिस्तान
आखिरी स्पीच में पाकिस्तानी सेना प्रमुख का दुख भी छलका। बाजवा ने कहा कि पाकिस्तान सेना के कारण नहीं बल्कि राजनीतिक असफलता के कारण टूटा है। बाजवा ने अपनी स्पीच में सेना को बहादुर दिखाने की कोशिश की। उन्होंने कहा, ‘1971 के युद्ध में पाकिस्तानी फौजियों की संख्या 92 हजार नहीं बल्कि 34 हजार थी बाकी लोग अलग-अलग सरकारी विभागों से थे। भारतीय सेना के ढाई लाख सैनिकों से पाकिस्तानी सैनिक बहादुरी से लड़े।’