3000 से ज्यादा स्क्रीन्स पर आने वाली पहली मल्टीस्टारर:1965 में आई वक्त थी पहली मल्टीस्टारर फिल्म, बजट से 5 गुना की थी कमाई
तो आइए जानते हैं कि इन मल्टीस्टारर फिल्मों के बनने का सिलसिला कब शुरू हुआ और उन फिल्मों का ट्रैक रिकॉर्ड कैसा रहा। साथ ही ट्रेड एक्सर्रट्स की राय भी मल्टीस्टारर फिल्मों पर जानते हैं।
1965 की वक्त थी हिंदी सिनेमा की पहली मल्टीस्टारर फिल्म
मल्टीस्टारर फिल्में बनने का ये ट्रेंड नया नहीं है। हिंदी सिनेमा में पहली मल्टीस्टारर साल 1965 में रिलीज हुई फिल्म वक्त थी। यश चोपड़ा के निर्देशन में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस 6 करोड़ का कलेक्शन किया था। फिल्म का बजट 1 करोड़ रुपए था। फिल्म में सुनील दत्त, राज कुमार, साधना, बलराज साहनी, शशि कपूर, शर्मिला टैगोर और रहमान समेत ये स्टार कास्ट नजर आए थे।
इस फिल्म के बाद ही मल्टी स्टार फिल्मों का सिलसिला शुरू हुआ जो अभी तक कायम है। इसके बाद शोले, अमर अकबर एंथोनी, मुकद्दर का सिकंदर, सौदागर, बाॅर्डर, दिल चाहता है, कभी खुशी कभी गम, ओमकारा, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा, दिल धड़कने दो जैसी तमाम फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त कलेक्शन किया।
मल्टीस्टारर फिल्मों का फार्मूला अक्सर बॉक्स ऑफिस पर हिट रहा है। जब एक टिकट के पैसे में दर्शकों को चार से पांच हीरो-हीरोइन एक साथ देखने को मिल रहे हैं तो उनके भी पैसे वसूल होते हैं।
हम आपके हैं कौन थी 100 करोड़ क्लब में पहुंचने वाली पहली इंडियन मल्टीस्टारर फिल्म
इंडियन बाॅक्स ऑफिस पर 100 करोड़ से अधिक की कमाई करने वाली पहली इंडियन फिल्म सलमान खान – माधुरी दीक्षित स्टारर हम आपके हैं कौन थी, जो दुनिया भर में ₹200 करोड़ तक पहुंचने वाली पहली फिल्म थी। इस फिल्म में मोहनीश बहल, आलोक नाथ, अनुपम खेर, रेणुका शहाणे जैसे सेलेब्स भी शामिल थे।
अब जानते हैं क्या ट्रेड एक्सपर्ट तरण आर्दश और डायरेक्टर रूमी जाफरी की राय मल्टीस्टारर फिल्मों पर-
सवाल- ज्यादा स्टार्स को कास्ट करने में बजट में कितना इजाफा होता है?
जवाब- डायरेक्टर रूमी जाफरी के मुताबिक, फिल्म मेकिंग के पहले ही सभी स्टार की फीस फिल्म के बजट के हिसाब से फिक्स होती है। जैसे की कोई एक्टर की फीस 100 रुपए हैं तो प्रोड्यूसर उसको 90 रुपए में ही कास्ट कर सकता है। फिल्म के जुड़े सभी लोगों को पता होता है कि हमारी फिल्म कितने रुपए में बिकेगी। मेकिंग में कितना खर्च होता है, इसकी भी जानकारी होती है। इसलिए मेकिंग के शुरुआत में ही बजट के हिसाब से सभी स्टार कास्ट को उनकी फीस का हिस्सा बता दिया जाता है।
सोलो स्टार वाली फिल्मों के मुकाबले मल्टीस्टारर फिल्मों का बजट यकीनन ज्यादा होता है। जब चार बड़े एक्टर होते हैं, तो उनकी जरूरत अलग होती है, उनका ख्याल रखना पड़ता है। बजट देखकर फिल्में बनाई जाती हैं, लेकिन किरदारों के साथ समझौता नहीं करता हैं।
सवाल- सभी स्टार्स को मैनेज करना कितना मुश्किल होता है?
जवाब- डायरेक्टर रूमी जाफरी के मुताबिक, खैर इतने लंबे साल के करियर में मुझे इस चीज का सामना नहीं करना पड़ा। मैंने लगभग सभी सुपरस्टार के साथ काम किया है और आगे भी कर रहा हूं। लेकिन एक अच्छी स्क्रिप्ट को होना जरुरी होता है, जिसके आधार पर सभी स्टार्स अपने काम के हिस्से को करते हैं।
सवाल- क्या स्टार्स एक दूसरे के काम से इनसिक्योर होते हैं?
जवाब- डायरेक्टर रूमी जाफरी के मुताबिक, हर हीरो या स्टार के अंदर एक स्पोर्ट्स मैन वाली भावना होती है, जिसके वजह से वो चाहता है कि काम में पूरा 100 परसेंट दे। मतलब आप उसे इगी कहे या जलन की भावना, जो भी हो लेकिन वो पॉजिटिव ढंग में है। हीरो हो या हीरोइन उसकी ख्वाहिश होती है कि वो जिस फिल्म में काम करता है, चाहता है कि सुपरहिट हो। इसलिए वो अपना काम पूरी शिद्दत के साथ करता है।
सवाल- क्या RRR और दृश्यम 2 के हिट होने की वजह बड़े स्टार कास्ट का एक साथ होना है?
जवाब- ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श के मुताबिक, इन दोनों फिल्मों के हिट होने की वजह कंटेंट और बड़ा स्टार कास्ट थी। लेकिन कंटेंट बहुत अच्छा था इसी वजह से ये फिल्में बार-बार देखी गईं।
सवाल- मल्टी स्टार फिल्में और सिंगल स्टार फिल्मों में क्या हमेशा मल्टी स्टार फिल्में ही बाजी मारती हैं या कटेंट के हिसाब से फिल्में चलती हैं?
जवाब- तरण आदर्श कहते हैं, बड़ा स्टार कास्ट फिल्म रिलीज के पहले कुछ दिन मायने रखता है लेकिन उसके बाद कंटेंट ही होता है जिसके आधार पर फिल्में चलती हैं।