बांग्लादेश के आम चुनाव ज्यादा दूर नहीं हैं। दिसंबर 2023 तक चुनाव होने की उम्मीद है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी एक अभूतपूर्व चौथे कार्यकाल पर नजर गड़ाए हुए है।
बांग्लादेश के एक मंत्री का मानना है कि भारत ने उनके देश में राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने में मदद की है। दरअसल बांग्लादेश के सूचना मंत्री हसन महमूद ने मंगलवार को कहा कि क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने में भारत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय स्थिरता बांग्लादेश की समृद्धि और राजनीतिक स्थिरता के लिए जरूरी है और दोनों पक्षों के बीच संबंध केवल तीस्ता नदी के पानी बंटवारे से ही नहीं जुड़े हैं। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान की गई महमूद की ये टिप्पणी काफी महत्वपूर्ण है।बांग्लादेश के आम चुनाव ज्यादा दूर नहीं हैं। दिसंबर 2023 तक चुनाव होने की उम्मीद है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी एक अभूतपूर्व चौथे कार्यकाल पर नजर गड़ाए हुए है। हसीना की सरकार में सबसे वरिष्ठ मंत्रियों में से एक और अवामी लीग के शीर्ष नेता महमूद ने 1971 में अपने देश के मुक्ति संग्राम में भारत की भूमिका को सराहा। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की प्रगति “भारत के राजनीतिक और पूर्ण समर्थन के बिना कभी भी संभव नहीं होगी।” ”
उन्होंने कहा, “किसी देश में राजनीतिक स्थिरता समृद्धि के लिए सबसे आवश्यक पूर्व-शर्तों में से एक है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने के लिए क्षेत्रीय स्थिरता भी महत्वपूर्ण है। मैं अपना धन्यवाद [भारत के लिए] देना चाहूंगा। बांग्लादेश में क्षेत्रीय स्थिरता और इस तरह राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने के लिए भारत ने एक भूमिका निभाई है।”
सीमा पार तीस्ता नदी के पानी के बंटवारे के मुद्दे पर महमूद ने कहा कि भारत-बांग्लादेश संबंध दोनों देशों के बीच केवल तीस्ता जल बंटवारा समझौते पर निर्भर नहीं है। उन्होंने कहा, “भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध बहुत विविध हैं, यह केवल तीस्ता जल-बंटवारे पर निर्भर नहीं करता है। हम कई चीजें साझा करते हैं।” उन्होंने कहा कि बांग्लादेश और भारत इस मुद्दे को हल करने में लगे हुए हैं और प्रगति हुई है, हालांकि “भारत के संविधान के तहत कुछ दायित्व और प्रक्रियाएं” हैं।
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विरोध के कारण तीस्ता नदी जल बंटवारा समझौता एक दशक से अधिक समय से अधर में है। भारत और बांग्लादेश वर्ष 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ढाका यात्रा के दौरान तीस्ता जल बंटवारे को लेकर समझौता करने को तैयार थे, लेकिन बनर्जी ने राज्य में पानी की कमी का हवाला देकर इसे मानने से इनकार कर दिया था।
बांग्लादेश के मंत्री ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि सभी प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद, [मुद्दा] भविष्य में हल हो जाएगा।” तीस्ता जल बंटवारे पर एक समझौते पर 2011 में हस्ताक्षर होना था, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विरोध के कारण इसे टालना पड़ा। भारत के संविधान के तहत, सीमा पार नदियों के पानी के बंटवारे पर समझौतों के लिए राज्य सरकारों की सहमति की आवश्यकता है।