चंडीगढ़ [ TNN ] पंजाब के बराबर वेतन मान का सपना देख रहे हरियाणा के कर्मचारियों को सीएम मनोहर लाला खट्टर ने झटका दे दिया। उन्होंने कहा कि पंजाब के बराबर कर्मचारियों को वेतन मान देने के निर्णय का रिव्यू करेंगे। इसके बाद ही इस बाबत कुछ कर पाएंगे।
हुड्डा सरकार का था फैसला
हुड्डा सरकार ने यह भी निर्णय लिया था कि बढ़ा हुआ वेतन नवंबर से दिया जाएगा। आचार संहिता लगने से कुछ दिन पहले ही हुड्डा सरकार ने यह निर्णय लिया था। लेकिन कर्मचारियों का मानना था कि सरकार उनकी यह मांग पूरी कर ही देगी। लेकिन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार हुई और बीजेपी की सरकार बन गई। आज पहली केबिनेट बैठक में ही सीएम मनोहर लाल खट्टर ने साफ कर दिया कि पंजाब के बराबर वेतनमान नहीं दिया जाएगा।
रिव्यू के मायने क्या
साफ है प्रदेश की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि पंजाब के बराबर वेतन मान सरकारी कर्मचारियों को दिया जाए। यह बात हुड्डा सरकार भी जानती थी। लेकिन जाते जाते उन्होंने ऐसा दांव खेला था। इसके पीछे उनकी सोच यहीं थी कि यदि सरकार आ गई तो देख लेंगे और यदि नहीं आई तो अगली सरकार के लिए मुश्किल खड़ी हो।
अब क्या होगा
इस बात की उम्मीद कम है कि कर्मचारियों को भाजपा सरकार बढ़ा वेतन मान दे। क्योंकि इसकी दो वजह है। एक तो यह है कि बजट में इसके लिए फंड का प्रावधान नहीं किया गया। दूसरी वजह यह है कि हुड्डा सरकार के निर्णय को यदि भाजपा लागू भी करती है तो इसका क्रेडिट कांग्रेस को ही जाएगा।
नियुकि्तयों पर रोक
मंत्रिमण्डल ने यह भी निर्णय लिया है कि चल रही सभी नियुक्तियों पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी जाए। इसके अलावा, पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान सभी पुनर्रोजगार (री-एम्प्लाईमेंट) की भी पुन: जांच की जाएगी।
बदले की भावना से नहीं करेंगे काम
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार बदले की भावना से कोई कार्य नहीं करेगी तथा इन सभी शिकायतों के सम्बन्ध में कानून अपना काम करेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की प्राथमिकता उसका एजेंडा लागू करना है, जिसमें राज्य के लोगों के कल्याण का मुख्य उद्देश्य है
तीन नवंबर से विधानसभा सत्र
खट्टर ने कहा कि मंत्रिमण्डल ने उन्हें 3 नवम्बर से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र के दौरान असेंबली-बिजनस के लिए भी अधिकृत किया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को मंत्रिमंडल ने 4 नवम्बर को दिये जाने वाले राज्यपाल के अभिभाषण के लिए भी अधिकृत किया है।