कोलकाता – सभ्य समाज में जहां नग्नता को वर्जित माना जाता है, वहीं पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले में एक शख्स ने पिछले 43 सालों से अपनी नग्नता को छिपाने के लिए शरीर पर कपड़े का एक टुकड़ा भी नहीं डाला। इसके बावजूद वह सभी के लिए वह श्रद्धेय है और सभी उसका सम्मान करते हैं। सुबल बर्मन को दिन के समय चांदमारी गांव में आसपास घूमते हुए और नलसाजी के लिए जाते हुए देखा जा सकता है। कड़ी मेहनत से काम के बाद वह किसी चाय की दुकान पर चाय की चुस्कियां लेते हुए भी दिख जाएंगे।
बर्मन ने कहा, ‘चाहे बारिश हो, गर्मी हो अथवा सर्दी हो, मैंने इस तरह से 43 साल गुजार दिए हैं।’ नग्न होकर जीवन बिताने के पीछे का कारण कपड़ों से उनकी एलर्जी है। उन्होंने कहा, ‘कपड़े पहनने के कारण वह बीमार पड़ जाते हैं और उनका जबड़ा बंद हो जाता है।’ बर्मन को अपने बच्चों के साथ समय व्यतीत करना अच्छा लगता है और वह उन्हें साइकल पर बाहर घुमाने भी ले जाते हैं। नग्न व्यक्ति को देखना किसी बाहरी व्यक्ति के लिए अचंभित करने वाला हो सकता है लेकिन स्थानीय लोग उन्हें धर्मात्मा के रूप में देखते हैं।
कोलकाता से तकरीबन 700 किलोमीटर दूर स्थित इस गांव की एक महिला ने कहा, ‘हम उनका सम्मान करते हैं, हम उन्हें धर्मात्मा मानते हैं।’ बर्मन को इसी अवस्था में देखते बड़ी हुई एक महिला ने कहा, ‘हम सभी उनसे प्यार करते हैं और उनका सम्मान करते हैं। उनकी नग्नता को हमने कभी भी अपने लिए असामान्य या समस्या नहीं माना।’ अपने लंबे बालों और नग्नावस्था के कारण वह आपको साधु जैसे लग सकते हैं। वह हालांकि पिछले दो दशकों से राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे हैं। बर्मन ने कहा, ‘1995 से मैं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का कार्यकर्ता हूं। मुझे राजनीति में तपन सिकदर (दिवंगत केंद्रीय मंत्री) लाए थे और मेरे मन में अटल बिहारी वाजपेयी (पूर्व प्रधानमंत्री) जी के प्रति बहुत सम्मान है।’