नई दिल्लीः नागालैंड में सुरक्षाबलों की गोलीबारी में 14 आम नागरिकों की मौत के बाद स्थानीय लोगों भड़क गए हैं। सुरक्षा बलों के आंतकवाद विरोधी ऑपरेशन के दौरान ये घटना हुई। पुलिस ने मामले की जानकारी देते हुए कहा कि गोलीबारी की घटना संभवत: गलत पहचान के कारण हुई थी। इसके बाद हुए दंगों में एक सैनिक की भी मौत हो गई।
नागालैंड की इस घटना को लेकर सोमवार को दिल्ली में एक हाई लेवल मीटिंग बुलाई गई है। अधिकारियों ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय में उत्तर पूर्व के प्रभारी अतिरिक्त सचिव पीयूष गोयल सोमवार को सुरक्षा बलों सहित सभी संबंधित पक्षों के साथ बैठक करेंगे। इसके साथ ही इस मामले को सोमवार को विपक्ष संसद में भी उठा सकता है। मिली जानकारी के अनुसार तीन घटनाओं में सेना के हाथों 14 लोग मारे गए। घटना नागालैंड के मोन जिले की है।
इस मामले की शुरूआत तब हुई जब शनिवार शाम कुछ कोयला खदान मजदूर एक पिकअप वैन में सवार होकर घर लौट रहे थे। सेना के जवानों को उग्रवादियों की गतिविधि की सूचना मिली थी, और वो उग्रवादियों के इंतजार में मोर्चा संभाले बैठे थे। जिसके बाद गलतफहमी में सेना ने मजदूरों से भरी इस गाड़ी पर गोलीबारी कर दी। इस घटना में छह लोगों की मौत हो गई।
पुलिस के अधिकारियों के अनुसार जब मजदूर अपने घर नहीं पहुंचे तो स्थानीय लोग उनकी तलाश में निकले और घटना का पता चलते ही इन लोगों ने सेना के वाहनों को घेर लिया। इस दौरान हुई धक्का-मुक्की व झड़प में एक सैनिक मारा गया और सेना के वाहनों में आग लगा दी गई। इसके बाद सैनिकों द्वारा की गई गोलीबारी में सात और लोगों की जान चली गई।
जिसके बाद स्थानीय लोग और भड़क गए और सेना के खिलाफ सड़कों पर उतर गए। इस दौरान उग्र विरोध और दंगों का दौर चलता रहा। गुस्साई भीड़ ने कोन्याक यूनियन और असम राइफल्स के कैंप पर धावा दिया। उनके कार्यालयों में तोड़फोड़ करने लगे। कैंप के कुछ हिस्सों में आग भी लगा दी। इसके बाद बचाव में सुरक्षा बलों की तरफ से की गई कार्रवाई में एक और नागरिक की मौत हो गई। जबकि कई घायल हो गए।
इस घटना के बाद मोन जिले में नागालैंड सरकार ने मोबाइल इंटरनेट और डेटा सेवाओं के साथ-साथ एक साथ कई एसएमएस करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। घटना के बाद सेना ने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि नागरिकों की हत्या की “उच्चतम स्तर” पर जांच की जा रही है। सेना ने इस घटना की जांच के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का भी आदेश दे दिया है। वहीं राज्य सरकार ने भी आईजीपी नागालैंड की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय एसआईटी का गठन किया है। जो इस मामले की जांच करेगी।