औरंगाबाद- महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में बढ़ते कर्ज, बर्बाद फसल, जमीन के बंजर होने और अन्य कारणों से हर दिन औसतन 30 किसान मौत को गले लगाते हैं। इस वर्ष मई तक महज 5 महीनों में किसानों की आत्महत्या का आंकड़ा 473 पहुंच गया है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि लगातार 4 वर्ष के सूखे जैसी स्थिति से जूझ रहे मराठवाड़ा में राज्य सरकार के प्रयासों और सामाजिक संगठनों, गैर सरकारी संगठनों तथा राजनीतिक दलों की अपील के बावजूद किसानों की आत्महत्या का सिलसिलसा थमने का नाम नहीं ले रहा है।
सबसे अधिक बीड जिले में आत्महत्या के 85 मामले दर्ज किए गए। इसके बाद नांदेड़ में 74, औरंगाबाद में 72, लातूर और ओस्मानाबाद में 62- 62, जालना में 47, प्रभनी में 44 और हिंगोली जिले में 27 किसानों ने आत्महत्या की।
आत्महत्या करने वाले कुल 473 किसानों में से मात्र 233 किसान मुआवजे के नियमों पर खरे उतरे। इन 233 किसानों में से 217 किसानों के परिजनों को संबंधित जिला प्रशासन से मुआवजे की रकम दे दी है।
जिला प्रशासन ने जांच के बाद मुआवजे के 106 दावे खारिज किए और शेष 134 मामलों की जांच अभी जारी है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 में लगभग 551 किसानों ने आत्महत्या की थी लेकिन 2015 में यह आंकड़ा बढक़र 1133 हो गया था। [एजेंसी]