जिले का आबकारी विभाग शराब, गांजा और भांग का इतना आदि हो गया है कि यहां केअफसर आफिस के अलावा बाहर निकलेने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाते। नतीजा यह है कि पिछले एक साल का रिकार्ड उठाकर देखा जाए तो आबकारी विभाग से अधिक अवैध शराब की कार्रवाही पुलिस ने की है। स्टाफ का रोना रोकर आबकारी विभाग के जिम्मेदार जेब भरने में लगे हुए है नतीजा यह है कि जिले में माफियों का खुला राज है और कार्रवाही के नाम पर साल छै: महीने में आबकारी विभाग जागता है ऐसी ही एक कार्रवाही को लेकर आबकारी विभाग खुद अपनी पीठ थपथपाने मेें लगा हुआ है।
खंडवा – जिले के तीर्थ स्थल ओंकारेश्वर में शराब की बिक्री की शिकायतें आम हो चली है बावजूद उसके पिछले एक साल में आबकारी विभाग ने कोई सक्रियता नहीं दिखाई बीती रात शराब ठेकेदार के लोगों की फिल्डिंग से शराब बनाने का कच्ची सामग्री (ओपी) पकड़ी जिसकी कीमत लगभग पांच से छै: लाख रूपये बताई जा रही है। करीब 14-15 केनों में यह (ओपी) इंदौर से ओंकारेश्वर आ रही थी। हालांकि दूसरी तरफ ओंकारेश्वर से इंदौर जाने की बात भी सामने आई है। फिलहाल आबकारी विभाग ने कार एमपी-09-सीडी- 3696 जब्त कर कार्रवाही की गई है।
कुप्पी कार से क्या होगा?
विभागीय सूत्रों की और अफसरों की कहानी में जमीन असमान का फर्क है। कुर्सी तोड़ रहे अफसरों की जुबानी कार्रवाही रात लगभग 3 बजे की है जबकि सनावद के प्रत्यक्षदर्शी विभागीय सूत्रों ने इसे 12.30 बजे रात की कार्रवाही बताया। सवाल इस लिए खड़े हो रहे है कि जिला आबकारी विभाग के कथाकथित के सक्रिय अधिकारी पूरे समय कार और कार के मालिक को बचाते नजर आए। मीडियाकर्मियों को बुला तो लिया गया वाहवाहीं लूटने के लिए लेकिन जब सवाल की झड़ी लगी तो अफसर मुंह छिपाते हुए नजर आए दोपहर 2.00 बजे तक जिम्मेदारों को यह नहीं पता था कि कार किसके नाम पर पंजीकृत है।
ठेकेदार का घायल व्यक्ति कहा गायब हुआ?
जानकारी अनुसार इस पूरी कार्रवाही को ठेकेदार और उसके लोगों ने अपनी जान पर खेल कर अंजाम दिया और श्रेय लेने की होड़ आबकारी विभाग के लोगों ने दिखाई। मुखबिर की सूचना पर कार्रवाही को अंजाम देने के लिए जब पूरी तैयारी हुई और इस कार को घेरा गया तो आरोपियों ने ठेकेदार के एक व्यक्ति को जमकर टक्कर मार जिससे उसे घायल अवस्था में बड़वाह के किसी अस्पताल में उपचार हेतु दाखिल कराया गया है।
पुलिस करें जांच
आबकारी विभाग की कहानी गले नहीं उतरने के पीछे एक कारण यह भी है कि आखिरकार घायल हुए हरपाल सिंह की तरफ से शिकायत क्यों नहीं दर्ज कराई गई जबकि होना यह चाहिए था कि घायल व्यक्ति की ओर से कार चालक और उसमें सवार व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज होना चाहिए था। सूत्रों की माने तो पुलिस इस मामले में दखल अंदाजी करके हरपाल सिंह की शिकायत पर आरोपियों के खिलाफ हिट एंड रन का मामला दर्ज कर सकती है जिससे आबकारी विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
गौरतलब है कि 365 दिन में से 356 दिन आराम करने वाले आबकारी विभाग के कथाकथित अफसर दलालों के माध्यम से अपने आप को सुरक्षित मानकर उगाही में लगे हुए है। लेकिन वह नहीं जानते की उनके क्रियाकलाप पर सतत नजर है और बहुत जल्दी ही ग्वालियर की एक टीम एक साल में हुए कार्यों की जांच के लिए खंडवा आने वाली है।
इनका कहना –
जब्त किए गए अल्कोहल की कीमत लगभग साढ़े पांच लाख रूपये है। स्विफ्ट कार के नंबरों के आधार पर मूल शराब माफिया तक पहुँचने के प्रयास किए जा रहे है। यह अल्कोहल इतना खतरनाक है कि यह किसी की जान भी ले सकता है। -बी.एस. सोलंकी, जिला आबकारी अधिकारी