गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि गाँव और बस्तियों में बसने वाले लोगों में वसुधैव कुटुम्बकम् की अवधारणा को मजबूत करने का काम करें। सामाजिक समरसता हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। गृह मंत्री डॉ. मिश्रा ”अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्गों के प्रति संवदेनशीलता” पर दो दिवसीय सेमीनार “स्पर्श” का शुभारंभ कर पुलिस अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे।
गृह मंत्री डॉ. मिश्रा ने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के भोले-भाले लोगों के लिये सरकार कल्याणकारी योजनाएँ संचालित कर रही हैं। लोगों को भ्रमित कर सामाजिक वातावरण को विषाक्त करने का प्रयास किया जाता है। डॉ. मिश्रा ने सेमीनार में सम्मिलित प्रशिक्षणार्थियों से आहवान किया कि अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के लोगों को जागरूक करें, उन्हें भ्रमित होने से सतर्क रखें जिससे वे वातावरण को विषाक्त करने वाले लोगों से सजग रहें। उन्होंने कहा कि समाज को जागरूक करने के लिये उन्हीं माध्यमों का प्रयोग करें जिनसे उन्हें भ्रमित किया जाने का प्रयास किया जा रहा हो। गाँव की बस्ती और मोहल्लों में सामाजिक समरसता एवं आपसी सदभाव के लिये खेल प्रतियोगिताओं जैसे आयोजन भी सार्थक होंगे। डॉ. मिश्रा ने कहा कि पुलिस का ध्येय पवित्र है और सभी के सहयोग से मध्यप्रदेश को पुलिसिंग के क्षेत्र में मिसाल बनाएंगे।
सामाजिक न्याय हमारी जिम्मेदारी
पुलिस महानिदेशक श्री सुधीर कुमार सक्सेना ने शुभारंभ-सत्र में कहा कि संविधान की प्रस्तावना अनुसार सामाजिक न्याय प्रदान करना हम सभी की जिम्मेदारी है। संविधान सर्वोपरि है, हमारी प्रेरणा का स्त्रोत है। प्रदेश की 37 प्रतिशत जनता को स्वतंत्रता और निर्भीकता पूर्वक काम करने का माहौल देना और उनके अधिकारों की रक्षा करना सामाजिक समरसता के लिये निहायत जरूरी है। उन्होंने कहा कि मैदानी स्तर पर बिना प्रलोभन, दबाव और भय के अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के लोगों को योजनाओं का लाभ दिलाएँ। इसके लिये कानूनी प्रावधानों की गहनता से जानकारी जरूरी है। श्री सक्सेना ने अपेक्षा की कि सेमीनार के बाद सभी अधिकारी अपने क्षेत्रों में राहत प्रकरणों की संवेदनशीलता से समीक्षा करेंगे। यही सेमीनार की सफलता होगी।
मध्यप्रदेश में कन्विक्शन रेट देश में सबसे ज्यादा
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्री राजेश गुप्ता ने बताया कि प्रदेश सरकार अनुसूचित जाति-जनजाति वर्गो के प्रति संवेदनशील है। प्रदेश में पंजीबद्ध अपराधों की चालानी दर 99 प्रतिशत है। कन्विक्शन रेट भी 77 प्रतिशत है, जो देश में सबसे ज्यादा है। अनुसूचित जाति-जनजाति वर्गों के प्रति होने वाले अपराधों की विवेचना इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी द्वारा की जा रही है। उन्होंने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए संचालित कल्याणकारी कार्यों की जानकारी के साथ सेमीनार के उद्देश्यों पर भी प्रकाश डाला।