अहमदाबाद- गुजरात दंगों के दौरान गुलबर्ग सोसाइटी हत्याकांड के मामले में गुरुवार को अहमदाबाद में स्पेशल कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस मामले में 24 आरोपियों को दोषी करार दिया है, जबकि 36 लोगों को बरी कर दिया। बरी किए गए लोगों में बीजेपी के पार्षद भी शामिल हैं। मामले में 6 जून को सजा का ऐलान होगा।
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इस कोर्ट ने घटना के 14 बाद फैसला सुनाया है। हालांकि, अहसान की पत्नी जाकिया जाफरी इससे खुश नहीं हैं। उन्होंने इसे अधूरा इंसाफ बताया है। कोर्ट ने 36 लोगों को छोड़ दिया है। इसके लिए मैं आगे लड़ाई लडूंगी और मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाऊंगी। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि 24 दोषी करार दिए गए हैं लेकिन 36 को छोड़ भी दिया गया है।
28 फरवरी 2002 को भड़की हिंसा के दौरान भीड़ ने गुलबर्ग सोसायटी पर हमला कर दिया था। इस हमले में 69 लोग मारे गए थे, जिनमें पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी भी शामिल थे। घटना के बाद 39 लोगों के शव बरामद किए गए थे जबकि सात साल बाद बाकी 30 लापता लोगों को मृत मान लिया गया था।
कुल 338 लोगों की हुई गवाही
मामले की सुनवाई साल 2009 में शुरू हुई थी, जिसमें कुल 66 आरोपी थे। इनमें से चार की पहले ही मौत हो चुकी है। मामले की सुनवाई के दौरान 338 लोगों की गवाही हुई।
मोदी को मिली थी क्लीन चिट
गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी इस मामले में आरोप लगा था। हालांकि, 2010 में उनसे पूछताछ के बाद एसआईटी रिपोर्ट में उन्हें क्लीन चिट दे दी गई थी।
स्पेशल एसआईटी कोर्ट के जस्टिस पी. बी. देसाई 22 सितंबर 2015 को ट्रायल खत्म होने के बाद ये फैसला सुनाएंगे। मामले की निगरानी कर रही सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी कोर्ट को 31 मई को अपना फैसला सुनाने का निर्देश दिया था।
इस मामले में एसआईटी ने 66 आरोपियों को नामजद किया था, जिनमें से 9 आरोपी पिछले 14 साल से जेल में हैं, जबकि बाकी आरोपी जमानत पर हैं। एक आरोपी बिपिन पटेल असरवा सीट से बीजेपी का निगम पार्षद है। 2002 में दंगों के वक्त भी बिपिन पटेल निगम पार्षद था। पिछले साल उसने लगातार चौथी बार जीत दर्ज की।
पिछले हफ्ते कोर्ट ने नारायण टांक और बाबू राठौड़ नाम के दो आरोपियों की ओर से दायर वह अर्जी खारिज कर दी थी, जिसमें उन्होंने अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए नार्को एनालिसिस और ब्रेन मैपिंग टेस्ट कराने की गुहार लगाई थी। कोर्ट ने कहा कि अब जब फैसला आने वाला है तो इसकी जरूरत नहीं है।
गोधरा कांड के एक दिन बाद यानी 28 फरवरी, 2002 को 29 बंगलों और 10 फ्लैट वाली गुलबर्ग सोसायटी पर हमला हुआ। गुलबर्ग सोसायटी में सभी मुस्लिम रहते थे, सिर्फ एक पारसी परिवार रहता था। यहां पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी भी रहते थे।-एजेंसी