लखनऊ – प्राइवेट बिल्डरों द्वारा प्रदेश भर में बड़े पैमाने पर आम लोगो को झूठे सपने दिखाकर लूटा जा रहा है। बिल्डरों के साथ इस लूट के खेल में विकास प्राधिकरणों के अधिकारी भी इस लूट में शामिल है।
तेज़ न्यूज़ नेटवर्क ने अपनी सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वाह करते हुए, अपने लाखो पाठको के हित को सर्वोपरि रखते हुए ये अतिमहत्यपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई है।
यदि आप किसी भी प्राइवेट बिल्डर से नया फ्लैट लेने जा रह है, तो इन 12 प्रमुख बातों का ध्यान रखें…
1- आपका बिल्डर के साथ हुए एग्रीमेंट की ओरिजनल कॉपी।
2- 7/12 उद्धरण या लैंड अंडर कंस्ट्रक्शन के प्रॉपर्टी रजिस्टर कार्ड।
3- इंडेक्स बिल्डर के साथ हुए एग्रीमेंट के उद्धरण।
4- कलेक्टर ऑफिस से जमीन का एन.ए. परमिशन की कॉपी।
5- प्रॉपर्टी के पिछले 30 सालों की सर्च और टाइटिल डिटेल्स के साथ डॉक्यूमेंट्स।
6- जमीन के मालिक और बिल्डर के साथ हुए डेवलपमेंट एग्रीमेंट की डॉक्यूमेंट्स।
7- अर्बन लैंड सैंलिंग एक्ट के तहत उपलब्ध डॉक्यूमेंट्स की कॉपी।
8- बिल्डिंग प्लांस की संबन्घित अथॉरिटी के द्वारा स्वीकृत कॉपी।
9- कॉरपोरेशन/नगर निगम द्वारा स्वीकृत कमेंसमेंट सर्टिफिकेट।
10- बिल्डिंग कंप्लीशन सर्टिफिकेट।
11- हाल में टैक्स अदा किए गए रसीद की कॉपी।
12- पार्टनरशिप डीड या बिल्डर्स फर्म एसोसिएशन के ज्ञापन पत्र।
किसी भी अचल सम्पति को खरीदते वक्त सबसे पहले विक्रय अनुबन्ध पत्र किया जाना जरूरी है। अखबारों में आम सूचना निकाल कर तथा अन्य जानकारी लेने के बाद सम्पति का विधीवत विक्रय पत्र पंजीकृत कराया जाता है। विक्रय अनुबन्ध हमेशा नॉन जुड़ेशियल स्टाम्प पर संतुलित भाषा में दो गवाहों के सामने होना चाहिय। अनुबन्ध को रजिस्ट्रार ऑफिस में पंजीकृत कराया जा सकता है या फिर नोटरी के समक्ष भी किया जा सकता है। वर्तमान में 1000 रू के स्टाम्प पर अनुबंध पत्र किया जाता है। विक्रय अनुबंध पत्र एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, इसमें क्रेता विक्रेता के नाम विक्रय की जा रही सम्पति का नाम जैसे प्लाट मकान दूकान तथा वर्तमान विक्रता ने किस प्रकार प्राप्त किया है इस बात का स्पशट उल्लेख होना चाहिय।
यदि उक्त सम्पति किसी बैंक या व्यक्ति के यहाँ गिरवी रखी है तो उसका उल्लेक्य भी स्पस्ट रूप से होना चाहिए तथा उक्त लोन को एडवांस या क्रेता चुकाएगा। वह तरीका भी समय सीमा के साथ उल्लेखित करना चाहिय। मकान की सीमा स्पस्ट होना चाहिय। पुरानी रजिस्ट्री में जो सीमा दी गयी है, उसमें परिवर्तन हो सकता है। सीमा में मकान का क्रमांक डालना उचित रहता है।
अनुबन्ध के लिए जहा तक हो सके स्टाम्प स्वयं खरीदना चाहिय क्रेता और विक्रेता के हस्ताक्षर स्टाम्प विक्रेता के रजिस्टर पर होना हित में रहता है। उक्त सम्पति को कुल कितने रूपया में विक्रय किया जा रहा है यहाँ स्पस्ट करते हुए एडवांस की रकम का उल्लेख होना चाहिय। क्रेता को हमेशा रकम अकाउंट पेयी चेक से देनी चाहिय । विक्रय पत्र सम्पादित करने की अवधी, स्टाम्प का खर्च कौन करेगा तथा वर्तमान नल बिजली, नगर निगम का टैक्स का देय कौन जमा करेगा यहाँ बात का भी स्पस्ट उल्लेख होना चाहिय।
रिपोर्ट :- शाश्वत तिवारी