लोकसभा चुनाव में करारी हार का मुंह देखने के बाद उबरने की कोशिश कर रही कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगा है।
पंजाब में पार्टी के दो बड़े नेताओं सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चल रही तनातनी के दौरान अब तेलंगाना में कांग्रेस के लिए बुरी खबर आ रही है।
ख़बर है कि कांग्रेस के 18 में से 12 विधायकों ने गुरूवार को विधानसभा अध्यक्ष पी श्रीनिवास रेड्डी से मुलाकात की। विधायकों ने सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति के साथ कांग्रेस विधायक दल के विलय को लेकर उन्हें अर्ज़ी लगाई है।
तेलंगाना के कांग्रेस अध्यक्ष उत्तम कुमार रेड्डी ने नलगोंडा से लोकसभा में चुने जाने के बाद विधानसभा की सदस्यता से बुधवार को इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद राज्य की 119 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस विधायकों की संख्या 18 रह गई थी।
इसी के बाद तंदूर से कांग्रेस विधायक रोहित रेड्डी ने मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के बेटे और टीआरएस के कार्यवाहक अध्यक्ष के टी रामा राव से मुलाकात की।
रेड्डी ने सत्तारूढ़ गठबंधन के प्रति अपनी वफादारी का संकल्प लिया। बता दें कांग्रेस के 11 विधायकों ने मार्च में घोषणा की थी कि वे टीआरएस में शामिल होंगे।
कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक जी वेंकट रमन रेड्डी ने बताया कि 12 विधायकों ने राज्य के विकास के लिए मुख्यमंत्री के साथ मिलकर काम करने का फैसला किया है।
रेड्डी ने बताया कि उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को एक अर्ज़ी देकर टीआरएस में विलय का अनुरोध किया है।
रेड्डी ने कहा, कांग्रेस विधायक दल की हमारी एक बैठक हुई। इसके 12 सदस्यों ने मुख्यमंत्री केसीआर के नेतृत्व को समर्थन दिया और कहा कि वे उनके साथ काम करना चाहते हैं। हमने अध्यक्ष से टीआरएस के साथ कांग्रेस विलय का अनुरोध किया।
अधिकारियों ने बताया कि 12 विधायक कांग्रेस विधायक दल की संख्या का दो तिहाई है यानी उन पर दलबदल विरोधी कानून के प्रावधान लागू नहीं होंगे। यदि अध्यक्ष उनका अनुरोध स्वीकार कर लेते हैं, तो कांग्रेस विपक्षी दल का दर्जा खो सकती है क्योंकि इसके बाद उसकी संख्या केवल छह रह जाएगी।
विधानसभा में हैदराबाद लोकसभा सीट से सांसद असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम के सात सदस्य हैं जबकि भाजपा का केवल एक सदस्य है। विधानसभा के लिए पिछले साल दिसंबर में हुए चुनाव में टीआरएस ने 88 सीटें जीती थीं।