भोपाल- भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की तारीख करने वाले बड़वानी कलेक्टर अजय गंगवार को हटाए जाने का विरोध तेज होता चला जा रहा है। इसे अभिव्यक्ति की आजादी का हनन बताया जा रहा है। शिवराज सरकार की असहिष्णुता निरूपित किया जा रहा है। अब तो यहां तक कह दिया गया है कि यदि कंडक्ट रूल, अभिव्यक्ति की आजादी के आड़े आते हैं तो उन्हे बदल दिया जाना चाहिए। अब तक 5 आईएएस अफसर और 5 लाख कर्मचारियों वाले संगठन तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ का समर्थन गंगवार को मिल चुका है।
नेहरु-गांधी की तारीफ करने वाले आईएएस अफसर अजय गंगवार के पक्ष में राजेश बहुगुणा के बाद एक और आईएएस लक्ष्मीकांत द्विवेदी व आईएफएस अफसर आजाद सिंह डबास भी खड़े हो गए हैं। द्विवेदी ने कहा है कि गंगवार ईमानदार और अफसर हैं। ऐसे अफसर राज्य सरकार की संपत्ति है। यदि सभी ऐसे ही हो जाएं, खासकर आईएएस अफसर तो राज्य की प्रगति दो गुना हो जाएगी।
गौरतलब है कि अजय गंगवार ने बुधवार को अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा था, जरा गलतियां बता दीजिए जो नेहरू को नहीं करनी चाहिए थी। अगर उन्होंने 1947 में आपको हिंदू तालिबानी राष्ट्र बनने से रोका तो यह उनकी ग़लती थी, उन्होंने आईआईटी, इसरो, आईआईएसबी, आईआईएम, भेल स्टील प्लांट, बांध, थर्मल पावर लाए ये उनकी ग़लती थी।
आसाराम और रामदेव जैसे इंटिलेक्चुअल्स की जगह साराभाई और होमी जहांगीर को सम्मान और काम करने का मौका दिया ये उनकी गलती थी, उन्होंने देश में गौशाला और मंदिर की जगह यूनिवर्सिटी खोली ये भी उनकी घोर गलती थी।
इस पोस्ट की चर्चा होने के बाद गुरुवार को उन्होंने उसे हटा दिया था। सामान्य प्रशासन मंत्री लालसिंह आर्य ने इस पर आपत्ति की थी। उसके बाद से ही माना जा रहा था कि उन पर कार्रवाई की जाएगी।
लाल सिंह आर्य ने कहा था कि सिविल सेवा आचरण नियम का उल्लंघन नही किया जाना चाहिए। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सभी को लेकिन नियमों का भी पालन होना चाहिए।
फेसबुक पोस्ट बड़वानी कलेक्टर अजय गंगवार को भारी पड़ गया। सरकार ने गंगवार को पद से हटा दिया। उन्हें मंत्रालय में उपसचिव पदस्थ किया गया है। जबकि गंगवार की जगह किसी दूसरे अधिकारी की पदस्थापना नहीं की गई। उल्लेखनीय है कि आईएएस कैडर में पदोन्न्त होने से पहले गंगवार पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के विशेष सहायक थे।
किसने क्या कहा …
– अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अपनी जगह है, लेकिन सरकारी अधिकारी और कर्मचारी के लिए आचरण नियम बनाए गए हैं। जिनका पालन करना भी जरूरी है। गंगवार के मामले में कौन सही है कौन गलत। मैं नहीं कह सकता हूं।
-एलएम बेलवाल, अध्यक्ष, आईएफएस एसोसिएशन
– यह सरकार का विषय है। सभी की अपनी शर्तें और मर्यादाएं हैं। उनमें तो रहना ही चाहिए।
-हेमंत मुक्तिबोध, सह कार्यवाह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भोपाल