भारत ने फिर एक बार रूस के साथ अपनी दोस्ती निभाई है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में कल रूस के खिलाफ एक निंदा प्रस्ताव पेश किया गया और इसपर वोटिंग हुई। भारत ने खुद को इस वोटिंग से दूर रखा।
भारत ने फिर एक बार रूस के साथ अपनी दोस्ती निभाई है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में कल रूस के खिलाफ एक निंदा प्रस्ताव पेश किया गया और इसपर वोटिंग हुई। भारत ने खुद को इस वोटिंग से दूर रखा। हालांकि, यूक्रेन में संघर्ष के बढ़ने पर गहरी चिंता व्यक्त की। भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस वक्तव्य को दहराया जिसमें उन्होंने बातचीत के जरिए इस लड़ाई को खत्म करने का संदेश दिया था।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में जो निंदा प्रस्ताव पेश किया गया उसमें रूस के द्वारा यूक्रेन में डोनेट्स्क, खेरसॉन, लुहान्स्क और जापोरिज्जिया पर कब्जे को अवैध करार दिया गया है। निंदा प्रस्ताव के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत इसकी कोई वैधता नहीं है। आपको बता दें कि 193 सदस्यीय महासभा में 143 देशों ने इसके समर्थन में वोट किया। 5 देश इसके खिलाफ अपने मताधिकार का प्रयोग किया। वहीं, भारत सहित 35 देशों ने खुद को वोटिंग से दूर रखा।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि निंदा प्रस्ताव पर वोटिंग से दूर रहने का निर्णय हमारी राष्ट्रीय स्थिति के अनुरूप था। उन्होंने कहा कि अन्य मुद्दे भी साथ चल रहे हैं। उनमें से कुछ को प्रस्ताव में पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, ”मेरे प्रधानमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यह युद्ध का युग नहीं हो सकता। बातचीत और कूटनीति के माध्यम से शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रयास करने के इस दृढ़ संकल्प के साथ भारत ने वोटिंग परहेज करने का फैसला किया है।”
कंबोज ने कहा कि भारत यूक्रेन में संघर्ष के बढ़ने पर चिंतित है। वहां नागरिकों के बुनियादी ढांचे को निशाना बनाना जा रहा है। लोगों की मौत हो रही है। उन्होंने कहा, “हमने लगातार इस बात की वकालत की है कि मानव जीवन की कीमत पर कोई समाधान कभी नहीं निकाला जा सकता है। शत्रुता और हिंसा को बढ़ाना किसी के हित में नहीं है। हमने आग्रह किया है कि शत्रुता को तत्काल समाप्त करने और बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर तत्काल लौटने के लिए सभी प्रयास किए जाएं।”
उन्होंने कहा कि संवाद ही मतभेदों और विवादों को सुलझाने का एकमात्र जवाब और शांति का रास्ता है। भारत ने कहा, “हमें कूटनीति के सभी चैनलों को खुला रखने की आवश्यकता है। हम ईमानदारी से शांति वार्ता के जल्द फिर से शुरू होने की उम्मीद करते हैं ताकि तत्काल युद्धविराम और संघर्ष का समाधान हो सके। भारत तनाव कम करने के उद्देश्य से ऐसे सभी प्रयासों का समर्थन करने के लिए तैयार है।”