मुंबई– महाराष्ट्र के खाद्य और औषधि विभाग (एफडीए) ने ऑनलाइन वितरक स्नैपडील के सीईओ व निदेशकों के खिलाफ प्रिसक्रिप्शन की दवाएं बेचने के आरोप में एफआइआर दर्ज करने का आदेश दिया है। गौरतलब है कि एफडीए ने पिछले हफ्ते स्नैपडील के गोरगांव स्थित कार्यालय पर छापा मारा था।
स्नैपडील पर विगोरा टैबलेट, एस्कोरिल कफ सीरप, अनवांटेड 72 और आइ-पिल जैसी दवाएं ऑनलाइन बेचने का आरोप था। जबकि ये दवाएं डॉक्टर की सलाह पर ही खरीदी जानी चाहिए। ऐसी दवाओं की ऑनलाइन बिक्री खरीदार के लिए भी नुकसानदेह हो सकती हैं।स्नैपडील ने रोकी ऐसी दवाओं की बिक्री छापा पड़ने के बाद स्नैपडील ने इन दवाओं को वेबसाइट से हटाते हुए इनकी ऑनलाइन बिक्री रोक दी है।
इसके बावजूद एफडीए कमिश्नर डॉ. हर्षदीप कांबले ने स्नैपडील के सीईओ कुणाल बहल एवं इसके निदेशकों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दे दिए हैं। ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट-1940 के सेक्शन 18(सी) के अनुसार सिर्फ लाइसेंस प्राप्त खुदरा दवा विक्रेता ही चिकित्सक की लिखित सलाह पर ये दवाएं बेच सकते हैं।
डॉ. कांबले के अनुसार इस तरह की दवाओं की ऑनलाइन बिक्री गैरकानूनी है। दूसरे दिग्गज भी जांच की जद में एफडीए कमिश्नर हर्षदीप कांबले ने बताया कि दूसरी ई-कामर्स कंपनियों जैसे फ्लिपकार्ट और अमेजान के खिलाफ भी जांच जारी है। अगर ये कंपनियां भी ऐसे काम करती पाई गई, तो इनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
स्नैपडील डॉट काम स्नैपडील देश की दूसरी सबसे बड़ी ऑनलाइन सामान विक्रेता कंपनी है। इसके सीईओ कुणाल बहल व्हार्टन के स्नातक हैं। उन्होंने 2010 में इस कंपनी की स्थापना की थी। पिछले वर्ष जापान के सॉफ्टबैंक ने इस कंपनी में 627 मिलियन डॉलर का निवेश किया था। इसे भारत के ई-कॉमर्स क्षेत्र में पहला बड़ा निवेश माना गया था। – एजेंसी