मेलबर्न [ TNN ] भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने जी-20 श्रम एवं रोजगार मंत्रियों के ऑस्ट्रेलिया में हुए सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ’’विश्व भर में भारत में सबसे अधिक युवा जनसंख्या है । भारत की जनसंख्या का 58 प्रतिशत 29 वर्ष से कम आयु वर्ग का है । जनसंख्या निर्भरता दर कम हो रही है तथा 2030 के बाद ही बढ़ेगी ।’’ मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया में 10-11 सितम्बर, 2014 को आयोजित इस कांफ्रेंस के अध्यक्ष मेजबान देश ने भी इस तथ्य को रेखांकित किया ।
तोमर ने कहा, ’’भारत जैसे देश में नौकरियों और कुशलता का मिलान बहुत जरूरी है । संरचनात्मक बेरोजगारी और अल्प रोजगार ( ल्ह्ीास्ज्त्दब्सहू) श्रम क्षेत्र की मुख्य चुनौतियां हैं । इनका कारण रोजगार की मांग और पूर्ति में असंतुलन है । भारत सरकार इस क्षेत्र में बहुआयामी कार्यनीति पर काम कर रही है । संरचनात्मक बेरोजगारी को कम करने के लिए, स्थानीय नौकरियों को बढ़ावा देने और लघु और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने पर बल दिया जा रहा है । मंत्रालय ने मांग पर आधारित प्रशिक्षण देने की एक योजना पर कार्य शुरू किया है । इसके अंतर्गत कोई भी उद्योग अपनी जरूरत के अनुसार प्रशिक्षण देने के लिए सरकार के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षरकर सकता है, पर उसे न्यूनतम 80 फीसदी रोजगार सुनिश्चित करना होगा । ग्रामीण प्रवासियों और शहरी गरीबो के लिए कुशलता प्रशिक्षण पर भी कार्य किया जा रहा है । हम श्रमिकों को कम कुशलता वाले काम के स्थान पर अधिक उत्पादकता वाले काम में लगाना चाहते हैं । इसलिए हम श्रम गतिशीलता , कौशल पोर्टेबिलिटी और कुशलता संवर्धन पर भी कार्य कर रहे हैं । राष्ट्रीय व्यावसयिक योग्यता रूपरेखा नयी नौकरियों और योग्यता में तालमेल के लिए बहुत जरूरी है । कौशल विकास पहल योजना, जो एमईएस रूपरेखा पर आधारित है, वो असंगठित क्षेत्र के विद्यालय छोड़ चुके और वर्तमान कामगारों के लिए बनी है और इस पर काम चल रहा है । 21 विशेष केन्द्रों के माध्यम से सरकार विकलांग और वंचित समूहों के लोगों को रोजगार प्रदान करने के लिए कार्य कर रही है । निर्माण क्षेत्र के कामगारों की अनौपचारिक योग्यता को मान्यता देने के लिए भी एक विशेष योजना आरपीएल बनाई गयी है, जिसमे उन्हें 15 दिन का कुशलता वृद्धि प्रशिक्षण दिया जाएगा । सक्रिय श्रम बाजार की नीतियों को भी हमारे देश में मुख्य कार्यनीति माना जाता है । राष्ट्रीय करियर सेवा के अंतर्गत एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज को करियर परामर्श केंद्र में तब्दील किया जा रहा है । इससे स्थानीय नौकरी परिस्थिति पर जानकारी और नौकरी मेला के माध्यम से नौकरी देने का प्रयास किया जाएगा । सरकार श्रम कानूनों को सरल बनाने पर भी कार्य कर रही है । हमारा मानना है कि जी-20 एक उचित मंच प्रदान कर सकता है, जिसके माध्यम से विश्व के विभिन्न देशों में हो रहे अच्छे कार्य और नीति-निर्माण के विषयों पर चर्चा की जा सकती है और सकारात्मक पहल की जा सकती है ।
तोमर ने कहा कि उद्योग और वाणिज्य में रोजगार की अधिकतम संभावनाएं हैं । नियोक्ताओं की भी रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका है । इसलिए जी-20 कांफ्रेंस को सरकारों के साथ-साथ उद्योगपतियों से भी आग्रह करना चाहिए कि वे लाभार्जन के अलावा रोजगार सृजन पर भी ध्यान दें ।’’
’’बेहतर नौकरियों का सृजन’’ विषय पर बोलते हुए तोमर ने आगे कहा, ’’ रोजगार का सृजन आज भारत की सबसे बड़ी चुनौती है। पिछले एक दशक में रोजगार में वृद्धि की दर महज 1प्रतिशत ही हो सकी है । युवा वर्ग में बेरोजगारी का प्रतिशत लगभग 6.6 प्रतिशत है । अल्प रोजगार की दर लगभग 5.7 प्रतिशत है। प्रति वर्ष भारत में लगभग 1 करोड़ व्यक्ति लेबर फोर्स में शामिल होते हैं।
विशाल असंगठित क्षेत्र, महिलाओं की श्रमबल में कम भागीदारी, श्रम की उत्पादकता को बढ़ाना और कमजोर वर्गों के लिए सामाजिक सुरक्षा भी हमारे समक्ष बड़ी चुनौतियां हैं। इस युवा वर्ग के समुचित विकास के लिए यथोचित स्वास्थ्य सेवाएं तथा शिक्षा उपलब्ध कराना हमारी प्राथमिकता है ताकि युवा पीढ़ी के माध्यम से हम अपने राष्ट्र का समग्र विकास कर सकें। भारत सरकार सभी हितधारकों के सहयोग से इन चुनौतियों के संदर्भ में अनेक कदम उठा रही है। हम व्यावसायिक प्रशिक्षण के जरिये श्रम की उत्पादकता बढ़ाने के प्रयत्न कर रहे हैं ।
रोजगारपरकता बढ़ाने के लिए हम इंडस्ट्री के साथ लचीले सहमति पत्र पर हस्ताक्षर को बढ़ावा दे रहे हैं। तकनीकी शिक्षा में नवीनीकरण तथा उत्कृष्टता लाने के लिए हमने सर्वोच्च शिक्षण संस्थाओं में इन्क्यूबेशन सेंटर खोले हैं। हम टेक्निकल टीचरों की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए डिस्टैन्स लर्निंग टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर रहे हैं। एमएसएमई, रोजगार के सृजन तथा उद्यमिता के विकास के साथ-साथ रोजगार के दौरान प्रशिक्षण के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं । हम एमएसएमई में प्रशिक्षुता को बढ़ावा देने हेतु वित्तीय सहायता का प्रावधान कर रहे हैं। हम कानूनों में भी उचित बदलाव ला रहे है ताकि क्वालिटी प्रशिक्षुता के कार्य में इंडस्ट्री की भागीदारी को बढ़ाया जा सके।
हम मेंटर काउंसिलों की सहायता से व्यावसायिक प्रशिक्षण के पाठ्यक्रम में सुधार के काम में इंडस्ट्री की भागीदारी को बढ़ा रहे हैं। इस वर्ष लगभग 1500 व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थान देश के सुदूर ग्रामीण इलाकों में ’पीपीपी’ द्वारा खोले जा रहे हैं। हम विनिर्माण के क्षेत्र में पूर्व अर्जित ज्ञान (आरपीएल) को मान्यता देने के लिए कार्य कर रहे हैं ताकि अनौपचारिक रूप से प्राप्त कौशल को मान्यता दिया जा सके । भारत के 93 प्रतिशत श्रमिक असंगठित हैं। इसका एक बड़ा हिस्सा स्व रोजगार में रत है। अतः सभी के लिए सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध करना हमारी प्राथमिकता है।
असंगठित क्षेत्र के लिए हम अपनी फ्लैगशिप योजना आरएसबीवाई का पुनर्गठन कर रहे हैं। वर्तमान में इस योजना के तहत 3.85 करोड़ परिवारों को बिना नकद भुगतान के स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त होती हैं। उन्नत आईटी ढांचे के जरिये सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके तहत आरएसबीवाई कार्ड को बैंक अकाउंट तथा आधार कार्ड से जोड़ा जा रहा है। राज्य सरकारों को यह सुविधा दी जा रही है कि वे अपनी सामाजिक सुरक्षा योजनाएं आरएसबीवाई से जोड़ सकें। एक अन्य महत्वपूर्ण योजना के तहत असंगठित क्षेत्र की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में तालमेल के लिए पायलट प्रकल्प का कार्य शुरू हो गया है। इस प्रकल्प में जीवन बीमा, वृद्धावस्था पेंशन तथा स्वाथ्य बीमा को एक ही स्मार्ट कार्ड के द्वारा सिंगल पॉइंट ऑफ कांटैक्ट पर दिया जाएगा।
वित्तीय समावेशन हमारी सरकार की प्रतिबद्धता है। अगस्त 2014 के अंतिम सप्ताह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जन धन योजना का शुभारंभ हुआ। इस योजना के तहत प्रत्येक व्यक्ति जिसका अब तक बैंक अकाउंट नही है, उसका बैंक खाता खोलने के साथ उसे निहित लाइफ इंश्योरेंस तथा एक्सिडेंट कवर की सुविधा भी प्राप्त होगी। उदघाटन के दिन इस योजना के तहत 15 मिलियन लोगों के बैंक खाते खोले गए। जनवरी 2015 तक इस योजना में 75 मिलियन खाते खोले जाने का लक्ष्य है।
संगठित क्षेत्र में कर्मचारी भविष्य निधि योजना में आमूल बदलाव लाते हुए हमने यूनिवर्सल अकाउंट नंबर की शुरुआत की है। इस योजना से लगभग 4 करोड़ से अधिक उपभोक्ताओं को पोर्टेबिलिटी का लाभ मिल सकेगा। अब न्यूनतम पेंशन की भी गारंटी दी गई है ।
भारत में निवेश को प्रोत्साहन देने, उद्योगों को व्यवसाय में आसानी तथा उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए हमने श्रम कानूनों में सुधार लाने की पहल की है। श्रमिकों की सुरक्षा तथा कार्यस्थल पर काम करने की व्यवस्थाओं में सुधार के लिए श्रम कानूनों में संशोधन किए जाने का प्रस्ताव है। खतरनाक उद्योगों में व्यक्तिगत रक्षात्मक उपकरण का प्रावधान अनिवार्य किया गया है। साथ ही श्रमिकों, विशेषकर महिलाओं को कार्य स्थल पर उपयुक्त सुविधाएं देने के प्रावधान भी प्रस्तावित किए गए हैं। एक संशोधन के द्वारा महिलाओं को रात में काम करने देने का प्रावधान प्रस्तावित किया गया है। महिलाओं को श्रम बल में बढ़ावा देने के लिए यह बहुत सहायक होगा। इसी के साथ रोजगार हेतु न्यूनतम आयु, न्यूनतम मजदूरी के राष्ट्रीय स्तर के मानक लाने के लिए आवश्यक विधिक संशोधनों पर भी हम कार्य कर रहे हैं। एमएसएमई में संगठित क्षेत्र को बढ़ाने के लिए हम एक समग्र कानून लाने की दिशा में भी कार्यरत हैं।
इसी के साथ श्रम कानूनों के अनुपालन को सरल बनाने के लिए हमने एकीकृत वेब पोर्टल का विकास किया है । अंततः इस पोर्टल के माध्यम से नियोक्ता प्रत्येक कानून के लिए अलग-अलग रिटर्न न भरते हुए एक ही ऑनलाइन वार्षिक रिटर्न के माध्यम से सभी श्रम कानूनों का अनुपालन कर सकेंगे। निरीक्षण योजना में सुधार लाकर इसे पूरी तरह से वस्तुनिष्ठ तथा पारदर्शी और जवाबदेह बनाया जा रहा है।
भारत में त्रिपक्षीय संवाद की स्वस्थ परंपरा है। हम अभी हितधारकों के सहयोग से उन्नति व विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु कटिबद्ध हैं। मुझे आशा ही नहीं, पूर्ण विश्वास है कि जी-20 में हम सभी देशों का यह परस्पर विचार-विमर्श अंतर्राष्ट्रीय विकास व रोजगार हेतु एक सार्थक पहल होगी।