भोपाल : प्रदेश में 42.8 प्रतिशत बच्चे कुपोषित और 9.2 प्रतिशत बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं। श्योपुर जिले में 55 प्रतिशत बच्चे कुपोषित और 9 प्रतिशत बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं। प्रदेश में दूसरे नंबर पर अलीराजपुर में 52.4 प्रतिशत बच्चे कुपोषण का शिकार हैं।
प्रदेश में कुपोषण की यह स्थित तब है जब महिला बाल विकास विभाग पिछले पांच साल में 11 अरब 63 करोड़ 20 लाख रूपए और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा 85 करोड़ 48 लाख 31 हजार रुपए खर्च कर चुका है।
कुपोषण के ये बताए कारण
शिशु एवं बाल आहार पूर्ति संबंधी व्यवहारों के प्रति उदासीनता।
– बच्चों को लंबी अवधि तक केवल स्तनपान कराना, 6 माह बाद शिशु को संपूरक आहार न देना ।
– बच्चों की स्वास्थ्य संबंधी देखभाल ।
– शौचालय के उपयोग में अरुचि।
– स्थानीय स्तर पर उपलब्ध पौष्टिक भोज्य पदार्थों के संबंध में अनिभिज्ञता।
-मासिक वजन निगरानी का आभाव।
-टेक होम राशन का अनियमित वितरण
– ग्रोथ चार्ट में बच्चों की वृद्धि को इंद्राज न करना।
– एनएनएम द्वारा आंशिक टीकाकरण ।
-वजन में गिरावट की शीघ्र पहचान न करना।
– एनीमिया की रोकथाम के लिए बच्चों को आईएफए सीरप व गोलियों का वितरण नहीं होना।
– मैदानी अमले के कार्यकर्ताओं की उदासीनता।
– अस्वच्छ पेयजल का उपयोग करना।
यह जानकारी बुधवार को विधानसभा में रामनिवास रावत द्वारा लगाए गए सवाल के स्वास्थ्य मंत्री रुस्तम सिंह द्वारा दिए गए लिखित जवाब से निकलकर आई है। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि एनएफएचएस-4 के ताजा सर्वे के अनुसार प्रदेश में कुपोषण की यह स्थिति है। मंत्री ने अपने जवाब में कुपोषण से मौत के एक भी मामले को स्वीकार नहीं किया है।
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