लखनऊ – राष्ट्रपति डा0 प्रणव मुखर्जी द्वारा राष्ट्रपति भवन दिल्ली में आयोजित राज्यपालों के सम्मेलन में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने प्रदेश के धार्मिक स्थलों एवं ऐतिहासिक महत्व के स्थलों की सुरक्षा, भारत-नेपाल सीमा की सुरक्षा, साइबर क्राइम, स्वच्छ गंगा अभियान, रोजगार के नये अवसर के सृजन, उच्च शिक्षा से संबंधित बिन्दुओं, कुलपतियों के कार्यकाल और कृषि एवं विकास पर प्रभावी ढंग से अपनी बात रखी।
श्री नाईक ने प्रदेश में बढ़ रही साइबर क्राइम तथा महिला उत्पीड़न की घटनाओं पर अपनी चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि इन अपराधों को नियंत्रित करने के लिये जरूरी है कि पुलिस बल को संवेदनशील बनाया जाय ताकि वे इन अपराधों से प्रभावी ढंग से निपट सकें। साथ ही यह भी सुनिश्चित किये जाने की आवश्यकता है कि इन अपराधों से संबंधित प्रकरणों को जल्दी से जल्दी संबंधित अदालतों में पेश कर अपराधियों के खिलाफ आवश्यक कानूनी कार्यवाही की जा सके। महिलाओं के विरूद्ध हो रहे अपराधों को नियंत्रित करने के लिये प्रदेश सरकार ने वीमेन पावर लाइन 1090 जैसी हेल्पलाइन की शुरूआत की है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि इस दिशा में समन्वित प्रयास किये जाने की जरूरत है।
राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश की अधिकांश आबादी अभी भी अपने जीवकोर्पाजन के लिये कृषि पर निर्भर है। लेकिन उत्पादन की लागत में वृद्धि होने तथा पोस्ट हार्वेस्ट प्रबन्धन एवं प्रसंस्करण की सुविधाओं के अभाव में खेती भी अब बहुत ज्यादा लाभप्रद नहीं साबित हो रही है। अधिकांश ग्रामीण लोग शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। कृषि को लाभप्रद बनाने तथा ग्रामीण लोगों का पलायन रोकने के लिये जरूरी है कि वैज्ञानिक तरीके अपनाकर कृषि उत्पादन व उत्पादकता में वृद्धि सुनिश्चित की जाय। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही ग्रामीण स्तर पर ही छोटे-मोटे उद्योग-धन्धें एवं अन्य व्यवसायिक गतिविधियों की शुरूआत कर पलायन को रोके जाने का प्रयास किये जाये।
राज्यपाल ने कहा कि महात्मा गांधी के जन्म दिवस की 150वीं वर्षगांठ तक निर्मल भारत के निर्माण के दृष्टिगत गंगा व अन्य नदियों को प्राथमिकता के आधार पर स्वच्छ बनाया जाय। नदियों में शव प्रवाहित करने की प्रथा को रोकने के लिये समाज को विश्वास में लेकर प्रयास करने होगें। राष्ट्रपति अलग से राज्यपालों का एक सम्मेलन बुलाये जिसमें कुलपतियों के कार्यकाल एवं आयु के बारे में विचार-विमर्श करके एकरूपता लाई जा सके। विभिन्न आयोगों के अध्यक्षों को कैबिनेट मंत्री एवं राज्यमंत्री का दर्जा दिये जाने के संबंध में उन्होंने राष्ट्रपति से उचित मार्गदर्शन दिये जाने की अपेक्षा की है।
ज्ञातव्य है कि इस संबंध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने एक निर्णय में कैबिनेट मंत्री/राज्यमंत्री का दर्जा दिये जाने को असंवैधानिक करार दिया था। उन्होंने कहा कि समुद्र तट से जुड़े राज्यों की सुरक्षा की दृष्टि से इकनाॅमिक जोन पर प्रभावी कानून बनाने की आवश्यकता है।
श्री नाईक ने कहा कि भारत के साथ नेपाल की सीमा लगभग 1700 कि0मी0 है, जिसका लगभग एक तिहाई हिस्सा (556 कि0मी0) उत्तर प्रदेश के 07 जनपदों से लगा हुआ है। दोनों देशों के बीच किसी वीजा-पासपोर्ट की आवश्यकता नहीं है। इसलिये परिस्थिति का लाभ उठाकर विभिन्न प्रकार की राष्ट्र-विरोधी एवं अवैधानिक गतिविधियां, विदेशी सामानों की तस्करी, शस्त्र, विस्फोटक पदार्थ की अवैध आपूर्ति, जाली नोटों की तस्करी आदि की सम्भावनाएं बनी रहती है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में भारत सरकार के माध्यम से नेपाल सरकार से अनुरोध कर बाढ़/प्राकृतिक आपदा के चलते सीमा क्षेत्र में जहां-जहां पिलर्स विलुप्त हो गये हों उनका सर्वें कराकर पुनर्निर्माण कराये जाने की जरूरत है, जिससे प्रदेश की वाह्य सुरक्षा सुदृढ़ हो सके।
रिपोर्ट :- शाश्वत तिवारी