मुंबई- एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने मालेगांव धमाकों में आरोपी साध्वी प्रज्ञा की जमानत याचिका खारिज कर दी। मंगलवार को मुंबई की एक कोर्ट ने सुनवाई याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। साल 2008 में मालेगांव धमाके हुए थे, जिसमें साध्वी प्रज्ञा को आरोपी बनाया गया था।
हाल की जमानत याचिका पर जांच एजेंसी एनआईए ने सब कुछ सेंशन कोर्ट पर छोड़ दिया है। जांच एजेंसी एनआईए ने भी माना है कि जांच में कही भी आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का रोल नजर नहीं आया।
एनआईए ने विशेष कोर्ट में पूरक आरोप पत्र दायर किया था, जिसमें जांच एजेंसी ने लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित समेत 10 अन्य आरोपियों के खिलाफ मकोका भी हटा लिया था। जांच एजेंसी ने 26/11 आतंकी हमले में शहीद हेमंत करकरे की जांच पर भी सवाल उठाए थे।
प्रज्ञा के अलावा शिव नारायण कलसांगड़ा, श्याम भवरलाल साहू, प्रवीण टक्कलकी, लोकेश शर्मा और धान सिंह चौधरी के खिलाफ दर्ज आरोप हटा लिए गए। एनआईए ने यह भी कहा कि जांच के दौरान यह पाया गया कि मकोका यानी महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून के तहत इस मामले में आरोप नहीं बनते। मकोका के प्रावधानों के मुताबिक, पुलिस अधीक्षक रैंक के किसी अधिकारी के सामने दिया गया बयान कोर्ट में साक्ष्य माना जाता है।
एजेंसी ने आरोप पत्र में कहा कि एनआईए ने मौजूदा अंतिम रिपोर्ट सौंपने में एटीएस मुंबई की ओर से मकोका के प्रावधानों के तहत दर्ज किए गए इकबालिया बयानों को आधार नहीं बनाया है। प्रज्ञा और पुरोहित ने बॉम्बे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल कर आरोप पत्र और मकोका के तहत आरोप लगाए जाने को चुनौती दी थी।
पर्याप्त सबूत नहीं
एनआईए ने कोर्ट में दाखिल किए गए पूरक आरोप पत्र में कहा है कि आरोपियों को मालेगांव धमाकों की साजिश की जानकारी नहीं थी। जांच एजेंसी ने दावा किया कि जांच के दौरान प्रज्ञा सिंह ठाकुर और पांच अन्य के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं पाए गए। एजेंसी ने अपने आरोप पत्र में कहा कि उनके खिलाफ दर्ज मुकदमा चलाने लायक नहीं है।
इस आरोप पत्र के बाद साध्वी प्रज्ञा के जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया। धमाके में इस्तेमाल हुई बाइक के साध्वी की होने की बात कही गई थी। इस आरोप में 24 अकटूबर 2008 को प्रज्ञा गिरफ्तार की गई थीं।
ये है मामला
बता दें कि 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में एक बम धमाका हुआ था, जिसमें 8 लोगों की मौत हो गई थी और 80 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। नवंबर में ही राज्य की एटीएस ने इस मामले में साध्वी प्रज्ञा समेत इस मामले को सुलझाने का दावा किया था लेकिन 2011 में यह मामला जांच के लिए एनआईए को दे दिया गया।