जेनेवा [ TNN ] विश्व व्यापार संगठन(डब्ल्यूटीओ) में भारत को अमरीका से हार झेलनी पड़ी। भारत ने अमरीका के चिकन को आयात करने से मना कर दिया था और कहा था कि अमरीकन चिकन और अन्य कृषि उत्पादों से बर्ड फ्लू का खतरा पैदा हो सकता है। हालांकि भारत इस खतरे का प्रमाणित नहीं कर पाया था।
इसके बाद अमरीका इस मामले को मार्च 2012 में डब्ल्यूटीओ में ले गया था। भारत ने दावा किया कि आयात पर प्रतिबंध जानवरों के स्वास्थ्य के आधार पर अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुरूप हैं लेकिन डब्ल्यूटीओ पैनल ने अमरीका से सहमति जताई और भारत के मापदंडों को अंतरराष्ट्रीय स्टैंडर्ड के परे बताते हुए भेदभाव पूर्ण बताया। इस फैसले के बाद अमरीकी कृषि उत्पादों के लिए 300 मिलियन डॉलर का बाजार खुल गया है।
हालांकि भारत इस मामले में अभी अपील कर सकता है। व्यापार मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि सरकार फैसले का अध्ययन करेगी और इसके बाद पशुपालन विभाग से उसकी राय जानने के बाद अपील के फैसले पर निर्णय लेगा। डब्ल्यूटीओ के फैसले के बाद अमरीका अपने पोल्ट्री उत्पादों का निर्यात बढ़ा सकता है लेकिन यदि अमरीकी निर्यातक कम कीमत पर बेचते है तो भारत एंटी-डंपिंग डयूटी के जरिए अमरीकी निर्यात पर रोक लगा सकता है।