हर देश की अपनी अलग-अलग संस्कृति और परंपराएं होती हैं। जिन्हें वहां के लोग हर हाल में मानते हैं। ऐसी ही तमाम परंपराएं हमारे देश में हैं।
हर देश की अपनी अलग-अलग संस्कृति और परंपराएं होती हैं। जिन्हें वहां के लोग हर हाल में मानते हैं। ऐसी ही तमाम परंपराएं हमारे देश में हैं। जो कई बार अंधविश्वास से ज्यादा कुछ और नहीं दिखाई देती।
क्योंकि इन परंपराओं का ना तो विज्ञान से कुछ लेना देना होता है और ना ही इनके मानने से कुछ चमत्कार होता दिखाई देता है। बावजूद इसके देश की कई परंपराएं समाज को शर्मसार कर देती हैं। इन्हीं में से एक परंपराएं बारिश के लिए भी मानी जाती है।
भारत परंपराओं का देश है
हम जानते हैं कि हमारा देश के गांव में रहने वाले ज्यादातर लोग खेती किसानी पर निर्भर हैं। साथ ही खेती करने के लिए प्राकृतिक पानी की जरूरत होती है। यानि बारिश के बिना हम अपने देश की खेती की कल्पना ही नहीं कर सकते।
लेकिन कई इलाको में बारिश न होने की वजह से सूखा पड़ जाता है। जिससे खेती करना मुस्किल हो जाता है, लेकिन देश के किसान आज भी इसके पीछे का कारण देवताओं की नाराजगी ही समझते हैं।
अंधविश्वास की वजह से लोग बारिश के लिए देवताओं को खुश करने के लिए अजीब तरह के रीति रिवाज अपनाते हैं, इन पर विश्वास करना बहुत मुश्किल होता है।
अजीब तरीकों का करते हैं प्रयोग
देश के एक हिस्से में आज भी लोग बारिश के लिए कई दकियानूसी मान्यताओं को मानते हैं। इनमें से एक है लड़कियों को निर्वस्त्र कर घुमाना।
दरअसल, भारत के कई हिस्सों में बारिश कराने के लिए लड़कियों को निर्वस्त्र कर घूमने को मजबूर किया जाता है और मां-बाप खुद ही अपनी बेटियों को बिना कपड़ों के घर से बाहर जाने को मजबूर कर देते हैं।
बिना कपड़ों के घर से बाहर जाती हैं लड़कियां
देश के बिहार राज्य के लोग इस मान्यताओं को आज भी मानते हैं। इस मान्यता के कारण सूरज ढलने के बाद लड़कियों को बिना कपड़ो के ही घर से बाहर भेज दिया जाता है।
यहां के लोगों का मानना है कि इस वक्त खेतों में कपड़े पहनकर जाने से देवी देवता नाजार हो जाते हैं। जिससे बारिश नहीं होती और उन्हें सूखे की समस्या का सामना करना पड़ता है।
इसलिए यहां के ग्रामीण इलाकों के लोग हर रात अपनी बेटियों को बिना कपड़ों के घर से बाहर भेज देते हैं। जिससे बारिश का देवता खुश हो जाए और बारिश हो जाए।