देश के हर दो मे से एक पुलिसकर्मी को लगता है कि मुसलमान का अपराध की तरफ स्वाभाविक रूप से झुकाव होता है। लोकनीति और कॉमन कॉज की ओर से मंगलवार को जारी रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है।
इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि 35 फीसदी पुलिसकर्मियों को लगता है कि दुष्कर्म और गो-हत्या के मामले में लोगों का मारपीट करना स्वाभाविक है।
एक एनजीओ द्वारा ये सर्वे ये जानने के लिए किया गया कि आखिर पुलिसकर्मियों के कामकाज के हालात किस तरह के हैं।
इस रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जे चेलमेश्वर ने जारी किया। ये सर्वे 31 राज्यों में कराया गया। इस दौरान 12 हज़ार पुलिस कर्मियों से बातचीत की गई। इसके अलावा 11 हज़ार पुलिसवालों के परिवार से भी सवाल पूछे गए।
सर्वे की मुख्य बातें:
> 56% पुलिसकर्मियों का मानना है कि ऊंची जाति के हिंदू अपराध नहीं करते हैं।
> भीड़ हिंसा को लेकर 35% पुलिस वालों को लगता है कि गो-हत्या का मामला या कोई दुष्कर्म केस सामने आने पर भीड़ का मारपीट करना स्वाभाविक होता है।
> 37% पुलिसकर्मियों ने समान वेतन और भत्ता मिलने पर ये नौकरी छोड़ने पर सहमति जताई।
> 5 में से एक पुलिसकर्मी को लगता है कि एससी-एसटी एक्ट के तहत आने वाले मामले झूठे और किसी खास मकसद से दायर किए जाते हैं।
> पुलिस वाले औसतन 14 घंटे हर रोज काम करते हैं। इसके अलावा 80% पुलिसवालों को 8 घंटे से ज्यादा ड्यूटी करनी पड़ती है।
> 12% थानों में पीने का पानी नहीं है, इसके अलावा 18% ने कहा कि उनके यहां टॉयलेट नहीं है।
> 36% पुलिसकर्मियों ने कहा कि जब कभी ड्यूटी पर इमरजेंसी में जाना होता है उनके पास गाड़ी नहीं होती।
> हर दो में से एक पुलिस वाले को वीकली ऑफ नहीं मिलता।
@एजेंसी