आजकल लोग वास्तु शास्त्र के अनुसार घर बनाते हैं। वास्तुशास्त्र के अनुसार घर बनाने से मुख्य समृद्धि एवं धन की प्राप्ति होती है। घर में पूजा घर होते ही है। पूजा घर बनाते समय अधिकांश लोग कुछ बातों का ध्यान नहीं देते। यदि पूजा घर भी वास्तु के नियमों के अनुसार बनाया जाए तो बेहतर है, वास्तुशास्त्र के अनुसार पूजा घर का दिशा जगह इत्यादि के भी कुछ नियम है |
पूर्व दिशा के वास्तु दोष
– पूर्व दिशा ऊँची हो तो घर में दरिद्रता एवं अशांति का वास होता है। मकान मालिक दरिद्र बन जाएगा, संतान अस्वस्थ तथा मंदबुद्धि होगी
– पूर्व दिशा में खाली जगह रखे बिना निर्माण करने पर या तो पुत्र, संतान की कमी होती है या संतान विकलांग जन्मती है।
– पूर्व दिशा में गंदगी, कचरा, अटाला होने पर धनहानि की घटनाएं ज्यादा घटती है। यदि मिट्टी के टीले हो तो धन एवं संतान की हानि होती है।
– पूर्व दिशा में निर्मित मुख्य द्वार या अन्य द्वार आग्नेयमुखी हो तो दरिद्रता, अपालती चक्कर, चोरी एवं आग्नि का भय बना रहेगा।
– पूर्व में मुख्य वास्तु की अपेक्षा चबूतरे ऊँचे,पश्चिमी नीची, फर्श का ढलान पश्चिम की ओर हो तो उस घर के पुरूष लंबी बीमारी के शिकार होंगे।
– पूर्व दिशा ऊँची, परिश्चमी नीची, फर्श का ढलान पश्यिम की ओर हो तो उस घर के लोगों को दृष्टि दोष होता है।
– पूर्व दिशा की चहारदीवारी की दीवार पश्चिम की अपेक्षा ऊँची हो तो संतान हानि एवं संतान को कष्ट रहता है।
– पूर्व दिशा का शयन कक्ष होने पर घर का मुखिया चिंतित व अशांत रहने लगता है।
– यदि पूर्व दिशा में किचंन हो तो घर परिवार व मुखिया की प्रतिष्ठ को ठेस पहुँचती है व व्यसन दोष भी होता है।
– पूर्व में शयन कक्ष व उसमें पूजा घर हो तो पति-पत्नि में मतभेद, अशांति व विवाद रहता है।
– पूर्व दिशा की सीढि़याँ हो तो हदय रोग या हदयघात का कारण बनती है।
– पूर्व शयन कक्ष में पूर्वी छोर पर टॉयलेट हो तो गृहस्थ जीवन में अशांति का कारक बनती है।
– पूर्व दिशा के मध्य में जलस्रोत हो तो आर्थिक तंगी देता है व धन संचय नहीं होने देता है।
– पूर्व दिशा खुली प्रकाशित हो, हरियाली वाली हो किंतु पूर्व दिशा की ओर का अगला मकान आपके मकान से काफी ऊँचा हो तो घर का मुखिया घर में रहकर परेशान, चिंतित व आशांत रहने के कारण ज्यादा समय घर पर नहीं रह पाता है।
वास्तु और पूजा घर
– जिस जगह भगवान का वास रहता है, उस दिशा में शौचालय, स्टोर इत्यादि नहीं बनाए जाने चाहिए पूजा घर के ऊपर या नीचे भी शौचालय नहीं बनाना चाहिए।
– वास्तुशास्त्र के अनुसार बेडरूम में पूजा घर नहीं बनाना चाहिए पूजा घर में रखी मूर्तिया का मुख उत्तर या दक्षिण दिशा में नहीं होना चाहिए, देवताओं की दृष्टि एक-दूसरे पर नहीं पड़नी चाहिए, पूजा घर के पूर्व या पश्चिमी दिशा में देवताओं की मूर्तियां होनी चाहिए, पूजा घर के खिड़की व दरवाजे पश्चिम दिशा में न होकर उत्तर या पूर्व दिशा में होने चाहिए, पूजा घर के दरवाजे के सामने देवता की मूर्ति रखनी चाहिए, पूजा घर में बनाया गया दरवाजा लकड़ी का नहीं होना चाहिए।
– घर के पूजा घर में गुंबज, कलश इत्यादि नहीं बनाने चाहिए, हल्के पीले रंग को दीवरों पर हल्का पीला रंग किया जा सकता है, फर्श हल्के पीले या सफेद रंग के पत्थर का होना चाहिए, इन कुछ छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर पूजा घर बनाया जाना चाहिए।