उप्र में अपना जनाधार खोती बसपा सुप्रीमो मायावती अम्बेडकर जयंती का राजनीति करण कर रही है। विरोधियों को अम्बेडकर जयंती मनाने के नाम पर राजनीति न करने की सलाह देने वाली मायावती खुद गैरसियासी मंच से मुसलमानों को गुमराह न होने और अपनी पार्टी के पक्ष में वोट देने का आहवाहन करती नजर आयी। भाजपा ने पूछा है कि क्या महापुरूषों पर किसी दल विशेष का अधिकार है? बाबासाहब अम्बेडकर जन्मदिवस के अवसर पर उनकी नीतियों उनके विचारों और समाजिक समरस्ता के लिए किये गये कार्यो का जिक्र करते हुए आज के दिन को भाजपा सामाजिक समरस्ता दिवस के रूप में मना रही है। भाजपा का पूरा परिवार अखिल भारतीय स्तर पर छूआछूत जैसी कुप्रथा को दूर करने के लिए प्रयासरत है।
भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि अम्बेडकर जयंती के मौके पर सियासी राजनीति करती बसपा प्रमुख अम्बेडकर को एक निश्चित दायरे में क्यों बांधना चाहती है। देश के 125 करोड़ लोग उनके बनाये संविधान का पालन कर रहे है सभी की उनके प्रति श्रद्धा, आस्था है और अपने अनुसार वह आज के दिवस को मना रहा है। भाजपा पर अम्बेडकर का सम्मान न करने का आरोप जड़ा जा रहा है वहीं दूसरी ओर जयंती के गैर सियासी मंच से मुसलमानों से अपील हो रही है कि जो गलती उन्होंने 2014 के चुनावों में की वह 2017 में न दोहराये, अपना वोट बंटने न दे, बसपा के साथ आये। अब सियासत और अम्बेडकर का अपमान कौन कर रहा है समझा जा सकता है। जबकि भाजपा आज अपने मंच से केवल बाबा साहब के सामजिक आहवान का उद्गार कर रही है।
मोदी सरकार ने अम्बेडकर के सपनों को पंख देने और दीनदयाल उपाध्याय की समाज के अंतिम सीढ़ी पर खड़े व्यक्ति के उत्थान को गति देने के लिए मुद्रा बैंक की स्थापना कि ताकि साइकल ठीक करने वाले, पंचर बनाने वाले, पंतग बनाने वाले को रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सके।
ऐसे में गरीबी रेखा के नीचे लोग बैंक से केवल 10 फीसदी ब्याज पर 10 लाख तक कर्ज लेकर ‘मेक इन इंडिया’ के सपने को पंख लगाकर सफल व्यवसाय आरंभ कर सकते हैं। कर्ज की अदायगी में भी उनको काफी समय मिलेगा और एक मुश्त समाधान की सुविधा भी मिल सकेगी। जिन कारोबारियों को पहले कर्ज नहीं मिलता था उन्हें कैसे आसान शर्तो पर पैसा मिले, इसकी व्यवस्था करते हुए यह सुनिश्चित करने का प्रयास हो रहा है कि गरीबों का उत्थान कैसे हो। मोदी सरकार गरीब को स्वालम्बी और समर्थवान बनाने में जुटी है।
शाश्वत तिवारी