मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने डॉ. हरिसिंह गौर की जयंती पर उन्हें नमन किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निवास सभागार में उनके चित्र पर माल्यार्पण किया। डॉ. हरिसिंह गौर, सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक, शिक्षाशास्त्री, ख्याति प्राप्त विधिवेत्ता, न्यायविद्, समाज-सुधारक, साहित्यकार, महान दानी और देशभक्त थे। वे 20वीं शताब्दी के सर्वश्रेष्ठ शिक्षा मनीषियों में से थे। डॉ. गौर दिल्ली विश्वविद्यालय और नागपुर विश्वविद्यालय के उप कुलपति रहे। भारतीय संविधान सभा के उप सभापति, साइमन कमीशन के सदस्य तथा रायल सोसायटी फॉर लिटरेचर के फेलो भी रहे।
डॉ. गौर ने 18 जुलाई 1946 को सागर विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। वे अपने जीवन के अंतिम समय तक विश्वविद्यालय के विकास और उसे सहेजने के प्रति संकल्पित रहे। उनका स्वप्न था कि सागर विश्वविद्यालय, केम्ब्रिज तथा ऑक्सफोर्ड जैसी मान्यता प्राप्त करे।
डॉ. हरीसिंह गौर का जन्म सागर जिले में 26 नवम्बर 1870 को हुआ था। उन्होंने सागर के ही गवर्मेंट हाई स्कूल से मीडिल शिक्षा प्रथम श्रेणी में हासिल की। डॉ. गौर ने छात्र जीवन में ही दो काव्य संग्रह “दि स्टेपिंग वेस्टवर्ड एण्ड अदर पोएम्स” एवं “रेमंड टाइम” की रचना की। इसके लिए उन्हें सुप्रसिद्ध रायल सोसायटी ऑफ लिटरेचर द्वारा स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। वर्ष 1929 में “स्प्रिट ऑफ बुद्धिज़्म” शीर्षक से लिखी उनकी पुस्तक की प्रस्तावना कविवर श्री रवींद्र नाथ टैगोर द्वारा लिखी गई थी।